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[उ. ] गौतम ! ईर्यापथिक कर्म न नैरयिक बाँधता है, न तिर्यंचयोनिक बाँधता है, न तिर्यंचयोनिक स्त्री बाँधती है, न देव बाँधता है और न ही देवी बाँधती है, किन्तु पूर्वप्रतिपन्नक की अपेक्षा (जिसने पहले ऐर्यापथिक कर्म का बंध किया हो) इसे मनुष्य-पुरुष और मनुष्य-स्त्रियाँ बाँधती हैं; प्रतिपद्यमान की अपेक्षा मनुष्य-पुरुष बाँधता है अथवा (२) मनुष्य-स्त्री बाँधती है, अथवा (३) बहुत-से मनुष्यपुरुष बाँधते हैं या (४) बहुत-सी मनुष्य-स्त्रियाँ बाँधती है, अथवा (५) एक मनुष्य-पुरुष और एक मनुष्य-स्त्री बाँधती है, या (६) एक मनुष्य-पुरुष और बहुत-सी मनुष्य-स्त्रियाँ बाँधती हैं, अथवा (७) बहुत-से मनुष्य-पुरुष और एक मनुष्य-स्त्री बाँधती है, अथवा (८) बहुत-से मनुष्य-नर और बहुत-सी मनुष्य-नारियाँ बाँधती हैं। ___11. [Q.] Bhante ! Is the bondage of Iryapathik-karma acquired by an infernal being (nairayik), or a male or female animal (tiryanch-yonik), or a male or female human being, or a male or female divine being ?
(Ans.] Gautam ! The bondage of Iryapathik-karma is acquired neither by an infernal being (nairayik), nor by a male or female animals (tiryanch-yonik), or by a male or female divine being. Relative to the past, it is acquired by men and women. Relative to the present it is acquired by a man, or a woman, many men, or many women, or one man and one woman, or one man and many women, or many men and one woman, or many men and many women.
१२. [प्र. ] तं भंते ! किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधंइ, नपुंसगो बंधति, इत्थीओ बंधति, पुरिसा बंधंति, नपुंसगा बंधति ? नोइत्थी-नोपुरिसो-नोनपुंसगो बंधइ ? । [उ. ] गोयमा ! नो इत्थी बंधइ, नो पुरिसो बंधइ जाव नो नपुंसओ बंधइ। पुवपडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा वा बंधति, पडिवज्जमाणए य पडुच्च अवगयवेदो वा बंधंति, अवगयवेदा वा बंधंति।
१२. [ प्र. ] भगवन् ! ऐर्यापथिक (कर्म) बन्ध क्या स्त्री बाँधती है, पुरुष बाँधता है, नपुंसक बाँधता है, स्त्रियाँ बाँधती हैं, पुरुष बाँधते हैं या नपुंसक बाँधते हैं, अथवा नो-स्त्री, नो-पुरुष, नो-नपुंसक बाँधता है? _[उ. ] गौतम ! इसे स्त्री नहीं बाँधती, पुरुष नहीं बाँधता, नपुंसक नहीं बाँधता, स्त्रियाँ नहीं बाँधतीं, पुरुष नहीं बाँधते और नपुंसक भी नहीं बाँधते, किन्तु पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा वेदरहित (बहु) जीव बाँधते हैं, अथवा प्रतिपद्यमान की अपेक्षा वेदरहित (एक) जीव बाँधता है या वेदरहित बहुत से जीव बाँधते हैं।
___ 12. [Q.] Bhante ! Is the bondage of Iryapathik-karma acquired by a woman, by a man, by a eunuch, by women, by men, or by eunuchs or by
non-woman, by non-men or by non-eunuch (non-genderic or gender transcendent)?
听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。
अष्टम शतक : अष्टम उद्देशक
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Eighth Shatak : Eighth Lesson
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