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म २८. एवं जहा ओरालियसरीरेणं चत्तारि दंडगा भणिया तहा वेउब्वियसरीरेण वि चत्तारि दंडगा ॥ __ भाणियव्वा, नवरं पंचमकिरिया न भण्णइ, सेसं तं चेव।
२८. जिस प्रकार औदारिकशरीर की अपेक्षा चार दण्डक कहे गये, उसी प्रकार वैक्रियशरीर की ॐ अपेक्षा भी चार दण्डक कहने चाहिए। विशेषता इतनी है कि इसमें पंचम क्रिया का कथन नहीं करना चाहिए। शेष सभी कथन पूर्ववत् समझना चाहिए।
28. Like four statements mentioned with regard to gross physical body, four statements should be repeated with regard to the transmutable body. The only difference being that here the fifth activity should not be included, rest of the statement remaining the same.
२९. [प्र. ] एवं जहा वेउब्वियं तहा आहारगं पि, तेयगं पि, कम्मगं पि भाणियव्वं । एक्कक्के चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव वेमाणिया णं भंते ! कम्मगसरीरेहिंतो कइकिरिया ? _[उ. ] गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति.।।
॥ अट्टमसए : छटो उद्देसओ समत्तो ॥ २९. [प्र. ] जिस प्रकार वैक्रियशरीर का कथन किया गया है, उसी प्रकार आहारक, तैजस् और म कार्मणशरीर का भी कथन करना चाहिए। इन तीनों के प्रत्येक के चार-चार दण्डक कहने चाहिए,
यावत्-(प्रश्न-) 'भगवन् ! बहुत-से वैमानिक देव (परकीय) कार्मणशरीरों की अपेक्षा कितनी क्रिया के वाले होते हैं?
[उ.] 'गौतम ! तीन क्रिया वाले भी और चार क्रिया वाले भी होते हैं'; यहाँ तक कहना चाहिए।
हे भगवान् । यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है; (यों कहकर यावत् गौतम स्वामी विचरण करते हैं।)
29. [Q.] The pattern of statements mentioned about transmutable body should also be followed for teleportable (aahaarak), fiery (taijas) 15 and karmic (karman) bodies. Aforesaid four statements should be stated ॐ for each of these up to-[Q.] Bhante ! Relative to many karmic bodies
(karman sharira) of other beings, how many activities many Vaimanik divine beings are capable of getting involved in ?
(Ans.] Gautam ! They are capable of getting involved sometimes in three activities, and sometimes in four activities.
“Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so." With these words... and so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
| भगवती सूत्र (३)
(136)
Bhagavati Sutra (3)
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