Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 797
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्याए ( ७६८. ) प्रत्तो न्यारा, न्यारणो-देखो 'नारणो' । न्याव-पु. [सं० निर्वात ] १ मिट्टी के कच्चे बतन पकाने का न्यांन पृ० [सं० ज्ञान] ज्ञान । स्थान, खडा, पावा। २ पकाने के लिये चुने हुए बर्तन । न्याह, न्याई -१ देखो 'गाई' । २ देखा 'न्यायो । ३ देखो 'न्याय'। ४ देखो 'नाव' । मात-देतो 'न्याति', न्यानो (डौ)-पु. १ पानी का बर्तन । २ देखो 'न्याय' । ग्यानगगा-स्त्री० जाति समूह। न्यापरणात १० [सं० न्याय ] १ न्याय, इन्साफ । २ न्याय करके न्यात-पांत-देखो 'न्याति-पांति'। निसाय करने की तारीख । न्यातरों-देखो 'नातौ'। न्यास-पृ० [सं०] १ स्थापन किया, स्थापना । २ धरोहर, अमान्याति-स्त्री० [सं० ज्ञाति] एक ही जाति के मनुष्यों का समूह नत, थाती । २ ट्रस्ट । जिममें कई गोत्र या कुल होते हैं। जाति-समूह, वर्ग, वर्ण । भ्यानस्वर-पु० [सं०] किसी राग को समाप्त करने का स्वर । न्याति-पांति-स्त्री० जाति की श्रेणी, जाति में समता होने की न्यू जपउ. न्यू जरणौ-देखो जगो' । अवस्था। न्यू त-देखो नैत' : न्याती-१ देखी 'न्याति' । २ देखो 'नाती। न्यूनगो (बौ)-देखो 'निमत्रणी' (बो)। न्यातीलो-वि० न्यात संबंधी यातिका । न्यू तो--देखो 'निमत्रण'। न्याद-पू० [सं०] भाजन । न्यून-वि० सं०१ कम थोड़ा । २ नीच, अद। ३ डिंगल में न्याय-पु० [सं० १ इसाफ, उचित एवं व्यावहारिक निर्णय । वयण सगाई का एक भेद । २ सच्ची बात। ३ विवाद का उचित हल । समाधान । न्यूनजथा--स्त्री० [सं० न्यून-यथा] डिगन गीत रचना को ४ उचित विचारों को निरूपित करने वाला शास्त्र, तर्क, एक विधि। दृष्टान्त आदि से युक्त वाक्य । -क्रि०वि० १ निश्चय ही, | न्यूनता-स्त्री. १ कमी, अल्पता । २ शूद्रता, नीचता । अवश्य । २ देखो 'नाई। -कारी-वि. न्यायकर्ता। ३ बदनामी, अपयश। --छांणी-वि० छानबीन कर न्याय करने वाला। न्योळ-देखो 'नोळ । .--धामी-वि० न्यायकर्ता। --पथ-पु० उचित मार्ग, उचित न्योळयौ-देखो 'नकुळ' । रीति । ---परता-स्त्री० न्यायशीलता। -वट-पु० न्याय न्यौछावर न्यौछावरि-देखो 'निछरावळ' । मार्ग, न्याय पथ । ---प्रत, अति-पु० न्याय करने का न्योतरणो (बौ)-देखो 'निमंत्रणौ (बौ) । संकल्प । --धती-वि० न्याय का व्रत रखने वाला । यौनिहार-देखो 'निमंत्रीहार' । न्यायशील। -सभा-स्त्री० न्याय करने के लिए जुड़ी यो नियमा', सभा, बैठक । । न्यौ'रा-देखो 'नो'रा'। न्यायाधीस-पु० [सं०] न्याय करने वाला अधिकारी, जज । भ्रमळ-देखो 'निरमळ'। न्यायालय-पु० [सं०] न्याय करने का स्थान, अदालत, ककारी। प्रकासुर-देखो 'नरकासुर'। न्यायास-देखो 'निवास' । ब्रग-देखो "निध। न्यापी-वि० [सं. न्यायिन न्याय का पक्ष लेने वाला, उचित नगरण-देखो 'निरगुरण' । बात कहने वाला। चग-देखो 'नरग'। न्यायो-देखो "निवायो' । जान-पु० [सं० न+यान] पालकी, डोली। न्यार-पु० १ घास, चारा । २ देखो 'भ्यारियौ। नतंग-देखो 'निरत। न्यारिया-स्त्री० स्वर्णकारों का एक भेद । चतंत-देखो निरतंत'। न्यारियो-पु० उक्त जाति का स्वर्णकार। चत-देखो 'निरत'। न्यारी-वि० (स्त्री० न्यारी) १ अलग, पृथक, जुदा, तटस्थ । तकार-देखो 'निरतकार'। २ अद्भुत, विलक्षण, विचित्र ! ३ दुर, दूरस्थ । व्रताण-देखो 'निरत'। ४ अन्य, भिन्न । न्याल-देखो "निहाल'। ति-१ देखो 'निरति' । २ देखो 'तो' । न्याळणी (बी)-देखो 'निहाळणी' (बो)। व्रती-स्त्री० वेश्या, गणिका, नर्तकी। न्याळस-देखो 'नासिल'। उत्त-देखो 'निरत'। -कार- 'निरतकार' । न्याळो-देखो 'नवाळो। चित्तणी, (बौ)-देखो 'निरतगो' (बी)। For Private And Personal Use Only

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