________________
155555****************ததததததத*********
i
[उ. ] गोयमा ! से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ । दव्वओ मइ अन्नाणी मइ अन्नाणपरिगताई दव्वाइं जाणइ पासइ । एवं जाव भावओ णं मइअन्नाणी मइ अन्नाणपरिगए भावे जाणइ पासइ ।
१ ३३ . [ प्र. ] भगवन् ! मति-अज्ञान का विषय कितना है ?
[ उ. ] गौतम ! मति- अज्ञान का विषय संक्षेप में चार प्रकार का है । यथा द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से और भाव से । द्रव्य से, मति-अज्ञानी, मति- अज्ञान-परिगत (मति - अज्ञान के विषयभूत) द्रव्यों को जानता और देखता है। इसी प्रकार यावत् भाव से मति - अज्ञानी मति - अज्ञान के विषयभूत भावों को 5 जानता और देखता है।
卐
133. [Q.] Bhante ! How wide is the scope (vishaya) of mati-ajnana 5 (wrong sensual knowledge ) ?
१३४. [ प्र. ] सुयअन्नाणस्स णं भंते! केवइए विसए पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। दव्वओ अन्नाणी सुयअन्नाणपरिगयाइं दव्वाई आघवेइ पण्णवेइ परूवेइ । एवं खेत्तओ कालओ । भावओ णं सुयअन्नाणी सुयअन्नाणपरिगए भावे आघवेइ तं चेव ।
[Ans.] Gautam ! In brief the scope (vishaya) of Mati-ajnana (wrong 5 sensual knowledge) has four domains-those related to substance or 卐 matter (dravya), area or space (kshetra ), time (kaal) and state or mode 5 (bhaava). As to substance, a living being with Mati-ajnana knows and sees substances within its scope. The same is true for other domains up to as to state, a living being with Mati-ajnana knows and sees states within its scope.
卐
अष्टम शतक: द्वितीय उद्देशक
2 95 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 555 555595555555955 5 -
65
卐
१ ३४. [ प्र. ] भगवन् ! श्रुत- अज्ञान का विषय कितना है ?
卐
[उ.] गौतम ! श्रुत- अज्ञान का विषय संक्षेप में चार प्रकार का है । यथा-द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से और भाव से । द्रव्य से, श्रुत- अज्ञानी श्रुत - अज्ञान के विषयभूत द्रव्यों का कथन करता है, उन द्रव्यों को फ बतलाता है, उनकी प्ररूपणा करता है। इसी प्रकार क्षेत्र से और काल से भी जान लेना चाहिए । भाव की अपेक्षा श्रुत- अज्ञानी श्रुत - अज्ञान के विषयभूत भावों को कहता है, बतलाता है, प्ररूपित करता है। 134. [Q.] Bhante ! How wide is the scope (vishaya) of Shrut-ajnana (wrong scriptural knowledge ) ?
Jain Education International
( 81 )
Eighth Shatak: Second Lesson
卐
[Ans.] Gautam ! In brief the scope (vishaya) of Shrut-ajnana (wrong scriptural knowledge) has four domains-those related to substance or matter (dravya), area or space (kshetra ), time (kaal) and state or mode 5 (bhaava ). As to substance a living being with Shrut-ajnana says, elaborates and propagates substances within its scope. The same is true for domains of space and time. As to state a living being with Shrutajnana says, elaborates and propagates states within its scope.
For Private & Personal Use Only
卐
卐
फ्र
卐
卐
www.jainelibrary.org