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सूत्रकृताङ्गसूत्रे क्रोधं कृत्वा 'से' तेषां नारकजीवानाम् 'ककाणओ' मर्माणि मर्मस्थानानि अपरपरमाधार्मिकान् आज्ञाप्य 'विशति' विद्धयन्ति-छेदयन्ति ॥१५॥ मूलम्-बाला बेला भूमिम[कमंता पविजलं कंटइलें महंतं । विबद्धतप्पेहि विसपणचित्ते समीरिया कोहबलि करिति॥१६॥ छाया-बाला बलाद् भूमिमनुक्राम्यमाणा प्रदीप्तजलां कण्टाविलां महतीम् ।
विवध्यतः विषण्णचित्तान् समीरिताः कोवलिं कुर्वन्ति ॥१६॥ सहन कर पाते तब परमाधार्मिक क्रुद्ध होकर उनके मर्मस्थानों को वेधते हैं या दूसरे परमाधार्मिकों को आदेश देकर उनसे विधवाते हैं ॥१५॥
'बाला' इत्यादि।
शब्दार्थ-'याला-बाला:' पालक के समान पराधीन नैरयिक जीव नरकपालों के द्वारा 'बला-बलात्' बलात्कार से 'पविज्जलं-प्रदीप्तजला' रुधिर के कीचड से भरी हुई 'कंटहलं-कण्टाविलाम्' तथा कांटों से युक्त 'महंत-महतीं विशाल 'भूमि-भूमिम्' पृथिवी पर 'अणुकमंता-अनुक्राम्यमाणाः' परमाधार्मिकों के द्वारा चलाये जाते एवं 'समीरिया-समीरिता' पापकर्म से प्रेरित किये हुए नारकों को 'विपद्धतपेहि-विवध्यतः' अनेक प्रकार के बन्धनों से बांध कर 'विसण्गचित्ते-विषण्णचित्तान्' मूञ्छित ऐसे दुसरे नारक जीवों को 'कोवलि करिति-कोट्टवलिं कुर्वन्ति' काटकाट कर खण्ड खण्ड करके इधर उधर फेंक देते हैं ॥१६॥ પીઠ પર ચડી બેઠેલા જીવોને ભાર વહન કરવાને અસમર્થ હોવાને કારણે ચાલતાં થંભી જાય છે, ત્યારે પરમધામિક ગુસ્સે થઈને તેમના મર્મસ્થાનેને વીંધી નાખે છે, અથવા અન્ય પરમધામિકેને આદેશ દઈને તેમના દ્વારા તે નારકેના મર્મસ્થાન પર પ્રહાર કરાવે છે. ૧પ.
'बाला' त्यादि
शा--- 'बाला-बालाः' मना समान पराधीन-माने साधीननरवि 94 न२४ाना 'बला-बलात्' ५८२थी पविज्जलं-प्रदीप्तजलाम्' सोडिन। यि3थी मरे कंटइलं-कण्टाविलाम्' तथा माथी यु महंत-महतीं' विश 'भूमि-भूमिम्' पृथ्वी ७५२ 'अणुक्कमंता-अनुक्काम्यमाणाः' ५२भाषामना द्वारा सापामा माता भने 'समीहिया-समीहिताः' ५।५४ थी ग्रेरित ४२। 'विबद्धतप्पेहि-विबध्यतः' भने १२ना मनोथी मांधार विसण्णचित्तेविषण्णचित्तान्' भूत मे भी ना२४ वान कोवलि करिति-कोवलिं कुर्वन्ति' अपी पान १४॥ १७॥ ४२ म त है छे. ॥१६॥
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