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5 गर्हा, आलोचनादि करके उससे निवृत्त होता है) तथा वर्तमानकालीन प्राणातिपात का संवर (निरोध)
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करता है, एवं अनागत ( भविष्यत्कालीन ) प्राणातिपात का प्रत्याख्यान करता ( उसे न करने की प्रतिज्ञा लेता है।
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卐 5. [Q. 1] Bhante ! If a shravak has not initially renounced killing of gross living beings what does he do when he renounces the same later?
[Ans.] Gautam ! He atones for any killing he did in the past (he gets
rid of the sin by condemning, censuring, and criticizing it), refrains from 卐
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killing in the present and renounces killing (takes a vow not to kill) in the future.
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५. [ प्र. १ ] भगवन् ! जिस श्रमणोपासक ने (पहले) स्थूल प्राणातिपात का प्रत्याख्यान नहीं किया 5
वह पीछे उसका प्रत्याख्यान करता हुआ क्या करता है ?
[ उ. ] गौतम ! अतीतकाल में किये हुए प्राणातिपात का प्रतिक्रमण करता है (उक्त पाप की निन्दा,
५. [प्र.२ ] तीयं पडिक्कममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति १, तिविहं दुविहेणं पडिक्कमति
[उ.] गोयमा ! तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा दुविहेणं पडिक्कमति तं चैव जाव एगविहं वा एगविणं पडिक्कमति ।
तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा वयसा कायसा १;
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तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा वयसा २; अहवा
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15 न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा कायसा ३; अहवा न करेइ, न कारवेति, करेंतं जाति, वसा कायसा ४ ।
२, तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति ३, दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति ४, दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति ५,
दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति ६, एगविहं तिविहेणं पडिक्कमति ७, एगविहं दुविहेणं पडिक्कमति ८, एगविहं एगविणं पडिक्कमति ९ ?
तिविहं एगविणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा ५; अहवा न करेइ, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, वयसा ६; अहवा न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, कायसा ७ ।
विहं तिविणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेति, मणसा वयसा कायसा ८; अहवा न करेति, करेंतं णाणुजाण, मणसा वयसा कायसा ९; अहवा न कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ; मणसा वयसा
कायसा १०।
दुविहं दुविणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति, मणसा वयसा ११; अहवा न करेति, न कारवेति, मणसा कायसा १२; अहवा न करेति, न कारवेति, वयसा कायसा १३; अहवा न करेति,
भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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