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___ [Ans.] Gautam ! They are also said to be infinite. ज्ञान और अज्ञान के पर्यायों का अल्पबहुत्व COMPARATIVE NUMBERS OF PARYAYAS
१४४. [प्र. ] एएसि णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं सुयनाणपज्जवाणं ओहिनाणपज्जवाणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं केवलनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ? _ [उ. ] गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, ओहिनाणपज्जया अणंतगुणा, सुयनाणपज्जवा अणंतगुणा, आभिणिबोहियनाणपज्जवा अणंतगुणा, केवलनाणपज्जवा अणंतगुणा।
१४४. [प्र. ] भगवन् ! इन (पूर्वोक्त) आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यायज्ञान और केवलज्ञान के पर्यायों में किनके पर्याय, किनके पर्यायों से अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? _[उ. ] गौतम ! मनःपर्यायज्ञान के पर्याय सबसे थोड़े हैं। उनसे अवधिज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। उनसे श्रुतज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। उनसे आभिनिबोधिकज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं और उनसे केवलज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। ___144. [Q.] Bhante ! Of the sub-categories (paryayas) of aforesaid Abhinibodhik-jnana, Shrut-jnana, Avadhi-jnana, Manah-paryav-jnana and Keval-jnana, which are comparative. less, more, equal and much more? ___ [Ans.] Gautam ! The paryayas of Manah-paryav-jnana are minimum. Infinite times more than these are paryayas of Avadhi-jnana. Infinite times more than these are paryayas of Shrut-jnana. Infinite times more than these are paryayas of Abhinibodhik-jnana and infinite times more these are paryayas of Keval-jnana.
१४५. [प्र. ] एएसि णं भंते ! मइअन्नाणपज्जवाणं सुयअन्नाणपज्जवाणं विभंगनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ?
[उ. ] गोयमा ! सव्वत्थोवा विभंगनाणपज्जवा, सुयअन्नाणपज्जवा अणंतगुणा, मइअन्नाणपज्जवा अणंतगुणा।
१४५. [प्र. ] भगवन् ! इन (पूर्वोक्त) मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंगज्ञान के पर्यायों में, किनके पर्याय, किनके पर्यायों से अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
[उ. ] गौतम ! सबसे थोड़े विभंगज्ञान के पर्याय हैं, उनसे श्रुत-अज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं और उनसे मति-अज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं।
145. (Q.) Bhante ! Of the sub-categories (paryayas) of aforesaid Matiajnana, Shrut-ajnana and Vibhang-jnana (pervert knowledge), which are comparative. less, more, equal and much more?
[Ans.] Gautam ! The paryayas of Vibhang.jnana are minimum.
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अष्टम शतक : द्वितीय उद्देशक
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Eighth Shatak : Second Lesson
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