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सूत्रकृतागयो वाभारकजीवान् यातनया संत्रासितान् शिरोऽधः कृत्वा कर्त्तयन्ति । तथालोहशस्त्रेण तदीयदेहावयवं खण्डशः खण्डयन्तीति भावः ॥८॥ मूळम्-समूसिया तत्थ विसूणियंगा, पेक्खीहिं खजति अओमुहेहि। संजीवणी नाम चिरद्वितीया, जंसी पयों हम्मइ पांवचेया॥९॥ छाया-समुच्छ्रितास्तत्र विशूणितांगाः पक्षिभिः खाद्यन्तेऽयोमुखैः ।
___ संजीवनी नाम चिरस्थितिका यस्यां प्रना हन्यन्ते पापचेतसः॥९॥ तीव्र शोक से संतप्त हो जाते हैं और करुणाजनक रुदन करते हैं। वहां पर परमाधार्मिक यातनाओं से त्रस्त उन नारक जीवों का मस्तक नीचा करके काट डालते हैं और लोहे के शस्त्रों से उनके शरीर के अवयवों को खण्ड खण्ड कर देते हैं ॥८॥ 'समूसिया' इत्यादि।
शब्दार्थ-'तत्थ-तत्र' उस नरक में 'समूसिया-समूच्छ्रिताः' नीचे मुख करके लटकाए हुए 'विसूणियंगा-विशूणिताङ्गाः' तथा शरीर से चमडा उखाड लिए हुए वे नारकिजीव 'अोमुहेहि-अयोमुखैः' लोह की चंचुवाले पक्विहि-पक्षिभिः' पक्षियों के द्वारा 'खज्जतिखाद्यन्ते' खाये जाते हैं 'संजीवणी नाम-संजीवनी नाम' नरक की भूमि संजीवनी है क्यों कि मरणतुल्य कष्ट पाकर भी प्राणी उसमें मरते नहीं हैं 'चिरहिनीया-चिरस्थितिकाः' तथा उसकी आयु अधिक होती
કારણે તેઓ ખૂબ જ ચિકારે કરે છે. તેમના તે ચિત્કારની પરમધામિક અસુરે પર બિલકુલ અસર થતી નથી. તેઓ તેને વધારે યાતનાઓ આપે છે. તેમના મતકને તેઓ છેદી નાખે છે અને લેઢાના તણ શસ્ત્રો વડે તેમનાં અવયના ટુકડે ટુકડા કરી નાખે છે. તે _ 'भमूखिया' त्यादि
साथ-'तत्थ-तत्र' ते २४मा 'समूनिया-समुच्छिताः' नाय माटु शन ana 'विसूणियंगा-विशूणिताङ्गाः' तथा शरीरथी याम माडी सीधे ते ना6ि0 'अओमुहेहि-अयोमुखैः' ५'3नावी १२ यायवाणा 'पक्खिहिपक्षिभिः' पक्षियोना २१ 'खज्जति-खाद्यन्ते' माय छ. 'संजीवणी नाममंजीवनी नाम' न२४ी भूमी २०१नी ४ाय छे. म, तुल्य ? पामीन ५५ प्राणी मां भRai ना. म 'चिरद्वितीया-चिरस्थितिका' तना
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