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- छब्बीस -
व्युत्सर्ग के भेद ध्यान
२२१ २२२
२२४ २२५ २२५ २२६ २२६
२२७
२३०
२३१
२३२
अधिकारी २२२, स्वरूप २२३, काल का परिमाण २२३ ध्यान के भेद और उनका फल चारों घ्यानों के भेद और अधिकारी आर्तध्यान रौद्रध्यान धर्मध्यान
भेद २२६, स्वामी २२७ शुक्लध्यान
स्वामी २२८, भेद २२८, पृथक्त्ववितर्क-सविचार २२९, एकत्ववितर्क-निर्विचार २२९, सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाती २३०,
समुच्छिन्नक्रियानिवृत्ति २३० सम्यग्दष्टियों की कर्मनिर्जरा का तरतमभाव निग्रन्थ के भेद निर्ग्रन्थों की विशेषता-द्योतक आठ बातें
संयम २३२, श्रुत २३२, प्रतिसेवना (विराधना ) २३३. तीर्थ ( शासन ) २३३, लिङ्ग २३३, लेश्या २३३, उपपात (उत्पत्तिस्थान ) २३३, स्थान (संयम के स्थान -प्रकार ) २३४
१०. मोक्ष कैवल्य की उत्पत्ति के हेतु कर्म के आत्यन्तिक क्षय के कारण और मोक्ष का स्वरूप अन्य कारण मुक्त जोव का मोक्ष के बाद तुरन्त ऊर्ध्वगमन सिध्यमान गति के हेतु सिद्धों की विशेषता-द्योतक बारह बाते
क्षेत्र २३८, काल २३८, गति २३९, लिङ्ग २३९, तीर्थ २३९, चारित्र २३९, प्रत्येकबुद्धबोधित २३९, ज्ञान २३९, अवगाहना २४०, अन्तर २४०, संख्या २४०,
अल्पबहुत्व २४० अनुक्रमणिका
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