Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 782
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसोत निस्तज निसोत, निसोय-स्त्री० [देश॰] एक प्रकार की लता। निस्चळता-स्त्री. सं. निश्चलता| १ स्थिरता, दृढ़ता । २ अचनिस्कटक-वि० [सं० निष्कंटक] १ काटों से रहित । २ विघ्नों से पलता, शांति । रहित । ३ दुःखों से रहित । निस्चित-वि० [स. निश्चित चिता राहत, बाफक्र, मस्त। निस्कठ-पु० [सं० निष्कंठ] वरुण नामक पेड़ । निस्चितता-स्त्री॰ [सं० निश्चितता | बेफिकी, मस्ती। चिताओं निस्कप-वि०म० निष्कंप] कंपन रहित, अचंचल, स्थिर। से मुक्ति। निस्कभ-पु० [सं० निष्कंभ] गरुड़ के एक पुत्र का नाम । निस्चित-वि० [सं० निश्चित | १ तय किया हुमा, तपसुदा । निस्क-पु० [सं० निष्कः] एक प्रकार की स्वर्ण मुद्रा । २ निर्णीत । ३ पक्का, दृढ़ । ४ अवश्यंभावी। निस्कपट-वि० [स० निष्कपट] छल रहित, कपट रहित । निस्चिळ-देखो 'निस्चळ' । सीधा, सरल । --ता-स्त्री. कपट रहित होने का भाव, निस्टि-स्त्री० [सं० निष्टि) असुरों की माता दिति का एक सरलता, सीधापन । नाम। निस्कपटी-वि० [सं० निष्कपटी] कपट रहित, छल रहित । निस्ठा-स्त्री० [सं० निष्ठा] १ ईश्वर, धर्म या गुरु जनों के प्रति होने सीधा, सरल । वाली श्रद्धा, भक्ति । २ दृढ़ विश्वास । ३ प्रगाढ़, अनुराग । निस्करम, निस्करमी-वि० [सं० निष्कर्मन्] जो कर्मों में लिप्त । ४ अत्यन्त आदर की भावना । ५ जीव और ब्रह्म की न हो, अकर्मा, कर्म रहित । एकता की स्थिति, चरम स्थिति। ६ चित्त की स्थिरता, निस्करुण-वि० [सं० निःकरुण] जिसमें करुणा न हो, निष्ठुर, मन की एकाग्रता । ७ दृढ़ निश्चय । ८ अवस्था, स्थिति । बेरहम । ९ निर्वाह । १० ठहराव। ११ प्रतिष्ठा । १२ उत्कृष्टता। निस्कळक-वि० सं० निष्कलंक] बिना कलंक वाला, बेदाग, १३ निपुणता । १४ इति, समाप्ति । १५ नाश, विनाश । निर्दोष । -तीरथ-पु. एक पौराणिक तीर्थ । १६ प्रलय के समय विष्णु की समस्त भूतों में होने वाली निस्कळ-वि० सं० निष्कल] १ कला रहित । २ पूरा, समस्त । स्थिति । --वांन-वि० जो निष्ठा रखता हो, श्रद्धालु । ३ नपुसक । ४ वृद्ध, बूढा । -पु० ब्रह्मा । निस्ठुर-वि० [सं० निष्ठुर] १ दया, करुणा आदि कोमल निस्काम-देखो 'निकांम'। भावनामों से रहित। रूखा । २ कर, निर्दयी। ३ कटु, निस्कामी-देखो निकामी' । अप्रिय । ४ सख्त, कठोर । निस्कारण-वि० सं० निष्कारण अकारण, व्यर्थ । निस्ठुरता निस्ठुराई-स्त्री. १ क्रूरता, बेरहमी, निर्दयता । निस्क्रमण-पू० [सं० निष्क्रमरण] बाहर निकलने की क्रिया या २ कठोरता. कडाई। भाव । निकास। | निस्तरण-पु.. निस्तरणम्] १ तरना, पार होना क्रिया। निस्क्रिय-वि० [स. निष्क्रिय ] क्रियाहीन, उद्यमहीन, कर्म शून्य, २ उद्धार, मुक्ति, छुटकारा । निश्चेष्ट । निस्तरणो (गै)-क्रि० [सं० निस्तरणम्] १ तरना, पार होना । निस्क्रीयता-वि० [सं० निष्क्रियता] क्रियाहीनता, उद्यमहीनता, २ मुक्त होना, छूटना । ३ देखो 'नस्तरणो' (बी)। कर्म शून्यता, निश्चेष्टता। निस्तरियउ-वि० [सं० निस्तीर्ण] मुक्त, छूटा हुमा । उद्धरित। निस्वळेस-वि० [सं० निष्क्लेश] क्लेशों से मुक्त । निस्तार-पु० [सं०] १ छुटकारा, मुक्ति। २ मोक्ष, निर्वाण । निस्चइ, निस्चय-पु० [सं० निश्चय] १ निर्णय, फैसला । ३ पार होना क्रिया। ४ बचाव । ५ उपाय जरिया, २ स्थिर विचार, इरादा। ३ अवश्य घटित होने वाली माध्यम । ६ ऋण से छटकारा । स्थिति । ४ तय करने की क्रिया या भाव । ५ यकीन, निस्तारण-वि० [सं० निस्तार:] १ उद्धार करने वाला। विश्वास । ६ संकल्प । ७ शोध, खोज । २ तारने वाला, पार करने वाला। ३ मुक्त करने वाला, निस्चयांतर-भ्रांति-जथा-स्त्री० संदेह अलंकार के योग से रचित | छोड़ने वाला। ४ बनाने वाला । ५ देखो 'निस्तार' । डिगल गीत। निस्तारणौ (बौ)-क्रि० [सं० निस्तरणम] १ तारना, पार निस्चर-पु० [सं० निश्चर] एकादश मन्वन्तर के सप्त ऋषियों में करना । २ उद्धार करना, मुक्त करना । ३ छुड़ाना । से एक । निस्तारौ-देखो 'निस्तार'। निस्चळ (ल)-वि० [सं० निश्चल] १ अचल, स्थिर । २ अवि- निस्तेज-वि० [सं०] १ तेज, प्राभा या कांति रहित । २ मंद, चल, दृढ़, अटल । ३ शान्त, अचंचल । ४ अपरिवर्तनीय ।। फीका । ३ मलिन । ४ अग्निहीन । ५ उष्णता शून्य । ५ परब्रह्म । ६ देखो 'निसचळ' । ६ नपुसक । ७ सुस्त, पालसी । ८ धुधला। For Private And Personal Use Only

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