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38. [Q.] Bhante ! Do the two suns in Jambudveep tend to move towards the region that existed in the past, or the region that exists at 41 present, or the region that will exist in the future ?
[Ans.] Gautam ! They tend to move neither towards the region that i existed in the past, nor towards the region that will exist in the future but only towards the region that exists at present.
३९. [प्र. ] जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति, अणागयं । खेत्तं ओभासंति ? i [उ. ] गोयमा ! नो तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति, नो अणागयं खेत्तं ओभासंति। 1 ३९. [प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र 7 को प्रकाशित करते हैं या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ?
[उ. ] गौतम ! वे अतीत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, और न अनागत क्षेत्र को ही प्रकाशित 5 करते हैं, किन्तु वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं।
39. (Q.) Bhante ! Do the two suns in Jambudveep tend to enlighten Cobhaasanti or udbhasit) the region that existed in the past or the region that exists at present, or the region that will exist in the future ?
[Ans.] Gautam ! They neither tend to enlighten the region that existed in the past, nor the region that will exist in the future but only the region that exists at present.
४०. [प्र. ] तं भंते ! किं पुटं ओभासंति, अपुटं ओभासंति ? [उ. ] गोयमा ! पुटं ओभासंति, नो अपुटं ओभासंति जाव नियमा छद्दिसिं।
४०. [प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? __[उ. ] गौतम ! वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् 5 नियमतः छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं।
40. (Q.) Bhante ! Do the two suns in Jambudveep tend to enlighten the area in contact or the area not in contact ?
[Ans.] Gautam ! They tend to enlighten the area in contact and not the area not in contact ... and so on up to ... as a rule they enlighten all the six directions.
४१. [प्र. ] जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोवेंति ? [उ.] एवं चेव जाव नियमा छद्दिसिं।
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| भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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