Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 726
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ध्र ग ( ७१७ ) ध्रव नंग, घ्रगड़ो-देखो'द्रग' ध्रसुडणौ (बौ)-क्रि० हांकना, चलाना : ध्रम-देखो 'धरम' । ध्रसूकरणौ (बौ)-क्रि० १ ढोल प्रादि वाद्यों का बजना । २ भयध्र-देखो'ध्रुव'। भीत होना, कांपना । ३ देखो 'धसकरणी' (बौ) । ध्रग(ग्ग)-वि० १ बड़ा । २ देखो 'धिक' । भ्रसूकाणी (बी), ध्रसूकावरणौ (बौ)-क्रि० १ ढोल बजाना । ध्रगध्रगी-देखो 'धगधगी' । २ भयभीत करना, कंपित करना। ध्रतकेतु-पु० [सं०] वसुदेव का बहनोई । ध्रस्त-पु० [सं० द्वयष्ट, धृष्ट] १ ताम्र, तांबा । २ बेवफा प्रतदेवा-स्त्री० [सं० धृतदेवा] देवक की एक कन्या का नाम ।। पति या प्रेमी । -वि० १ निर्लज्ज, बेशर्म । २ बार-बार ध्रतरास्ट्री-स्त्री० [सं० धृतराष्ट्री] १ धृतराष्ट्र की पत्नी । अपमान सह कर भी नायिका से लगा रहने वाला नायक । २ कश्यप ऋषि की पत्नी ताम्रा से उत्पन्न ५ कन्याओं में से ३ बेवफा । ४ दुराग्रही, हठी । ५ अभिमानी । ६ लंपट । एक । प्रस्ट केतु-पु० [सं० धृष्टकेतु] शिशुपाल का पुत्र । ध्रति, ध्रती-स्त्री० [सं० धति] १ धरने, धारण करने की क्रिया। प्रांसाड़णों (बो)-क्रि० गर्जना, दहाड़ना। २ पकड़ने की क्रिया या भाव । ३ स्थिरता, ठहराव । ध्रापरणौ (बौ)-देखो 'धापणी' (बौ)। ४ धीरता, धैर्य । ५ संतोष । ६ मन की दृढ़ता । धाब-पु. [देश॰] पशु, मवेशी। ७ अानन्द, खुशी। ८ चन्द्रमा की सोलह कलाओं में से एक। ध्रासक, ध्रासकौ-पु. १ धक्का, आघात । २ प्रघात, सदमा। १ फलित ज्योतिष के सताईश योगों में से एक । १० राजा ध्रासकरणौ (बी)-देखो 'ध्रसक्कणौ' (बौ)। जयद्रथ का पौत्र । ११ देखो 'धरती'। ध्राह-देखो 'धाह'। भ्रतू-वि० [सं० धृत] १ ग्रहण किया हुआ, धारित । २ पकड़ा | ध्राहरणौ (बी)-क्रि० भयंकर आवाज करना, गर्जना । हुआ, धरा हमा। ३ गिरा हुया, पतित । ४ स्थिर, निश्चित। ध्रिक, धिक्क, ध्रिग-देखो "धिक' । ध्रपण-पु० तृप्ति, संतोष । ध्रित, निति-१ देखो 'ध्रति' । २ देखो 'धरती' । प्रब-पु० नक्कारे का शब्द, अावाज । ध्रिबरणौ (बी)-देखो 'धीबणौ' (बी)। धमकणौ, (बो)-देखो 'धमकरणो' (बौ)। ध्रियाग-देखो 'धियाग'। हाम-१ देखो 'धरम'। २ देखो 'धम'। -आतमा 'धरमात्मा'। ध्रिसट-देखो "ध्रिस्टी'। ध्रमक-देखो 'धमक'। ध्रिस्टी-पु० [स० धृष्टि] सूअर, वराह । -वि० [सं० धृष्ट] ध्रमजगर, ध्रमजघड़-देखो 'धमगजर' । नीच, दुष्ट, ढीट। ध्रमपाळ-देखो 'धरमपाळ' । ध्रींगा-स्त्री० नगाड़े आदि की ध्वनि । ध्रमराज, (राय)-देखो 'धरमराज' । ध्री-देखो 'ध्रीह'। ध्रमलाभ-देखो 'धरमलाभ' । ध्रीब, ध्रीबछड़-प्रव्य० १ नृत्य के समय नगाड़े, ढोल प्रादि ध्रमसील-देखो 'धरमसील'। बजने की ध्वनि । २ देखो ‘धीब' । ध्रमी-देखो 'धरमी' । ध्रीबरणौ (बौ)-देखो ‘धीबणी' (बौ)। धम्म-देखो 'धरम'। ध्रीया-देखो 'धी'। ध्रवण-पु० [सं० द्रव] मेघ, बादल । ध्रीयाग-देखो 'धियाग'। ध्रवरणौ (बो)-क्रि० [सं० द्रव १ तृप्त करना; संतुष्ट करना। ध्रीवणी (बो)-देखो 'धोबणी' (बी)। २ बूदों की तरह टपकना । ३ बरसना। ४ द्रवित होना । ध्रीह-स्त्री० नक्कारे की ध्वनि । ५ अधिक उदार होना । ६ मारना, संहार करना । ध्रुपद-पु० [सं० ध्रुवपद] उत्तरी भारत की एक विशिष्ट ध्रवांन-देखो 'ध्वांम'। गायन शैली। ध्रसंडी-वि० जबरदस्त, बलवान, शक्तिशाली । ध्रुव--पु० [सं०] १ उत्तर दिशा स्थित एक प्रसिद्ध तारा। प्रसकरणी (बो)-देखो 'धसकणो' (बौ) । २ राजा उत्तानपाद का पुत्र । ३ वट वृक्ष । ४ पाठ वसुनों ध्रसकारणों (बी), ध्रसकावणो (बौ)-देखो 'धसकागो' (बी)। में से एक । ५ पर्वत, पहाड़ । ६ ध्र वक, ध्र पद । ७ ब्रह्मा। ध्रसक्करणो, (बौ)-क्रि० १ भयभीत होना, कांपना। थर्राना । ८ ज्योतिष के सताईस योगों में से एक । ९ फलित २ देखो 'धसकरणो' (बौ)। ज्योतिष में एक नक्षत्रगण । १० नाक का अत्र भाग । ध्रसटी-१ देखो 'ध्रिस्टी' । २ देखो ध्रिस्ट'। ११ टगरण की छः मात्राओं के ग्यारहवें भेद का नाम ध्रसहसरणौ, (बो)-देखो ‘धसकरणो' (बो) । (151)। १२ भूगोल के अनुसार पृथ्वी का प्रक्ष स्थान । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799