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म २७. [प्र. ] भगवन् ! औदारिकशरीर-प्रयोगबन्ध किस कर्म के उदय से होता है ? म [उ. ] गौतम ! सवीर्यता, सयोगता और सद्र्व्य ता से, प्रमाद के कारण, कर्म, योग, भव और 5 आयुष्य आदि हेतुओं की अपेक्षा से औदारिक शरीर-प्रयोग-नामकर्म के उदय से औदारिक शरीरमें प्रयोगबन्ध होता है।
27. (Q.) Bhante ! What karma is responsible for audarik-shariraHprayoga-bandh (bondage related to gross physical body formation)?
(Ans.] Gautam ! Depending upon available potency (saviryata), available intent of activity (sayogata) and available matter particles
(saddravyata), and based on causative parameters like karma, Fassociation (yoga), genus (bhava), life-span (ayushya) etc., the AudarikFsharira-prayoga-bandh (bondage related to gross physical body
formation) takes place through fruition (udaya) of Audarik-shariraprayoga-naam-karma (karma responsible for gross physical body formation) triggered by stupor (pramaad).
२८. [प्र. ] एगिदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? [उ.] एवं चेव। २८. [प्र. ] भगवन् ! एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबन्ध किस कर्म के उदय से होता है ? [उ. ] गौतम ! पूर्वोक्त-कथनानुसार यहाँ भी जानना चाहिए।
28. (Q.) Bhante ! What karma is responsible for Ekendriya-audariksharira-prayoga-bandh (bondage related to one-sensed gross physical body formation)?
[Ans.] Gautam ! It is the same as aforesaid. २९. [ प्र. ] पुढविक्काइयएगिंदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे एवं चेव। ३०. एवं जाव वणस्सइकाइया। एवं बेइंदिया। एवं तेइंदिया। एवं चउरिदिया।
२९. [प्र. ] इसी प्रकार पृथ्वीकायिक-एकन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबन्ध के विषय में कहना चाहिए।
३०. इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय औदारिकशरीर-प्रयोगबन्ध तथा द्वीन्द्रियत्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबन्ध तक कहना चाहिए।
29. The same should be repeated for Prithvikaavik-ekendrivaaudarik-sharira-prayoga-bandh (bondage related to earth-bodied onesensed gross physical body formation).
| अष्टम शतक : नवम उद्देशक
(211)
Eighth Shatak: Ninth Lesson
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