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गळेमुद्री
( ३२० )
गळी
गळमुद्रा-स्त्री० [सं० गल-मुद्रा] शिव पूजा में गाल बजाने की ६ कृशकाय या क्षीण कराना। ७ मिटवाना, नष्ट कराना। मुद्रा, गलमंदरी।
८ अधिक पकाना । ९ जीर्ण-शीर्ण कराना । १० सूक्ष्माणु गळमेव-स्त्री० गले में होने वाली बड़ी गांठ ।
करके घुलाना, घुलवाना । ११ विकृत कर रज-रज करके गलर-पू०१ वक्ष या पौधे का रस भरा भाग । २ स्वाद या गिरवाना, क्षय कराना। रम लेने की क्रिया।
गलांनि (नी)-स्त्री० १ ग्लानि, घृणा । २ अरुचि । ३ खिन्नता, गळळ-पू०१ निगलने की क्रिया या भाव । २ द्रव पदार्थ के पश्चाताप, दुःख । ४ खेद, अफसोस । ५ थकान । ६ ह्रास । निकलने से उत्पन्न ध्वनि ।
७ निर्बलता बीमारी। गळळाटौ-पु० १ निगलने का शब्द । २ शोक का विलाप, गळाफड़ो-देखो 'गळफड़ो' । रुदन ।
गलार-स्त्री० १ भेड़ की ध्वनि । २ गिद्ध पक्षी की ध्वनि । गळळाणौ (बी), गळळावरणौ (बौ)-क्रि० १ रोना, विलाप । ३ आनन्द, मोज।
करना । २ डबडबाना । ३ मुह में पानी भरकर गल-गल गलाळ-पु० १ मांस पिंड । २ गोश्त खण्ड । ३ देखो 'गुलाल' । ध्वनि करना।
गळावट-स्त्री० १ गलाने की क्रिया या भाव । २ गलने गळवांगी-स्त्री० पाटे व गुड़ के योग से बना मीठा पेय पदार्थ । का गुण । गळवाणी-पु० १ गले का बंधन, फंदा । २ एक प्रकार का गळि-स्त्री० १ गर्दन, गला । २ देखो ‘गळी' । बरमाती घास । ३ देखो 'गळवारणी' ।
गळि चौ, गलिचौ-देखो 'गलीचौ'। गळवांन-वि० नश्वर ।
गळित्रागौ-पु० १ यज्ञोपवीत धारी ब्राह्मण । २ द्विज । गळवाह-पु. गर्दन पर किया जाने वाला प्रहार ।
३ जनेऊ, यज्ञोपवीत । गळसरी, (सिरो)-स्त्री० [सं० गलश्री] कंठश्री नामक ग्राभूषण। गळियांभमर-पु० गलियों में घूमने का शौकीन । गळसांकळी-पु० कंठ का प्राभूषण विशेष ।
गळियार, (रौ)-वि० [सं० गली-चार] १ गली-गली घूमने गळसुड (डी)-स्त्री. १ गले के अन्दर की उल्टी जीभ । वाला, अवारा । २ पाहत, घायल । ३ उन्मत्त, मस्त । २ तालू का एक रोग । ३ देखो 'गोरो' ।
___-पु० गली, बीथी। गळसुनौ-पु० [सं० गलसूती] शीतकाल में मस्त ऊंट के मुंह से गळियौगुळसरौ-पु० गला हुप्रा अफीम । निकलने वाला गुल्ला।
गळियौ-वि० मीठा, स्वादिष्ट । गळहार-पु० गले का आभूषण ।
गळिलारणो (बी)-देखो 'गरळाणौ' (बौ)। गळांछळी गळांठी-पु० [सं० गलोच्छन] गले तक भरा हुआ गळी-स्त्री० [सं० गली] १ घरों के बीच का तंग व पतला बर्तन ।
रास्ता, गली । २ मुहल्ला । ३ उपाय, तरकीब । ४ सुगम गळांडौ-देखो १ 'गळकोर' । २ देखो 'गळांठी'।
रास्ता। ५ भेद, रहस्य । ६ छिद्र. छेद । -कूची-स्त्री. गलांण-देखो ‘गलांनि'।
भेद, रहस्य । -वि० मीठी (वस्तु)। गलांगो, गलांमणी-पु. १ किसी पात्र के गले का बंधन। गलीच-वि०१ मैला-कुचेला, गंदा । २ घृणित । --पु०१ मल
२ गले में बांधने की रस्सी । ३ एक प्रकार का वर्षा ऋत विष्ठा । २ भूत, प्रेतादि । में होने वाला घास जिसे पशु नहीं चरते हैं ।
गलीचौ-पु० [फा० गलीचा] मोटा बुना, रोएंदार व चित्रित गलांवडो-पु० पशुओं के गले से बांधी हुई रस्सी ।
एक बिछौना, गलीचा। गळा-क्रि०वि० पास, निकट, समीप।
गलीडुरिणयौ-पु० गुल्ली डंडे का खेल। गळाई-स्त्री. १ किसी धातु को पिघालने का कार्य । २ इस | गळु-देखो 'गळी'। ____ कार्य को मजदूरी । -पु० प्रकार, तरह, मानिद, समान। गळेबाज-बि० अच्छी प्रावाज वाला, अच्छा गाने वाला। गळाकौ-पु० १ गला निकाल कर झांकने की क्रिया । २ निगलने | गळेहाथ-पु० शपथ के लिए गले के लगाया जाने वाला हाथ । की क्रिया।
गळेटौ-देखो 'गळगेटौ'। गळागळ-स्त्री० जल्दी-जल्दी निगलने की क्रिया ।
गळे-क्रि० वि० पास, समीप, निकट । -क्रि०वि० शीघ्रता से।
गळोबळ (बळ)-वि० गुत्थमगुत्था । -क्रि० वि० १ चारों ओर । गळाणी (बी)-क्रि० १ पिघलाना, द्रव मान कराना। २ देखो ‘गळबत्थ'।
२ खिलाना । ३ हजम कराना । ४ बीताना, समाप्त गळी-पु० १ शरीर का, मस्तक व धड़ जोड़ने, वाला अंग । कराना । ५ खेल में किसी खिलाड़ी को परास्त कराना। गर्दन । २ कठ। ३ कंठस्वर । ४ टेंटुवा, लंगर । ५ मुह ।
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