Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१४२] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[१, १, ७१. संघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया । तेजा-कम्मइयपरिसादणकदी संखेज्जगुणा । वेउव्वियपरिसादणकदी असंखेज्जगुणा । ओरालियपरिसादणकदी विसेसाहिया । वेउव्वियसंघादणकदी असंखेज्जगुणा । ओरालियसंघादणकदी संखेज्जगुणा । वेउब्विय-संघादणपरिसादणकदी असंखेज्जगुणा । ओरालियसंघादणपरिसादणकदी संखेज्जगुणा । तेजा-कम्मइयसंघादणपरिसादणकदी विसेसाहिया ।
तेउकाइय-वाउकाइय-बादरतेउकाइय-बादरवाउकाइयपज्जत्ताणं पंचिंदियतिरिक्खमंगो । तसदुगस्स पंचिंदियदुगभंगो।
पंचमणजोगि-तिण्णिवचिजोगीसु सव्वत्थोवा आहारपरिसादणकदी। संघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया । वेउब्वियंपरिसादणकदी असंखेज्जगुणा। ओरालियपरिसादणकदी विसेसाहिया। ओरालियसंघादण-परिसादणकदी असंखेज्जगुणा । वेउव्वियसंघादण-परिसादणकदी संखेज्जगुणा । तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया ।
शातनकृति युक्त जीव विशेष अधिक हैं । उनसे तैजस और कार्मणशरीरकी परिशातनकात युक्त जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे वैक्रियिकशरीरकी परिशातनकृति युक्त जीव असंख्यात. गुणे हैं। उनसे औदारिकशरीरकी परिशातनकृति युक्त जीव विशेष अधिक हैं। उनसे वैक्रियिकशरीरकी संघातनकृति युक्त जीव असंख्यातगुणे हैं । उनसे औदारिकशरीरकी संघातनकृति युक्त जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे वैक्रियिकशरीरकी संघातन परिशातनकृति युक्त जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे औदारिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे तैजस और कार्मणशरीरकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीव विशेष अधिक हैं ।
तेजकायिक, वायुकायिक, बादर तेजकायिक और बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवोंकी प्ररूपणा पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंके समान है। त्रस और त्रस पर्याप्तोंकी प्ररूपणा क्रमशः पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्तोंके समान है।
- पांच मनयोगी और तीन वचनयोगी जीवों में आहारकशरीरकी परिशासनकृति युक्त जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे उसीकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीव विशेष अधिक हैं। उनसे वैक्रियिकशरीरकी परिशातनकृति युक्त जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे औदारिकशरीरकी परिशातनकृति युक्त जीव विशेष अधिक हैं। उनसे औदारिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृति युक्त जीव असंख्यातगुणे हैं । उनसे वैक्रियिकशरीरकी संघातनपरिशातनकृति युक्त जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे तैजस और कार्मणशरीरकी संघातनपरिशातनकृति युक्त जीव विशेष अधिक हैं।
१ प्रतिष्ठ ' तेउ.' इति पाठः।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org