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४, १, ६६. ]
कदिअणियोगद्दारे कालानुगमो
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सव्वसुहुमाणं सुहुमेइंदियभंगो । वणष्फदिकाइया कदिसंचिदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीव पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं, उक्कस्सेण अणंतकालमावलियाए असंखेज्जदिभागमेत्ता पोग्गलपरियट्टा । तेसिं चेव बादरपज्जत्तापज्जत्ताणं बादरेइंदियपज्जत्तापज्जत्तभंगो । णिगोदजीवा कदिसंचिदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं, उक्कस्सेण अड्डाइज्जपोग्गलपरियट्टा । तेसिं चेव बादराणं कदिसंचिदा बादरपुढविभंगो । तेसिं चेव पज्जत्ताणं बादरपुढविपज्जत्तभंगो । तेसिं चेव अपज्जत्ताणं बादरपुढविअपज्जत्तभंगो | तसदुगस्स तिण्णिपदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं, अंतोमुहुत्तं; उक्कस्सेण बेसागरोवमसहस्साणि पुत्रको डिपुधत्तेण अव्वहियाणि, बेसागरोवमसहस्साणि ।
अपर्याप्तोंके समान है । सब सूक्ष्म जीवोंकी प्ररूपणा सूक्ष्म एकेन्द्रियोंके समान । वनस्पतिकायिक कृतिसंचित कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण और उत्कर्षसे आवलीके असंख्यातवें भाग मात्र पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण अनन्त काल तक रहते हैं । उनके ही बादर, पर्याप्त व अपर्याप्तोंकी प्ररूपणा बादर एकेन्द्रिय, बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त और बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तोंके समान है ।
निगोद जीव कृतिसंचित कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण और उत्कर्ष से अढ़ाई पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण काल तक रहते हैं । उनके ही बादर कृतिसंचितोंकी प्ररूपणा बादर पृथिवीकायिक जीवोंके समान है । उनके ही पर्याप्तोंकी प्ररूपणा बादर पृथिवीकायिक पर्याप्तोंके समान है। उनके ही अपर्याप्तोंकी प्ररूपणा बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंके समान है ।
स व त्रस पर्याप्त तीनों पदवाले कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल रहते हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहण व अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्ष से पूर्वकोटिपृथक्त्वसे अधिक दो हजार सागरोपम एवं केवल दो हजार सागरोपम प्रमाण काल तक रहते हैं ।
छ. क ३८.
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