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[ उ. ] गौतम ! वह पाँच प्रकार का है । यथा - १ कृष्ण (काला) वर्ण- परिणाम यावत् ५ शुक्ल F (श्वेत) वर्ण - परिणाम |
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f White.
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5
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*மிதத******************************
20. [Q] (transformation as colour ) ?
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Bhante ! Of how
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many types is Varna-parinaam
२१. एएणं अभिलावेणं गंधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे अट्ठविहे ।
२१. इसी प्रकार के अभिलाप द्वारा गन्ध - परिणाम दो प्रकार का रस- परिणाम पाँच प्रकार का और स्पर्श - परिणाम आठ प्रकार का जानना चाहिए।
21. With similar statements list two types of Gandh-parinaam (transformation as smell ), five types of Rasa-parinaam (transformation
as taste), and eight types of Sparsh-parinaam (transformation as touch). २२. [प्र. ] ठाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?
[ उ. ] गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा- परिमंडलसंटाणपरिणामे जाव आययसंठाणपरिणामे ।
२२. [ प्र. ] भगवन् ! संस्थान - परिणाम कितने प्रकार का है ?
[उ.] गौतम ! वह पाँच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार - परिमण्डलसंस्थान - परिणाम, यावत् आयतसंस्थान - परिणाम |
[Ans.] Gautam ! It is of five types-(1) Black and so on up to... ( 5 ) 5
22. [Q.] Bhante ! Of how many types is Samsthaan-parinaam (transformation as structure of shape)?
Elaboration-Definition of pudgal parinaam-transformation of matter from one state to another is called pudgal parinaam. This is of fi five primary types and twenty-five secondary types. (for details refer to F Illustrated Sthananga Sutra, Chapter-5)
F
...
[Ans.] Gautam ! It is of five types – (1) transformation as circular shape (parimandal samsthaan-parinaam) and so on up to... (5) transformation as rectangular shape (aayat samsthaan-parinaam).
5 पुद्गलास्तिकाय के एकप्रदेश से लेकर अनन्तप्रदेश तक अष्टविकल्पात्मक प्रश्नोत्तर
FEIGHT ALTERNATIVES OF SPACE-POINTS OF MATTER
विवेचन : पुद्गल - परिणाम की व्याख्या- पुद्गल का एक अवस्था से दूसरी अवस्था में रूपान्तर होना पुद्गल - परिणाम है। इसके मूल भेद पाँच और उत्तरभेद पच्चीस हैं। - (देखें स्थानांगसूत्र, स्थान ५ )
२३. [ प्र. ] एगे भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसे किं दव्वं १, दव्वदेसे २, दव्बाई ३, दव्वदेसा ४, उदाहु
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5 दव्वं च दव्वदेसे य ५, उदाहु दव्वं च दव्वदेसा य ६, उदाहु दव्वाईं च दव्वदेसे य ७, उदाहु दव्वाई च दव्वदेसा य ८ ?
अष्टम शतक : दशम उद्देशक
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Eighth Shatak: Tenth Lesson
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