Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 416
________________ १, १, ७१.] कदिअणियोगहीरे करणकदिपावणा १३४९ मंगो । संघादण-परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं अंतोमुहुत्तं तिसमऊणं, उक्कस्सेण बारसवासाणि एगुणवण्णरादिदियाणि छम्मासा समऊणाणि । तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण संखेज्जाणि वाससहस्साणि । तेसिमपज्जत्ताणं पंचिंदियतिरिक्खअपज्जत्तभंगो । पंचिंदियदुगोरालियसंघादणकदीए पंचिंदियतिरिक्खभंगो । सेसपदाणमोघो । णवरि तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गणं अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण सगढ़िदी । पंचिंदियअपज्जत्ताणं पंचिंदियतिरिक्खअपज्जत्तभंगो । पुढवीकाइय-आउकाइएसु ओरालियसंघादणकदीए तिरिक्खभंगो। ओरालियसंपादणपरिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं चदुसमऊणं, उक्कस्सेण बावीससहस्साणि सत्तवाससहस्साणि समऊणाणि । तेजा-कम्मइयसंघादणपरिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गणं, उक्कस्सेण असंखेज्जा लोगा। कृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे तीन समय कम क्षुद्रभवग्रहण मात्र व अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे क्रमशः एक समय कम बारह वर्ष, एक समय कम उमंचास रात्रिदिन और एक समय कम छह मास काल है। तैजस और कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण मात्र व अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे संख्यात हजार वर्ष काल है । उक्त अपर्याप्त जीवोंकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तोंके समान है। पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंमें औदारिकशरीरकी संघातनकृतिकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंके समान है। शेष पदोंकी प्ररूपणा ओघके समान है। विशेष इतना है कि इनमें तैजस व कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण मात्र व अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे अपनी स्थिति प्रमाण काल है। पंचेन्द्रिय अपर्याप्तोंकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तोंके समान है। पृथिवीकायिक और जलकायिक जीवोंमें औदारिकशरीर सम्बन्धी संघातनकृतिकी प्ररूपणा तिर्यंचोंके समान है। औदारिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे चार समय कम क्षुद्रभवग्रहण और उत्कर्षसे क्रमशः एक समय कम बाईस हजार और एक समय कम सात हजार वर्ष काल है । तैजस और कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नामा जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण और उत्कर्षसे भसंख्यात लोक प्रमाण काल है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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