Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, १, ६६.) कदिअणियोगदारे अप्पाबहुमाणुगमो बहूणं जीवाणमक्कमेण मणुसिणीसु पविठ्ठवाराणमइत्थोवत्तादो । अवत्तव्यसंचिदा संखेज्जगुणा, मणुसिणीसु दोण्णं दोण्णं जीवाणं पाएणुप्पत्तिदंसणादो । णोकदिसंचिदा संखेज्जगुणा, एकेकजीवपवेसस्स पउरमुवलंभादो। एवं मणुसपज्जत्त-मणपज्जवणाणि-खइयसम्माइष्टि-संजदसामाइयछेदोवट्ठावण-परिहार-सुहुम-जहाक्खादसंजद-आणदादिमणुसोववादियदेवाणण्णेसिं च संखेज्जरासीणं वत्तव्वं । एवं सत्थाणप्पाबहुगं सम्मत्तं ।
परत्थाणे सव्वत्थोवा सत्तमाए पुढवीए णोकदिसंचिदा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया। छट्ठीए णोकदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया । पंचमीए णोकदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया । चउत्थीए णोकदिसंचिदा असंखेजगुणा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया । तदियाए णोकदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया। विदियाए णोकदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया । पढमाए णोकदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । अवत्तव्वसंचिदा विसेसाहिया । सत्तमाए कदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । छट्ठीए कदिसंचिदा असंखेज्जगुणा । पंचमीए कदिसंचिदा
सबमें स्तोक हैं, क्योंकि, बहुत जीवोंके एक साथ मनुष्यनियों में प्रविष्ट होनेके वार अत्यन्त स्तोक हैं। अवत्तव्यसंचित संख्यातगुणे हैं, क्योंकि, मनुष्यनियोंमें दो दो जीवोंकी प्रायः करके उत्पत्ति देखी जाती है। नोकृतिसंचित संख्यातगुणे हैं, क्योंकि, एक एक जीयका प्रवेश उनमें अधिकतासे पाया जाता है ।
. इसी प्रकार मनुष्य पर्याप्त, मनःपर्ययज्ञानी, क्षायिकसम्यग्दृहि, संयत, सामायिक छेदोपस्थापनाशुद्धिसंयत, परिहारशुद्धिसंयत, सूक्ष्मसाम्परायिकसंयत, यथाख्यातसंयत, आनतादि विमानोंसे मनुष्योंमें उत्पन्न होनेवाले देव तथा अन्य भी संख्यात राशियोंके कहना चाहिये । इस प्रकार स्वस्थान अल्पबहुत्व समाप्त हुआ।
परस्थान अल्पबहुत्वमें सातवीं पृथिवीके नोकृतिसंचित जीव सबमें स्तोक हैं। इनसे अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक हैं । इनसे छट्ठी पृथिवीके नोकृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं। इनसे अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक हैं। इनसे पांचवी पृथिवीके नोकृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं। अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक है। चतुर्थ पृथिवीके नोकृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं। अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक है। इनसे तृतीय पृथिवीके नोकृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं। इनसे अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक हैं। इनसे द्वितीय पृथिवीके नोकृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं । इनसे अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक हैं । इनसे प्रथम पृथिवीके नोकृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं। इनसे अवक्तव्यसंचित विशेष अधिक हैं। इनसे सातवीं पृथिवीके कृतिसंचित असंख्यातगुणे हैं। इनसे छठी पृथिवीके कृतिसंचित अखंण्यातगुणे हैं। इनसे पांचवीं पृथिवीके कृतिसंचित असंण्यालगुणे। मले चतुर्थ
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