Book Title: Shatkhandagama Pustak 09
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, १, २.] कदिअणियोगदारे देसोहिणाणपरूवणा
[३७ विस्सासोवचएहिंतो कम्मइयविस्सासोवनयाणमणंतगुणत्तादो । ण चेदमसिद्धं, 'सव्वत्थावो
ओरालियसरीरस्स विस्सासोवचयओ, वेउब्वियसरीरस्स विस्सासोवचओ अणंतगुणो, आहारसरीरस्स विस्सासोवचओ अणंतगुणो, तेयासरीरस्स विस्सासोवचओ अणतगुणो, कम्मइयसरीरस्स विस्सासोवचओ अणंतगुणो' ति वग्गणाए सुत्तम्मि अणंतगुणत्तसिद्धीदो त्ति । विस्सासोवचए अवणेदूण ओरालियपरमाणू चेव अवहिदविरलणाए किण्ण दिज्जति ? ण, विरलणरासीदो ते अणतगुणहीणा इदि गुरूवदेसादो । विरलणादो कम्मइयदव्वमणंतगुणमिदि कधं णव्वदे ? आहारवग्गणाए दव्वा थोवा, तेयावग्गणाए दव्वा अणंतगुणा, भासावग्गणाए दव्वा अणंतगुणा, मणवग्गणाए दव्वा अणंतगुणा, कम्मइयवग्गणाए दव्वा अणतगुणा त्ति वग्गणासुत्तादो णव्वदे । जदि एवं तो आदिप्पहुडि कम्मइयदव्वं चेव किमिदि मणदव्ववग्गणाए ण खंडिज्जदि ? ण,
विनसोपचयोंसे कार्मण विनसोपचय अनन्तगुणे हैं। और यह बात असिद्ध भी नहीं हैं, क्योंकि, “ औदारिक शरीरका विस्रसोपचय सबसे स्तोक है, उससे वैक्रियिक शरीरका विस्रसोपचय अनन्तगुणा है, उससे आहार शरीरका विनसोपचय अनन्तगुणा है, उससे तैजस शरीरका विनसोपचय अनन्तगुणा है, उससे कार्मण शरीरका विनसोपचय अनन्तगुणा है," इस प्रकार वर्गणासूत्रसे उसे अनन्तगुणत्व सिद्ध है।
शंका-विनसोपचयोंको छोड़कर औदारिक परमाणुओंको ही अवस्थित विरलनासे क्यों नहीं देते?
समाधान नहीं देते, क्योंकि, वे विरलन राशिसे अनन्तगुणे हीन है, ऐसा गुरुका उपदेश है।
शंका-विरलन राशिसे कार्मण द्रव्य अनन्तगुणा है, यह कैसे जाना जाता है ?
समाधान- 'आहार वर्गणाके द्रव्य स्तोक हैं, तैजस वर्गणाके द्रव्य उससे अनन्तगुणे हैं, भाषा वर्गणाके द्रव्य उससे अनन्तगुणे हैं, मनो वर्गणाके द्रव्य अनन्तगुणे हैं, कार्मण वर्गणाके द्रव्य अनन्तगुणे हैं, ' इस वर्गणासूत्रसे वह जाना जाता है।
शंका-यदि ऐसा है तो आदिसे लेकर कार्मण द्रव्यको ही मनोद्रव्यवर्गणा द्वारा - क्यों खण्डित नहीं करते?
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