Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४, १, २. ]
कदिअणियोगद्दारे देसोहिणाणपरूवणा
( ३१
सगुक्कस्सकालादो असंखेज्जगुणकालुष्पत्तीए च । तं जहा - देसोहीए उक्कस्सखेत्तं लोगो । उक्कस्सकालो समऊणपल्लं । तत्थ एक्कस्स समयस्स जदि अंगुलरस असंखेज्जदिभागमेत्तखेत्तवियप्पा लब्भंति तो आवलियाए असंखेज्जदिभागूणपल्लम्मि केवडिखेत्तवियप्पे लभामो त्ति पमाणेण इच्छा गुणिदफलम्मि भागे हिंदे असंखेज्जाणि घणंगुलाणि चेव वुप्पज्जंति, ण उक्कस्सदसोहिक्खेत्तं लोगो । अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमेत्तेसु खेत्तवियप्पे गदेसु जदि कालस्स एगो समओ वड्डदि तो अंगुलस्स असंखेज्जदिभागेणूणलोगम्मि केवडियसमयवुद्धिं पेच्छामो ति फलगुणिदिच्छा पमाणेण जदि ओवट्टिज्जदि तो लोगस्स असंखेज्जदिभागो आगच्छदि, ण देसो हिउक्कस्सकालो समऊणपल्लं । तम्हा आवलियाए असंखेज्जदिभागेणूणसमऊणपल्लेण जहण्णोहिखेत्तेणूणलोगे भागे हिदे लोगस्स असंखेज्जदिभागो आगच्छदि । एत्तिसु खेत्तवियप्पे गदेसु कालम्मि एगसमयवुड्डीए होदव्वमण्णहा पुव्वुत्तदोपसंगादोत्ति ?
दं घडदे, एयंतेवमिच्छिज्जमाणे वग्गणाए गाहासुत्त उत्तखेत्ताणमणुप्पप्तिप्पसंगादो । तं जहा - कालेण आवलियाए संखेज्जदिभागं जाणंतो खेत्तेण अंगुलस्स संखेज्जदिभागं
कालसे असंख्यातगुणा काल उत्पन्न होगा । वह इस प्रकारसे - देशावधिका उत्कृष्ट क्षेत्र लोक है । उत्कृष्ट काल एक समय कम पल्य है। ऐसी स्थिति में एक समयके यदि अंगुलके असंख्यातवें भाग मात्र क्षेत्रविकल्प प्राप्त होते हैं तो आवलीके: असंख्यातवें भागसे कम पल्य में कितने क्षेत्र विकल्प प्राप्त होंगे, इस प्रकार इच्छा राशिसे गुणित फल राशिमें प्रमाण राशिका भाग देने पर असंख्यात घनांगुल ही उत्पन्न होते हैं, न कि उत्कृष्ट देशावधिका क्षेत्र लोक। अंगुलके असंख्यातवें भाग मात्र क्षेत्रविकल्पोंके वीत जानेपर यदि कालका एक समय बढ़ता है तो अंगुलके असंख्यातवें भागसे हीन लोक में कितनी समयवृद्धि होगी, इस प्रकार फल राशिले गुणित इच्छा राशिको यदि प्रमाण राशिसे अपवर्तित किया जाय तो लोकका असंख्यातवां भाग आता है, न कि देशावधिका उत्कृष्ट काल समय कम पल्य । इसलिये आवलीके असंख्यातवें भागसे हीन समय कम पल्यका जघन्य अवधिक्षेत्र से रहित लोक भाग देनेपर लोकका असंख्यातवां भाग आता है । इतने क्षेत्र विकल्पोंके वीतनेपर कालमें एक समय वृद्धि होना चाहिये, क्योंकि, अन्यथा पूर्वोक्त दोषोंका प्रसंग आवेगा ?
समाधान - यह घटित नहीं होता, क्योंकि, एकान्ततः ऐसा स्वीकार करनेपर वर्गणाके गाथासूत्रोंमें कहे हुए क्षेत्रोंकी अनुत्पत्तिका प्रसंग आवेगा । वह इस प्रकार सेकालकी अपेक्षा आवलीके संख्यातवें भागको जाननेवाला क्षेत्रसे अंगुलके संख्यातवें
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