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३८. [ प्र. ] भगवन् ! प्रत्येक नैरयिक जीव का प्रत्येक जीवप्रदेश ज्ञानावरणीयकर्म के कितने अविभाग-परिच्छेदों से आवेष्टित-परिवेष्टित होता है ?
[उ.] गौतम ! वह नियमतः अनन्त अविभाग-परिच्छेदों से आवेष्टित-परिवेष्टित होता है।
38. [Q.] Bhante ! How many ultimate fractions of Jnanavaraniya karma surround and enshroud each and every soul-space-point of each infernal being (soul) ?
[Ans.] Gautam ! As a rule it is surrounded and enshrouded by infinite ultimate fractions.
४०. [ प्र. ] एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपएसे दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवइएहिं ?
३९. जहा नेरइयस्स एवं जाव वेमाणियस्स । नवरं मणूसस्स जहा जीवस्स ।
३९. जिस प्रकार नैरयिकों जीवों के विषय में कहा, उसी प्रकार यावत् वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए; परन्तु विशेष इतना है कि मनुष्य का कथन ( औधिक - सामान्य) जीव की तरह करना चाहिए। 39. What has been said about infernal beings should be repeated for சு all living beings up to Vaimanik devs. The only change is that in case of फ्र human beings the general statement (aughik) for living beings should be repeated.
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[ उ. ] एवं जहेव नाणावरणिज्जस्स तहेव दंडगो भाणियव्वो जाव वेमाणियस्स ।
४०. [ प्र.] भगवन् ! प्रत्येक जीव का प्रत्येक जीवप्रदेश दर्शनावरणीयकर्म के कितने अविभागपरिच्छेदों से आवेष्टित-परिवेष्टित है ?
40. [Q.] Bhante ! How many ultimate fractions of Darshanavaraniya karma (perception/faith obscuring karma) surround and enshroud each and every soul-space-point of each living being (soul) ?
[उ. ] गौतम ! जैसे ज्ञानावरणीयकर्म के विषय में दण्डक कहा गया है, वैसे यहाँ भी उसी प्रकार फ्र वैमानिक- पर्यन्त कहना चाहिए।
[Ans.] Gautam ! What has been said about Jnanavaraniya karma should be repeated for Darshanavaraniya karma and so on up to...
Vaimanik devs.
४१. एवं जाव अंतराइयस्स भाणियव्वं, नवरं वेयणिज्जस्स आउयस्स नामस्स गोयस्स, एएसिं चउण्ह विकम्माणं मणूस जहा नेरइयस्स तहा भाणियव्वं, सेसं तं चेव ।
४१. इसी प्रकार यावत् अन्तरायकर्म - पर्यन्त कहना चाहिए । विशेष इतना ही है कि वेदनीय, आयुष्य, नाम और गोत्र इन चार कर्मों के विषय में जिस प्रकार नैरयिक जीवों के लिए कथन किया गया है, उसी प्रकार मनुष्यों के लिए भी कहना चाहिए। शेष सब वर्णन पूर्वोक्त कथनानुसार कहना चाहिए ।
अष्टम शतक : दशम उद्देशक
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குதிததமி பூமி **பூதமிழகத்தி*தமிழபூமிமிமிமிமிமிமிமிமிமி
நிமிததமிமிமிமி*****************ழமிமிமிமிமிமிமி
Eighth Shatak: Tenth Lesson
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