Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 765
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निलोको www.kobatirth.org ( ७५६ ) निधरणी कौ वि० (स्त्री० निणीकी) १ स्वतन्त्र भाजाद २ महान्, बड़ा । ३ जबरदस्त, शक्तिशाली । ४ असहाय गरीब, दीन । ५ बिना स्वामी का अनाथ, लावारिस | निधत्तकरम- पु० [सं० निवत्तकर्म] प्रयोग्य कर्मों को रखने की , क्रिया विशेष | (जैन) - निधनंब पु० नवनिधि | निधन - पु० [सं०] १ मृत्यु, अवसान । २ नाश, विनाश। ३ समाप्ति । ४ जन्म नक्षत्र से सातवां, सोलहवां व तेईसवां नक्षत्र । ५ फलित ज्योतिष में लग्न से आठवां स्थान । ६ कुटुंबात गरीब धनहीन पति-पु० शिव । गरीब, कंगाल । निधनव देखो 'नवनिधि' । निधपत - देखो 'निधिपति' । निधवन- देखो 'निभुवन । निवांत्री० [सं० बागीनिधि] शारदा । निधस- देखो 'नीधस' । निधसणी (बी) देखो नीरो (बी) | निधसुजळ - पु० [सं० निधिमुजल ] समुद्र, सागर । निधांन (नु)-१० [सं० विधान] १ खान बजाना धागार २ कोष, खजाना । ३ संग्रह कक्ष । भण्डार | ४ निधि, ५ श्राश्रय, आधार । ६ जहाँ कोई वस्तु लीन हो जाय, लय स्थान । ७ मुक्ति, मोक्ष सागर । निधाड़ी (बो) निघाडणी (यो)- क्रि० [सं०] निर्घटित ] परास्त धन । करना । विधि - स्त्री० [सं०] १ कुबेर की नौ निधियां । २ गड़ा हुआ द्रव्य । ३ खजाना । ४ धन, द्रव्य सम्पत्ति । ५ लक्ष्मी । ६ समुद्र । ७ आगार, घर । ८ भण्डार, खजाना । ९ विष्णु । १० अनेक सद्गुणों से भूषित पुरुष ११ मा पा प्रां का भेद विशेष । १२ नो की संख्या । -नाथ- पु० कुबेर । , प पति पाळ- पु० कुबेर सेठ साहूकार बजांची निधिध्यासन- देखो 'निदिध्यासन' । निधि-देखो 'जळनिधि' । निधी- देखो 'निधि' । निधीस्सर - पु० [सं० निधीश्वर ] निधियों का स्वामी, कुबेर । निपुख देखो 'न'। निधुवन पु० [सं० निधुनम् ] मंथुन, संभोग । निधू पु० १ इन्द्र, देवराज, सुरेन्द्र । २ निश्चय । - वि० १ अटल । २ अमर । निधूम - वि० [सं० निघू म] १ धूम रहित । धुंए से रहित । २ विना धूमधाम का | निघूवर पु० [सं० निधिवारि] समुद्र, जलधि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निध्यमा वि० [सं०] निधि + मि] नवमी निध्यांन- देखो 'निधांन' | निध्यासन- देखो 'निदिध्यासन' निधस- देखो 'नीध्रस' । निसरणी (बौ) - देखो 'नीधसणी' (बी) । निधू - देखो 'निधु' | निनंग-पु० [सं० निम्नांग ] १ वृक्ष, पेड़ । २ डिंगल गीतों में एक दोष । निनंद-पु० [सं० निनदः १ शब्द निकला । निनां देखो 'निदांण'। निनाणी-देखो 'निनांगवी' । निनांगणी (बौ) देखो 'निदाणी' (बी) | , निर्माण (4) देखो 'निनांग' निनां निपजाणी पृ० ९९ का वर्ष वि० (स्त्री० निनांगवी) सौ से पहले वाला, ९८ के बाद वाला । निनां (ए) वि० [सं० नवनवतिः] सौ से एक कम, नवौ - पु०नब्बे व नौ की सख्या ९९ । दिनांक- वि० निम्नाराये के लगभग निनामो देखो 'निगांव । निनाम निमोवि० (स्त्री० निनोमी) नाम रहित निनाअ, निनाद, निनादि-पु० [सं० निनादः ] १ नाद, शब्द, आवाज । २ एक प्रकार का वाद्य ३ कोलाहल, रव । ४ भिन्न-भिन्न शब्द | निनिखुणि, निनिखुणी-स्त्री० वाद्य विशेष की ध्वनि । निन्नांग - देखो 'निनांणू' । निन्नेह - वि० [सं० निः स्नेह ] स्नेह रहित (जैन) । निम्यांणवं, निन्यानवे - देखो 'निनांणू' । निन्हव-पु० [सं०] निम्ब] १ सत्य को छिपाने वाला (जैन)। २ ला | (जैन) निपग - वि० [सं० नि + पंगु ] हाथ-पांवों से लाचार, अपाहिज निकम्मा । निव० [सं० निपः] १ पड़ा गगरी कलश २ कदम का वृक्ष निपगाई स्त्री० [सं० नि पद] अविश्वास निपगौ-वि० [सं० नि पद] (स्त्री० निपनी) १ हाथ पांवों से हीन, अपाहिज निकम्मा । २ अविश्वनीय । निपज देखो 'नीपज' | - For Private And Personal Use Only निपजणी (बौ) - देखो 'नीपजणी' (बी) । निपजारी, (बौ), निपजावरणौ (बौ) - क्रि० [ सं निष्पादनं ] १ उत्पन्न करना, पैदा करना। २ उगाना, बोना । ३ बढ़ाना,

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