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| चित्र - परिचय 12
22 परिषहों का अष्टविध कर्म में समावेश - 3
4. उष्ण परिषह - दाह, ग्रीष्मकालीन सूर्य किरणों का प्रखर ताप, लू आदि की उष्णता से तप्त मुनि द्वारा ठंडक की इच्छा न करना, पंखे आदि से हवा न करना इत्यादि प्रकार से उष्णता की वेदना को समभाव से सहन करना उष्ण परिषह है। 5. दंशमशक परिषह डाँस, मच्छर, खटमल जूँ, चींटी आदि के काटने का परिषह । 6. चर्या परिषह - ग्राम, नगर आदि के विहार में एवं चलने-फिरने में कंकर, पत्थर काँटे आदि से होने वाला कष्ट । 7. शैया परिषह - रहने के स्थान की प्रतिकूलता से होने वाला कष्ट । 8. वध परिषह - तीक्ष्ण, तलवार, मूसल, मुद्गर, चाबुक, डंडा आदि अस्त्रों द्वारा जिस साधक का शरीर तोड़ा मरोड़ा जा रहा है, उसे मार दिया जाता है, फिर भी मारने वालों पर लेशमात्र भी क्रोध न करना वध परिषह है। जैसे खंधक मुनि के 500 शिष्यों को घाणी में पीला गया परन्तु सभी ने समभाव पूर्वक परिषह सहन किया और मोक्ष में गये। 9. रोग परिषह - शरीर में रोग आदि उत्पन्न होने पर उद्विग्न न होना रोग परिषह है । 10. तृणस्पर्श परिषह - घास के बिछौने पर सोते समय शरीर में चुभने से या मार्ग में चलते समय तृणादि पैर में चुभने से होने वाला कष्ट । 11. जल्ल परिषह - शरीर और वस्त्र आदि में चाहे जितना
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मैल लगे, किन्तु उद्वेग को प्राप्त नहीं होना तथा स्नान की इच्छा नहीं करना।
Illustration No. 12
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- शतक 8, उ. 8, सूत्र 27
INCLUSION OF 22 AFFLICTIONS IN EIGHT KARMA SPECIES-3
(4) Ushna-parishaha - Affliction of heat. Even when there is extreme heat an ascetic does not seek means of combating the heat through fan, air conditioning etc. He endures this cold with equanimity. (5) Damsh-mashak-parishaha Affliction of sting caused by insects like mosquitos, bed bugs, lice etc. (6) Charya-parishaha Movement or wandering related affliction, such as pain caused by thorns, pebbles, etc. while walking. (7) Shayya parishaha - Affliction related to place of stay or accommodation. (8) Vadh-parishaha Punishment related affliction. Even when an ascetic is tortured or killed with weapons like sword, mace, whip, stick etc. he avoids even slightest anger towards the tormentor. For example, Khandhak ascetic crushed in an oil extractor along with his 500 disciples but he endured all pain with equanimity and attained liberation. (9) Roag parishaha Ailment related affliction. An ascetic remains calm and tolerant when he suffers an ailment. (10) Trinasparsh-parishaha Hay or straw related affliction. 5 This is caused by straw or thorns hurting in a bed while sleeping or on the path while. walking. (11) Jalla-parishaha - Dirt or slime related affliction. Not to get disturbed and think of bathing or washing no matter how dirty the body or dress is.
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Shatak-8. lesson-8, Sutra-27
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