Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४, १, ६५.]
कदिअणियोगद्दारे अंतराणुगमा
(૨૦૭
होदि । णवरि आणद - पाणद - आरणच्चुददेवाणं जहणणंतरे भण्णमाणे मणुस्सेसु मासपुधत्तअंबंधिय मणुसे सुप्पज्जिय तत्थ मासपुधत्तं जीविय पुणेो सम्मुच्छिमम्मि उप्पज्जिय अतो मुहुत्ते संजमा संजम घेत्तूण कालं करिय आणद - पाणद - आरणच्चददेवेसु उप्पण्णस्स जहणंतरं वत्तव्वं । कुदो ? संजमासंजमेण संजमेण वा विणा तत्थ उववादाभावादो | सम्मत्तं चैव गेहाविय किण्ण उप्पादिदो ? ण, मणुस्सेसु वासपुधत्तेण विणा मासपुधत्त मंतरे सम्मत्तसंजम - संजमा संजमाणं गहणाभावादो । सम्मुच्छिमेसु सम्मत्तं चैव गेण्हाविय किण्ण देवेसु उप्पादेो ? होदु णामेदं, संजमासंजमेण त्रिणा तिरिक्खअसंजदसम्मादिट्ठीणमाणदादिसु उपपत्तिदंसणा दो । एदं कुदो णव्वदे ? तिरिक्खासंजदसम्मादिट्ठीणं मारणंतियस्स छोइसभागमेत्तपोसणपरूवणादो | दव्वलिंगी मिच्छाइट्ठी किण्ण उप्पादिदो ? ण, वासपुधत्तेण विणा
आनत-प्राणत और आरण-अच्युत देवोंके जघन्य अन्तरकी प्ररूपणा करते समय मनुष्यों में मासपृथक्त्व मात्र आयुको बांधकर मनुष्यों में उत्पन्न होकर और वहां मासपृथक्त्व काल जीवित रहकर पुनः सम्मूच्छिममें उत्पन्न होकर अन्तर्मुहूर्तसे संयमासंयमको प्रहण करके मृत्युको प्राप्त हो आनत-प्राणत और आरण- अच्युत देवोंमें उत्पन्न हुए जीवके जघन्य अन्तर कहना चाहिये, क्योंकि, संयमासंयम अथवा संयमके विना उन देवोंमें उत्पत्ति सम्भव नहीं है ।
शंका
सम्यक्त्वको ही ग्रहण कराकर क्यों नहीं उत्पन्न कराया ?
समाधान- नहीं कराया, क्योंकि, मनुष्यों में वर्षपृथक्त्वके विना मासपृथक्त्वके भीतर सम्यक्त्व, संयम और संयमासंयमके ग्रहणका अभाव है ।
शंका- सम्मूच्छिमों में सम्यक्त्वको ही ग्रहण कराकर देवोंमें क्यों नहीं उत्पन्न
कराया ?
समाधान - यह भी सम्भव है, क्योंकि, संयमासंयम के विना तिर्यच असंयतसम्यग्टष्टियोंकी आनतादिकों में उत्पत्ति देखी जाती है ।
शंका- यह कहांसे जाना जाता है ?
समाधान-यह तिर्यच असंयत सम्यग्दृष्टियोंके मारणान्तिकसमुद्घातकी अपेक्षा छह बटे चौदह भाग मात्र स्पर्शनकी प्ररूपणा करनेसे जाना जाता है ।
शंका - द्रव्यलिंगी मिध्यादृष्टिको क्यों नहीं वहां उत्पन्न कराया ?
समाधान नहीं कराया, क्योंकि, वर्षपृथक्त्वके बिना मासपृथक्त्वके भीतर द्रव्य
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