Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४, १, ६६. ]
कदिअणियोगद्दारे कालानुगमो
[ २९३
दसवाससहस्साणि [दसवास सहस्साणि] पलिदोवमस्स अट्ठमभागो, उक्कस्सेण सागरोवमं पलिदोवमं पलिदोवमं सादिरेयं' । सोहम्मीसाण पहुडि जाव सहस्सारे त्ति तिष्णिपदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण [पलिदोवमं बे-सत्त-दस-चोद्दससोलससागरोवमाणि सादिरेयाणि, उक्कस्सेण बे-सत्त- दस - चोद्दस - सोलस - अट्ठारससागरोवमाणि सादिरेयाणि । आणद-पाणद पहुडि जाव णवगेवज्जविमाणवासिय त्ति तिष्णिपदा केवचिरं कालादो होति ? पाणाजीनं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहणणेण ] अट्ठारस-बीस - बावीस-तेवीस-चउवीस-पणुवीस-छवीस- सत्तावीस अट्ठावीस - एगूणतीस-तीससागरोवमाणि सादिरेयाणि, उक्कस्सेण बीस-बावीस तेवीस - चउवीस - पणुवीस - छवीस- सत्तावीस - अट्ठावीस - एगुणत्तीसतीस-एक्कत्तीससागरोवमाणि । अणुद्दिसादि जाव अवराजिद त्ति तिणिपदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुञ्च सवद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एक्कत्तीस-बत्तीससागरोवमाणि सादिरेयाणि, उक्कस्पेण बत्तीस तेत्तीस सागरोवमाणि । सव्वसिद्धिविमाणवासियतिष्णिपदा केवचिरं कालादो होति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जणुक्कस्से तेत्तीस सागरोवमाणि ।
आनत प्राणत
वर्ष, [ दश हजार वर्ष ] और पल्योपमके आठवें भाग प्रमाण काल तक; तथा उत्कर्षसे कुछ अधिक सागरोपम, पल्योपम और पल्योपम प्रमाण काल तक रहते हैं । सौधर्म व ईशान कल्पसे लेकर सहस्रार कल्प तक तीनों पदवाले देव कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे [ साधिक पल्योपम व साधिक दो, सात, दश, चौदह और सोलह सागरोपम प्रमाण काल तक; तथा उत्कर्ष से दो, सात, दश, चौदह, सोलह और अठारह सागरोपम प्रमाण काल तक रहते हैं । कल्पसे लेकर नौ ग्रैवेयकों तक तीनों पदवाले देव कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवों की अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे ] साधिक अठारह, वीस, वाईस, तेईस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताईस, अट्ठाईस, उनतीस और तीस सागरोपम काल तक; तथा उत्कर्ष से बीस, बाईस, तेईस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताईस, अट्ठाईस, उनतीस, तीस और इकतीस सागरोपम काल तक रहते हैं । अनुदिशोंसे लेकर अपराजित विमान तक तीनों पदवाले देव कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवों की अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे कुछ अधिक इकतीस और बत्तीस सागरोपम काल तक तथा उत्कर्ष से बत्तीस और तेतीस सागरोपम काल तक रहते हैं । सर्वार्थसिद्धि विमानवासी तीनों पदवाले देव कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य व उत्कर्षसे तेतीस सागरोपम काल तक रहते हैं ।
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१ आंप्रती ' सागरोवमं पलिदोत्रमं सादिरेयं ' इति पाठः ।
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