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म ३. [प्र. ] समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ जायं चरेज्जा, से णं भंते ! किं जायं चरइ, अजायं चरइ ?
[उ. ] गोयमा ! जायं चरइ, नो अजायं चरइ। ॐ ३. [प्र. ] भगवन् ! सामायिक करके उपाश्रय में बैठे हुए श्रावक की पत्नी (जाया) के साथ कोई + लम्पट पुरुष व्यभिचार करता है, तो क्या वह (व्यभिचारी) जाया (श्रावक की पत्नी) को भोगता है, या # अजाया (दूसरे की स्त्री) को भोगता है ? ज [उ. ] गौतम ! वह (व्यभिचारी पुरुष) उस श्रावक की जाया को भोगता है, अजाया (दूसरे की स्त्री के को) नहीं भोगता।
3. (Q.) Bhante ! Suppose a shravak (a lay follower) is sitting in an ascetic-lodge (upashraya) performing Samayik. At that time if a rogue violates his wife's modesty then does that rogue enjoy the shravak's wife (jaaya) or a woman who is not that shravak's wife (ajaaya)?
(Ans.] Gautam ! He (the rogue) enjoys the shravak's wife (jaaya) and not a woman who is not that shravak's wife (ajaaya). ॐ ४. [प्र. १ ] तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्यय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि सा जाया + अजाया भवइ ?
[उ. ] हंता, भवइ।
४. [प्र. १ ] भगवन् ! शीलव्रत, गुणव्रत, विरमण, प्रत्याख्यान और पौषधोपवास कर लेने से क्या ॐ उस श्रावक की वह जाया 'अजाया' हो जाती है ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! (साधनाकाल में) श्रावक की जाया, अजाया हो जाती है।
4. [Q.1] Bhante ! Does his wife (jaaya) become non-wife (ajaaya) for a shravak who has accepted sheel-vrats (instructive or complimentary vows of spiritual discipline), Gunavrats (restraints that reinforce the practice of anuvrats), Viraman-vrats (five minor vows), Pratyakhyan (codes of renouncing) and Paushadhopavas (partial ascetic vow and
fasting). (In other words while performing Samayik does his wife still ____remain his?)
[Ans.) Yes, Gautam ! His wife becomes non-wife for him. ४. [प्र. २. ] से केणं खाइ णं अट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ 'जायं चरइ, नो अजायं चरइ' ?
[उ. ] गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-णो मे माता, णो मे पिता, णो मे भाया, णो मे भगिणी, णो मे भजा, णो मे पुत्ता, णो मे धूता, नो मे सुण्हा, पेज्जबंधणे पुण से अव्योच्छिन्ने भवइ, से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव नो अजायं चरइ।
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| भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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