Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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उत्तरपयडिऋणुभाषाको आदिमा असण्णापरूवणा
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जीएफ | *खवगुणश्लामावासमभागसंकमा सन्यादी पा देसवादी वा agाणि वा यद्वाणि वा । -THE BI TAs propps #gy § ६८. एदस्स सुत्तस्स अत्थो बुच्चदे । जहाँ गवसमिसे एदैसि सुँकस्साणुमासंक्रमो प्रेद्वाणिको सवादीचे, अपुरणीकेसनसमा तदुपलभा हो । अणुवस्सा णुमाको वेडापिओं एठ्ठा ओविणारी महासमादी या । एाणिओ कत्थीखगोटीसु, अमिरकरणी कादूपेणामिभागं गंधमापस्तमुद्धावयकमावत्या किडीवेदगकीसम्मंतरे। संपादितं की तस्व लक्ष्मण जहम्णा गुणुभागसंक्र दिशि दी एण्डागिओ' या महामित्रांवरसः किडीणां चारिमसमयका संगाप तदुक लंभादो । अजहण्णाणुभागसंकमो एयट्ठाणिओ वेट्ठाणिओ वा देसबादी वाडवाडी-रू, अयुक्तस्सस्सेव तदुवशंभादोः । एवप्रेदेखि शृण्णा चित्तेसं स्तवित्र संप्रति सस्मताणुभ्रा गृसंकमस्स सपनाविशेस विहासण्यचा
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• सम्मर्ता अणुभागसंकमो विचमा बिसघायो । Lfsize BEDSE SPUR
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* मात्र क्षपक और उपशामक जीवके उनका अनुभागसंक्रम सर्वघाति भी होता - और देशांत भी होता है। तथा दिस्थानिक भी होता है और एकस्थानिक भी होता है। - 1 TER S Refery FTS 13 TOTE 195
अब इस सूचका अर्थ कहते हैं । यथा— क्षपक और उपशामक जीवोंमें चार संज्वलन और परुषवेद इन पाँच कर्माका उत्कृष्ट अनुभागसँक्रम द्विस्थानिक और सर्वधाति ही होता है, क्योंकि अपूर्वकरणमें प्रवेश करनेके प्रथम समयमै उसका उपलब्धि होती है। अनुष्कृष्ट अनुभागद्विस्थानिक भी होता है और एकस्थानिक भी होता है। “तथा सर्वघाति भी होता है और PES PREPE SUPE भी होता है । एका एकथानिक अनुभागक्रम कहाँ पर उपलब्ध होता दे में कई ने एक उप नः समाधान उपन पि और उपश्यामन सिमैं अन्तरकरण करके एकस्थानिक, अनुभागका करनेवाले जीव के युद्ध जबकी संक्रमरूप अवस्थामें और कृष्टिवेदककालके भीतर एकस्थानिक अनुभागसंक्रम उपलब्ध होता है तथा वहीं पर उसका देशघाविषना पाया जाता है । इन मका जघन्य अनुभागसंक्रम देशघाति और एकस्थानिक होता है, क्योंकि यथासम्भव चकबन्धको कृष्टियोंक सकर्मक अन्तिम समय में वह उपलब्ध होता है। अजघन्य अनुभाग्रसंक्रम स्थानिक भ 'होता', 'और द्विस्थानिक भी होता है। तथा देशघाति भी होता है और सर्वधाति थी होता है, क्योंकि जिस प्रकार इन कनाक अनुष्टमें इन भेदाना उपलब्ध होती है उसी प्रकार के जाते हैं।" इस प्रकार इनकी संज्ञाविशेषका कथन करके अब 'सम्यक्त्वक जानुमक संज्ञाविशेषको व्याख्यान करने के लिए आपका सत्र क कहते * सम्यकत्वका अनुभागसंक्रम नियमसे देशघाति होता है
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