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बचपन से ही उनके दिल में झूठ-कपट-चोरी-लुच्चापन-लोभ वगैरह नहीं थे। जैसा मन में था वैसा ही वाणी में होता था और वर्तन में वैसा आ जाता था, मन-वचन-काया की ऐसी एकता वाली दशा थी!
पूरा जीवन उन्होंने समझदारी से जिया कि किसी के लिए ज़रा सा भी बाधक बनेंगे तो खुद को बाधकता आएगी। इसलिए वे किसी के लिए भी बाधक नहीं हुए। इस तरह की प्रेक्टिस रखी।
उनके जीवन में मुख्य गुण था सरलता। दूसरों की सही बात हो तो वे तुरंत एक्सेप्ट कर लेते थे।
[10.2 ] ममता नहीं बचपन में गाँव में सभी दोस्तों के साथ खेत में जाते थे। मोगरी, मूली, शकरकंद कुछ भी ताज़ा तोडकर खाते थे। भट्टे भी खाते थे। दूसरे बच्चे तो बाँधकर घर ले जाते थे लेकिन वे साथ में कुछ भी नहीं ले जाते थे। संग्रह करने की आदत ही नहीं थी। लोभ नाम का गुण ही नहीं था उनमें, लालच और ममता नहीं थी। इस प्रकार बचपन से ही उच्च प्राकृत गुण लेकर आए थे।
[10.3] ओब्लाइजिंग नेचर उन्होंने पूरी जिंदगी औरों की हेल्प करने में ही बिताई। घर से कोई काम करने जाना होता तो अड़ोस-पड़ोस में पूछकर उनके काम भी कर आते थे। ताकि उन्हें दूसरा चक्कर नहीं लगाना पड़े। इस प्रकार खुद अपना काम करते-करते आसपास वालों के लिए भी हेल्प फुल हो जाते थे। उन्हें खुद को आनंद आता था और आसपास वाले भी खुश हो जाते थे।
वे जब भादरण से बड़ौदा आते थे तब वे लोगों द्वारा मँगवाई हुई चीजें खरीदकर ले जाते थे। अपनी जेब के पैसे डालकर और उन्हें ऐसा बताते थे कि 'चीज़ सस्ती मिली'। वे खुद इस तरह से हेल्प करते थे कि लोगों को दुःख न हो।
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