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१, १, ६५. कदिअणियोगद्दारे णोआगमदव्यकदि परूवणा
[२७१ दव्वं वेदणकिरियाणिप्फण्णं वेदिम णाम । तलावालि-जिणहराहिट्ठाणादिदव्वं पूरणकिरियाणिप्फण्णं पूरिमं णाम । कट्टिमजिणभवण-घर-पायार-थूहादिदव्वं कट्ठिय-पत्थरादिसंघादणकिरियाणिप्पणं संघादिमं णाम । णिबंब-जंबु-जंबीरादिदव्वं अहोदिमकिरियाणिप्फण्णमहोदिमं णाम । अहोदिमकिरिया सचित्त-अचित्तदव्वाणं रोवणकिरिए त्ति वुत्तं होदि । पोक्खरिणी-वावी-कूवतलाय-लेण-सुरुंगादिदव्वं णिक्खोदणकिरियाणिप्फण्णं णिक्खोदिमं णाम । णिक्खोदणं खणणमिदि वुत्त होदि । एक्क-दु-तिउणसुत्त-डोरा-वेट्ठादिदव्वमोवेल्लणकिरियाणिप्पण्णमोवेल्लिमं णाम । गंथिम-वाइमादिदव्याणमुवेल्लणेण जाददव्वमुव्वेल्लिमं णाम । चित्तारयाणमण्णेसिं च वण्णुप्पायणकुसलाणं किरियाणिप्पण्णदव्वं णर-तुरयादिबहुसंठाणं वणं णाम । पिट्ठ-पिडियाकणिकादिदव्वं चुण्णणकिरियाणिप्फण्णं चुण्णं णाम । बहूण दव्वाणं संजोगणुप्पाइदगंधपहाणं दव्वं गंधं णाम। घुट्ठ-पिट्ठ-चंदण-कुंकुमादिदव्वं विलेवणं णाम । 'जे च अमी अण्ण एवमादिया' एदेण वयणेण ओहाणत्थुरणादीण दुसंजोगादिदव्वाणं च अस्थित्तं परूविदं होदि । कधमेदेसि
सिद्ध हुए सूति ( सोम निकालनेका स्थान ), इंधुव (पंधी अर्थात् भट्टी), कोश और पल्य आदि द्रब्य वेधिम कहे जाते हैं। पूरण क्रियासे सिद्ध हुए तालाबका बांध व जिनग्रहका चबूतरा आदि द्रव्यका नाम पूरिम है। काष्ट, ईट और पत्थर आदिकी संघातन क्रियासे . सिद्ध हुए कात्रिम जिनभवन, ग्रह, प्राकार और स्तूप आदि द्रव्य संघातिम कहलाते हैं। नीम, आम, जामुन और जंबीर आदि अधोधिम क्रियासे सिद्ध हुए द्रव्यको अधोधिम कहते हैं। अधोधिम क्रियाका अर्थ सचित्त व अचित्त द्रव्योंकी रोपन क्रिया है, यह तात्पर्य है । पुष्करिणी, वापी, कूप, तड़ाग, लयन और सुरंग आदि निप्खनन क्रियासे सिद्ध हुए द्रव्य णिक्खोदिम कहलाते हैं। णिक्खोदनसे अभिप्राय खोदना क्रियासे है। उपवेल्लन क्रियासे सिद्ध हुए एकगुणे, दुगुणे एवं तिगुणे सूत्र, डोरा व वेष्ट आदि द्रव्य उपवेल्लन कहलाते हैं । ग्रन्थिम व वाहम आदि द्रव्योंके उद्वेल्लनसे उत्पन्न द्रव्य उद्वेल्लिम कहे जाते है । चित्रकार एवं वर्णो के उपादनमें निपुण दूसरोंकी क्रियासे सिद्ध मनुष्य व तुरग आदि अनेक आकार रूप द्रव्य वर्ण कहे जाते हैं। चूर्णन क्रियासे सिद्ध हुए पिष्ट, पिष्टिका और कणिका आदि द्रव्यको चूर्ण कहते हैं । वहुत द्रव्योंके संयोगसे उत्पादित गन्धकी प्रधानता रखनेवाले द्रव्यका नाम गन्ध है। घिसे व पासे गये चन्दन और कुंकुम आदि द्रव्य विलेपन कहे जाते हैं। इनको आदि लेकर जो वे और द्रव्य हैं ' इस वचनसे अवधान व सुरण अर्थात् जोड़कर व काटकर बनाने व द्विसंयोगादि द्रव्योंके अस्तित्वकी प्ररूपणा होती है।
२ प्रतिषु — पुट्ठ ' इति पाठः ।
१ प्रतिषु ' -तिउद- ' इति पाठः। छ, क ३५.
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