Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, १, ७१.] कदिअणियोगदारे करणदिपरवेणी ज्जदिभागो छचोद्दसभागा वा देसूणा । णवगेवज्जादि सव्वट्ठा त्ति खेत्तभंगा।
एइंदियाणं तिरिक्खमंगो। बादरेइंदियाणं तेसिं पज्जत्ताणं ओरालियसंघादणकदीए लोगस्स संखेज्जदिभागो। सेसपदाणं तिरिक्खभंगो। बादरेइंदियअपज्जत्ताणं. सव्वसुहमाण खेत्तभंगो । सव्वविगलिंदिय-पंचिंदियअपज्जत्ताणं पंचिंदियतिरिक्खअपज्जत्तभंगो। पंचिंदियदुगस्स ओरालियसंघादणकदी आहारतिण्णिपदा तेजा-कम्मइयपरिसादणकदी खेत्तभंगो । ओरालियपरिसादणकदीए केवलिभंगो । ओरालियसंघादणपरिसादणकदी वेब्वियसंघादणकदी परिसादणकदी लोगस्स असंखेन्जदिभागो सव्वलोगो वा । वेउब्वियसंघादण-परिसादणकदीए लोगस्स असंखेज्जदिभागो अट्टचोदसभागा [वा देसूणा] सव्वलोगो वा। तेजा-कम्मइयसंघादणपरिसादणकदीए लोगस्स असंखेज्जदिभागो अट्ठचोदसभागा [वा देसूणा] असंखेज्जा भागा सव्वलोगो वा।
पुढवीकाइय-आउकाइय [ सब्बसुहुम-] पुढवीकाइय-सव्वसुहुमआउकाय-सब्बसुहुम
लोकका असंख्यातवां भाग अथवा कुछ कम छह बटे चौदह भाग स्पर्श किये गये हैं। नौ प्रैवेयकोंसे लेकर सर्वार्थसिद्धि विमान तकके देवोंकी स्पर्शनप्ररूपणा क्षेत्रप्ररूपणाके समान है।
एकेन्द्रिय जीवोंकी स्पर्शनप्ररूपणा तिर्यंचोंके समान है। बादर एकेन्द्रिय और उनके पर्याप्त जीवोंमें औदारिकशरीरकी संघातनकृति युक्त जीवोंने लोकका संख्यातवां भाग स्पर्श किया है। शेष पद युक्त जीवोंकी प्ररूपणा तिर्यचोंके समान है। बादर एकेन्द्रिय, अपर्याप्त और सब सूक्ष्म जीवोंकी प्ररूपणा क्षेत्रप्ररूपणाके समान है। सब विकलेन्द्रिय : तथा पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्त जीवोंके समान है। पंचेन्द्रिय व पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंमें औदारिकशरीरकी संघातनकृति, आहारशरीरके तीनों पद युक्त जीव तथा तैजस व कार्मणशरीरकी परिशातनकृति युक्त जीवोंकी प्ररूपणा क्षेत्रप्ररूपणाके समान है। औदारिकशरीरकी परिशातनकृति युक्त जीवोंकी प्ररूपणा केवलियोंके समान है । औदारिकशरीरकी संघातनपरिशातनकृति तथा वैक्रियिकशरीरकी संघातनकृति व परिशातनकृति युक्त जीवों द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग अथवा सर्व लोक स्पर्श किया गया है। वैक्रियिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीवों द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, कुछ कम आठ बटे चौदह भाग अथवा सर्व लोक स्पर्श किया गया है । तैजस व कार्मण शरीरकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीवों द्वारा लोकका असंख्यातवां भाग, [ कुछ कम ] आठ बटे चौदह भाग, असंख्यात बहुभाग, अथवा सर्व लोक स्पर्श किया गया है।
पृथिवीकायिक, जलकायिक, [सर्व सूक्ष्म] पृथिवीकायिक, सर्व सूक्ष्म जलकायिक,
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