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- पच्चीस - पुण्य और पाप प्रकृतियाँ
पुण्यरूप में प्रसिद्ध ४२ प्रकृतियाँ २०५, पापरूप में प्रसिद्ध ८२ प्रकृतियां २०५
९. संवर-निर्जरा संवर का स्वरूप संवर के उपाय गुप्ति का स्वरूप समिति के भेद धर्म के भेद
क्षमा २०८, मार्दव २०९, आर्जव २०९, शौच २१०, सत्य २१०, संयम २१०, तप २१०, त्याग २१०, आकिंचन्य
२१०, ब्रह्मचर्य २१० । अनुप्रेक्षा के भेद
अनित्यानुप्रेक्षा २११, अशरणानुप्रेक्षा २११, संसारानुप्रेक्षा २११, एकत्वानुप्रेक्षा २१२, अन्यत्वानुप्रेक्षा २१२, अशुचित्वानुप्रेक्षा २१२, आस्रवानुप्रेक्षा २१२, संवरानुप्रेक्षा २१२, निर्जरानुप्रेक्षा २१२, लोकानुप्रेक्षा २१३, बोधिदुर्लभत्वानुप्रेक्षा २१३, धर्मस्वाख्यातत्वानुप्रेक्षा २१३
२०६ २०६ २०७ २०७ २०८
२११
परीषह
२१३
२१७
लक्षण २१४, संख्या २१४, अधिकारी-भेद २१६, कारण
निर्देश २१६, एक साथ एक जीव में संभाव्य परीषह २१७ चारित्र के भेद
सामायिकचारित्र २१७, छेदोपस्थापनचारित्र २१७, परिहारविशुद्धिचारित्र २१८, सूक्ष्मसंपरायचारित्र २१८,
यथाख्यातचारित्र २१८ तप
बाह्य तप २१९, आभ्यन्तर तप २१९ प्रायश्चित्त आदि आभ्यन्तर तपों के भेद प्रायश्चित्त के भेद विनय के भेद वैयावृत्त्य के भेद स्वाध्याय के भेद
२१८
२१९
२१९
२२०
२२०
२२१
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