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प्रस्ठाक
( ८५ )
प्रस्साड
४ मकड़ी । ५ धतूरा । ६ आदिगुरु की चार मात्रा अस्र-पु० [सं०] १ रक्त, रुधिर । २ प्रांसू । —पीवणीका नाम । -वि० १ पीत, पीला। २ पीत-श्वेत ।
स्त्री० जोंक। प्रस्टावक्र-पु० [सं० अष्टावक्र] एक ऋषि जिनका शरीर पाठ असांनिक-पु० [सं० अश्रमिक] बलभद्र । से स्थानों से वक्र था ।
अस्र-पु० [सं० अश्रु] प्रांसू । -पात-आंसु गिराना, रुदन । प्रस्टोलो-एक प्रकार का रोग।
प्रस्र त-वि० [सं० अश्रुत] जो सुना हुअा न हो। अस्त-वि० [सं०] १ छिपा हया, डूबा हा, तिरोहित । | अस्ली-देखो 'असली'।
२ ह्रासोन्मुख । ३ अदृश्य, अोझल । -पु० १ अवसान । | अस्लील-देखो 'असलील' । -ता-'असलीलता' । २ पतन । ३ लोप। ४ प्रदर्शन । ---मित-स्त्री० अस्त | अस्लेस-पु० १ श्लेषाभाव, अपरिहास । २ श्लेषभिन्न । होने की क्रिया। -मुख-पु० कुत्ता, श्वान ।
३ देखो 'अस्लेसा'। अस्तबळ-पु० घुड़शाला।
अस्लेसा-पु० [स० अश्लेषा] २७ नक्षत्रों में से नौवां नक्षत्र । अस्तर-पु० [फा०] १ मुख्य वस्त्र के नीचे लगने वाला वस्त्र ।
अस्व-पु० [सं० अश्व] १ घोड़ा, अश्व । २ सात की संख्या । २ अंतरण्ट । ३ देखो 'असतर'।
-वि० १ सात । [सं० अस्व] २ गरीब, अकिंचन । -पतिप्रस्तळ-देखो 'अस्थळ'।
-पु० घड़ सेनापति । बादशाह । अश्विनी कुमार । -बंधप्रस्तस्व-पु० एक शुभ रंग का घोड़ा।
--पु० एक प्रकार का चित्रकाव्य । -बळ-पु० अश्वशाला । अस्ताचळ-पु० [सं० अस्ताचल] वह पर्वत जिसके पीछे सूर्य
-मुख-पु० किन्नर । --मेध-पु० चक्रवर्ती राजा द्वारा अस्त होता है. पश्चिमाचल ।
किया जाने वाला बड़ा यज्ञ । - रूढ-पु० रथ । -विद्या अस्तीफी-देखो ‘इस्तीफौ' ।
-स्त्री० घुड़सवारी संबंधी विद्या। अस्त-अव्य० [सं०1। खैर अच्छा । २ चाहे जो हो। जोमा | अस्वक्रांता-स्त्री० [सं० अश्वक्रान्ता] संगीत में एक मूर्च्छना । ही हो।
अस्वत्थामा-पु० [स० अश्वत्थामा] द्रोणाचार्य का पुत्र । प्रस्तुति-देखो 'अनतुति'।
अस्वत्थ (थ)-पु० [स० अश्वत्थ] पीपल का पेड़ । अस्तेय-पु० चोरी न करना क्रिया।
अस्वनी-स्त्री० [सं० अश्विनी] १ सत्ताइश नक्षत्रों में से प्रथम अस्त्र-पु० [सं०] १ हथिहार, आयुध । २ देखो 'अस्तर' ।
नक्षत्र । २ घोड़ी। ३ सूर्य की पत्नी । कुमार-पु० सूर्यके दो अस्त्रकार-पु० हथियार बनाने वाला।
पुत्र जो देवताओं के वैद्य माने गये हैं। -तात-पु० सूर्य । अस्त्रचिकित्सा-स्त्री० शल्य चिकित्सा ।
| अस्वप्न-पु० [सं०] १ सुर, देवता । २ यथार्थ । अस्त्रसाळा-स्त्री० हथियार रखने का कक्ष । शस्त्रागार । अस्वस्थ-वि० [सं०] रोगी, बीमार । अस्त्रिय, (स्त्री, स्त्रीय)-देखो 'स्त्री'।
अस्वार-देखो 'असवार'। अस्थळ, (ळि)-पु० [सं० अस्थल] १ दादू पंथियों का गुरुद्वारा अस्वालंब–पु० [सं० अश्वालंभ] यज्ञोपरांत किया जाने वाला या राम द्वारा । २ मैदान । ३ बुरा स्थान, कुठौर।
अश्व-दान । अस्थांनस्थनपद-पुख्यौ० काव्य का एक दोष ।-क्रि०वि० अनुचित
अस्विनी-देखो 'अस्वनी'। -कुमार='अस्वनी कुमार' । स्थान में ।
अस्वीकार-पु० [सं०] इन्कार, नामंजूरी। अस्थाई-वि० [सं॰ अस्थायी] १ जो स्थाई न हो, अस्थिर ।
अस्वीकुमार-देखो 'अस्वनी कुमार'। २ क्षणिक ।
अस्वेत-वि० [स० अश्वेत] काला, श्याम । अस्थि-स्त्री० [सं०] १ हड्डी । २ फल का छिलका या गुठली। अस्व-१ दखा 'अस्व' । २ दखा 'अस।
-संसकार-संस्कार-पु० हड्डियों का गंगा में विसर्जन ।। | अस्सरिण, अस्स पी-१ देखो 'अमणी' । २ दे वो 'अस्वनी' । अस्थिकुंड-पु०पी० [सं०] एक नरक का नाम ।
अस्सर-देखो 'असर'। अस्थिर-वि० [सं०] १ जो स्थिर न हो । २ चंचल, चलायमान । अस्सराळ (ळू )-वि० [सं० ग्राशरारु] १ भयंकर, भयानक । अस्थिरा-वि० [सं०] चंवला । -स्त्री० लक्ष्मी ।
२ शक्तिशाली । ३ घातक । ४ बहन । ५ चंचल, चपल । अस्पताल-देवो 'असपताळ' ।
६ अविरल, निरंतर । अमरी--स्त्री० [सं० अश्मरी] म्वेन्द्रिय का एक रोग।
अस्सवार-देखो 'असवार'। अस्मिता -सी० [ग] पांव प्रकार के क्लेगों में एक (योग)। अस्सांउ--सर्व० हमारे, मेरे ।
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