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सभी दायित्व अत्यन्त श्रद्धाभाव से पूर्ण किए हैं वे भी साधुवाद एवं आशीर्वाद के पात्र
एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की समप्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहार पूर्ति मात्र है । वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है | __ इस शास्त्र के सम्पादन में पूरी तरह जागरूकता के साथ कार्य किया गया है फिर भी मानव अल्पज्ञ है अतः कोई न कोई त्रुटि का रह जाना स्वाभाविक है । इसलिए सुविज्ञ पाठकों से अनुरोध है कि वे त्रुटि का संशोधन करके पढ़ें और हमें भी उसकी सूचना देकर कृतार्थ करें ।
युवाप्रज्ञ डा. सुव्रत मुनि शास्त्री
एम.ए. पी.एच.डी.
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