Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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संडागमै पैयणाखंड
t, t, ot. तेउकाइय-सव्वसुहुमवाउकाइय-सव्वसुहुमवणफदिकाइय-णिगोद-सुहुमवणप्फदि-सुहमणिगीदाणं तेसिं पज्जत्तापजत्ताणं बादरपुढवीकाइय-बादरआउकाइयाणं तेसिमपञ्जताणं बादरवणप्फदि-बादरणिगोदाणं तेसिं पज्जत्तापज्जत्ताणं बादरवणप्फदिपत्तेयसरीराणं तेसिमपज्जताणं खेतमंगो। बादरपुढवीकाइय-बादरआउकाइय-बादरवणप्फदिपत्तेयसरीरपज्जत्ताणं पंचिंदियअपजैत्तमंगो। तेउकाइय-वाकाइयाणं एइंदियभंगा। बादरतेउकाइयाणं ओरालियसंघादणकदीए खेतमंगो। सेसपदाणं तिरिक्खमंगो । बादरतेउकाइयपज्जत्ताणं पंचिंदियतिरिक्खभंगो । पादरवाउकाइयाणं बादरएइंदियभंगो । बादरवाउकाइयपज्जताणं ओरालियसंघादणकदीए लोथस्स संखेज्जदिभागो। ओरालियपरिसादणकदीए वेउब्बियतिण्णिपदाणं तिरिक्खभंगो । भोरालियसंपादण-परिसादणकदीए तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदीए लोगस्स असंखेज्जदिभागो संबलोगो वा । बादरवाउकाइयअपज्जत्ताणं वादरेइंदियअपज्जत्तमंगो। तसकाइय. तिण्णिपदाणं पंचिंदियतिगमंगो।
पंचमणजोगि-पंचवचिजोगीणं ओरालियसंघादण-परिसादणकदीए लोगस्स असंखे
सर सूक्ष्म तेजकायिक, सर्व सूक्ष्म वायुकायिक, सर्व सूक्ष्म वनस्पतिकायिक, निगोद जीव, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक, सूक्ष्म मिगोद जीव, उनके पर्याप्त-अपर्याप्त, पादर पृथिवीकायिक, बादर जलकायिक, उनके अपर्याप्त, बादर वनस्पति, बादर निगोद, उनके पर्याप्त व अपर्याप्त, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकभारीर तथा उनके अपर्याप्त जीवोंकी प्ररूपणा क्षेत्रप्ररूपणाके समान है। बादर पृथिवीकापिक, बादर जलकायिक व बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त जीवोंकी प्रकपणा पंचेन्द्रिय अपर्याप्तोंके समान है । तेजकायिक और वायुकायिक जीवोंकी प्ररूपणा एकेन्द्रिपोंके समान है। बादर तेजकायिक जीवोंमें औदारिकशरीरकी संधातनकृति युक्त जीबोकी प्ररूपणा क्षेत्रप्ररूपणाके समान है। शेष पदोंकी प्ररूपणा तिर्योंके समान है। बादर तेजकायिक पर्याप्त जीवोंकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंके समान है। बादर वायुकायिक जीवोंकी प्ररूपणा बादर एकेन्द्रिय जीवोंके समान है। बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवों में मौदारिकशरीरकी संघातनकृति युक्त जीवों द्वारा लोकका संख्यातवां भाग स्पर्श किया गया है । औदारिकशरीरकी परिशासनकृति तथा बैक्रियिकशरीरके तीनों पद युक्त जीवोंकी प्ररूपण तिर्यचोंके समान है। औदारिकशरीरकी संघातन परिशातनकृति तथा तेजल व कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीवों द्वारा लोकका असंख्याता भाष अथवा सर्व लोक स्पर्श किया गया है। बादर वायुकायिक अपर्याप्त जीवोंकी प्ररूपणा बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंके समान है। तीन त्रसकायिक जीवों में तीनों पदोंकी प्ररूपणा तीनों पंचन्द्रियोंके समान है।
पांच मैनयोनी और पांच क्चनयोगी जीवोमै औदारिकशरीरकी संघातन
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