Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 794
________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मसन नानयो नेसन-पु० [अं० नेशन] १ जाति, वर्ण । २ देश, राष्ट्र। प्रत्यय । -स्त्री० [फा०] १ हुक्के की निगाली। २ देखो नेसला-स्त्री० [देश॰] ऊट के चार जामे की रस्सी विशेष । 'नदी'। नेसार, नेसाल-देखो 'नेसावर'। नैकाळ-देखो ‘निकाळ'। नेसाळ, नेसाळा, नेसाळि--स्त्री० [सं० लेखशाला १ पाठशाला, नंगदीन-पु० [सं० नवगव्य नवनीत, मक्खन । विद्यालय । २ देखो 'नमाळी'। नं डी-स्त्री• मथनी के सहारे का उपकरण। नेसाळयो-पु० १ विद्यार्थी । २ देखो 'नेसाळो' । नड़, नैरो, नडो-वि० [सं० निकट] (स्त्री० नडी) पास नेसाळी, नेसावर, नेसावरियौ-पु० चौमड़ के पूरे दातो वाला ऊंट। समीप, निकट । नेसास, नेसासौ-देतो निस्वास'। नचाबद-वि० [फा०] हुक्के का नैचा बनाने वाला। नेस्ती-पु० जाति विशेष । नंचौ-पु० का नैचः] हुक्के की निगाली। नेह, नेहड़लु, नेहडलो-पु० स्नेह, 'यार, प्रेम । न'चौ-देखो 'नहचौ' । नेहड़ी-स्त्री० मथनी के साथ जुड़ने वाली लकड़ी । नेछ-क्रि०वि० [सं०निश्चय] १ निश्चिंतता से, तसल्ली से, धैर्य नेहड़ी- देखो 'नेह। से, आराम से । २ धीरे से । नहचं, नेहचौ-देखो 'निस्चय' । । नछी-पु० [सं० निश्चय धर्य, तसल्ली, पाराम । सन । महडी (ढ)-देखो 'निसंडौ । नजरण, नजरिणयौ, नेजरणो-देखो जणी'। नहणी-१ देखो 'नगणौ' । २ देखो 'नेणो' । ३ देखो 'नयन'। नजणौ (बो)-देखो 'जणी' (बो)। नेहणौ, (बौ)--क्रि० [सं० स्नेहनम् ] स्नेह करना, प्रेम करना । नंठाव-देखो 'नेठाव' । नेहप्रिय, (प्रीय)-पृ० [सं० स्नेहप्रिय ] दीपक । नड-देखो 'नांड'। नेहरू, नेहरौ-देखो 'नेरू' । नैरण-पु० [सं० नयन] १ अांख, नयन । २ दो की संख्या । नेहलउ, नेहलु,नेहलो-देखो 'नेह' । -र-पु० प्रांख का एक रोग। -सुख-वि० जो अांखों नेहवाळ, नेहवाळी-वि० (स्त्री० नेहवाळी) संतान के प्रति स्नेह को भला लगे । -पु. एक प्रकार का वस्त्र । --हजार युक्त, वत्सल । ममता वाला। -पु० इन्द्र । नेहवी-वि० प्रेमिका, प्रेयसी । नैरणसघरण-पु० [सं० नयन-सघन] मेघ, बादल । नहानेह, नेहानेह-० [सं० स्नेहा दीपक । ने'लो-[पु० देण.] मूग, मोठ,घास प्रादि, के पोधों का छोटा टेर। नेहा-देखो 'नेह'। नेत-स्त्री० [सं० निमंत्रण] १ विवाहादि मांगलिक अवसरों पर नेहालंदी-वि० [सं० स्नेहानंदिनो] प्रेयसी, प्रेमिका । कुटुबियों व रिश्तेदारों द्वारा दिया जाने वाला द्रव्य । नेहाळ नेहाळू , नेहाळी-वि० (स्त्री० नेहाळी) प्रेमी, प्रिय। २ भेंट, उपहार । नेही-वि० स्नेह वाला, प्रेम वाला। मंतरणौ (यो)-क्रि० स० निमंत्रणम्] १ मांगलिक अवसरों पर नेह, नहो-देखो नेह' । द्रव्यादि भेट करना । २ देखो 'निमंत्रणौ' (बौ)। ने-देखो 'ने'। नेतबध (बधी)-देखो 'नेतबंध' । नंग-पु० [सं० न्यङ्गा अविगहित साधु या संन्यासी । नंतरौ-देखो 'निमंत्रण' । नंगी-स्त्री० [सं०] घास का चरा बनाने के काम पाने वाला नैतियार--देखो 'निमंत्रीहार'। काष्ठ का एक उपकरण । अहटन । नंती-पु० [सं० निमंत्रण] १ मांगलिक अवसरों पर प्रजा मे नंज-पु० [देश॰] प्रबंध । लिया जाने वाला कर । २ देखो 'निमंत्रण' । मेंण-देखो 'नयन'। ! नैन-१ देखो नैग' । २ देखो 'नैनम'। नेणो-देखो 'नखहरणी' । ननकड़ी, मनकियौ-देखो 'नैनौ । (स्त्रा० ननकड़ी, नैनकी) नैतरणौ, (बौ)-देखो "निमत्रो (बी) । ननरणो-देखो 'नू जणों। नैरांत-देखो 'नैरांत'। नसार-देखो ‘निमार'। नैनणों (बी)-देखो 'नजग्गो' (बी)। नै-प्रव्य० [सं० कर्णे] एक सयाजक अध्यय । और, एवं । ननप नप, ननम--स्त्री०सं० न्यच अवयस्कला, नाबालिगी, -कि०वि० पोर, तरफ । लिय, वास्ते । -प्रत्य०१ कर्मकारक लड़कपन । विभक्ति प्रत्यय, को । २ पूर्वकालिक क्रिया के साथ जुड़ने नैनियो, नैनी, नैन्यो, नैन्ही-वि० [सं० न्यच्] (स्त्री० नैनी) वाला प्रत्यय । ३ उत्तर कालिक क्रिया के साथ जुहने वाला १ छोटा, न्यून, पल्प । २ अल्पायु। ३ लधु। ४ कम For Private And Personal Use Only

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