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३८६) छक्खंडागमे वेयणाखंड
[१, १, ७१. परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण पलिदोवम-बे-सत्तदस-चौदस-सोलससागरोवमाणि सादिरेयाणि । उक्कस्सेणं बे-सत्त-दस-चोद्दस-सोलस-अट्ठारससागरोवमाणि सादिरेयाणि । तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च सग-सगजहण्णुक्कस्सहिदीओ।
आणदादि जाव णवगेवज्जे त्ति वेउब्वियसंघादणकदी मणुसपज्जत्तभंगो । संघादणपरिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अट्ठारससागरोवमाणि सादिरेयाणि, वीस-बावीस-तेवीस-चदुवीस-पणुवीस-छब्बीस-सत्तावीस-अट्ठावीस-एगुणतीस-तीससांगरोवमाणि बिसमऊणाणि। उक्कस्सेण वीस-बावीस-तेवीस-चदुवीस-पणुवीस-छब्बीस-सत्तावीस-अट्ठावीस-एगुणतीस-तीस-एक्कत्तीससागरोवमाणि समऊणाणि । तेजा-कम्मइयसंघादणपरिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च सग-सगजहण्णुक्कस्सद्विदीओ वत्तव्वाओ।
अणुदिसादि जाव अवराइद त्ति वेउव्वियसंघादणकदी मणुसभंगो। संघादण-परि
अपेक्षा सर्व काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्यले एक पल्योपम तथा दो, सात, दस, चौदह और सोलह सागरोपमसे कुछ अधिक काल है । उत्कर्षसे दो, सात, दस,चौदह, सोलह और अठारह सागरोपमसे कुछ अधिक काल है । तैजस व कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है। एक जीवकी अपेक्षा अपने अपने कल्पकी जघन्य व उत्कृष्ट स्थिति प्रमाण काल है।
आनत कल्पसे लेकर नौ ग्रैवेयक तक वैक्रियिकशरीरकी संघातनकृतिका काल मनुष्य पर्याप्तोंके समान है। इसी शरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे आनत-प्राणत कल्पमें अठारह सागरोपमसे कुछ अधिक तथा इसके आगे क्रमशः दो समय कम वीस, दो समय कम बाईस, दो समय कम तेईस, दो समय कम चौबीस, दो समय कम पच्चीस, दो समय कम छव्वीस, दो समय कम सत्ताईस, दो समय कम अट्ठाईस, दो समय कम उनतीस और दो समय कम तीस सागरोपम काल है । उत्कर्षसे क्रमशः एक समय कम बीस, एक समम कम र्वाइस, एक समय कम तेईस, एक समय कम चौबीस, एक समय कम पच्चीस, एक समय कम छब्बीस, एक समय कम सत्ताईस, एक समय कम अट्ठाईस, एक समय कम उनतीस, एक समय कम तीस और एक समय कम इकतीस सागरोपम काल है । तैजस और कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है । एक जीवकी अपेक्षा उसका काल अपनी अपनी जघन्य व उत्कृष्ट स्थिति प्रमाण कहना चाहिये ।
_अनुदिशोंसे लेकर अपराजित विमान तक वैक्रियिकशरीरकी संघातनकातिके कालकी प्ररूपणा मनुष्योंके समान है। वैक्रियिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका
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