Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 761
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निगद ( ७५२ . ) निघटणी निगद-पु० [सं० निर्गद] चन्द्र, चन्द्रमा । निगे-देखो 'निगाह'। निगध-पु० [सं० निषध] निषधराजा। निगेम-वि० १ पवित्र, शुद्ध । २ कल्याणकारी, मंगलमय । निगम -पू० म०] १ ईश्वर, परमात्मा । २ वेद। ३ वेद ३ उज्ज्वल, शुभ्र । ४ निष्कलंक, बेदाग । ५ जबरदस्त, संहिता। ४ वेद का कोई अंश । ५ शास्त्र। ६ वेद का शक्तिशाली। ६ देखो 'निगम' । भाष्य । ७ धातु । ८ विश्वास । १ निश्चय । १० न्याय । | निगे-देखो 'निगाह'। ११व्यापार । व्यवसाय । १२ हाट मंडी। बाजार। १३ मेला। निगेदारी, निगंदास्त, निर्गदास्ती-स्त्री० [फा०] निगगनी, १४ मोदागर । १५ मार्ग, रास्ता। १६ नगर, शहर ।। देख-रेख, जांच। १७ झुण्ड, समूह । १८ किसी कार्य विशेष के लिए बनाया | निगोट-वि० सं०निघोट] १ जो खोखला न हो, ठोस । २ नया, हुअा विभाम, संस्था वा मण्डल । -वि० जहां पहुंचना जो पहले काम में न लिया गया हो। ३ शुद्ध, पवित्र । संभव न हो, अगम्य । –निवासी-पु० विष्णु, नामयण । निगोद-पु० [सं०] अनन्त जीवों के पिण्ड-भून का एक निगमरणो (बौ)-देखो 'नीगमणी' (बौ)। शरीर । (जैन) निगमी-वि० [सं० नि-गम्य] जो पहुँच के बाहर हो, अगम्य । निगोदर, निनोदरी-पु० [देश॰] कंठ पर धारण करने का निगम्प-देखो 'निगम'। प्राभूषण विशेष। निगम्मी-देखो 'निगमी'। निगोदि-वि० १ निगोद' में रहने या निवास करने वाला। निगर-पु० [देश॰] एक पौधा विशेष । २ देखो 'निगोद'। निगरगंठ (ठौ)-वि० (स्त्री० निगरगंठी) जो किसी के काम | निग्गंथ, निग्गंयो देखो 'निरग्रंथ'। ___ न पा सके । निग्गत, निग्गय-वि० [सं० निर्गत] १ निकलने वाला, दूर होने निगरब (भ, व)-वि० [सं० निगर्व] गर्व व अभिमान रहित । वाला । २ निकला हुआ, दूरस्थ । (जैन) -पु० [सं० निगर्भ] जो गर्भ में न पावे, ईश्वर, परमात्मा।। निग्गही-वि० [सं० निग्राही] निग्रह करने वाला (जैन)। निगर-भर-वि० [सं० नि-गह्वर] भरपूर, सघन । निग्गुणौ-देखो 'निगुणौ'।। निगरांणी (नी)-स्त्री० देख-रेख, निरीक्षण, जांच । निग्न-वि० [सं० निघ्न] आज्ञाकारी, अनुगत, अधीन । निगरियो-देखो 'निगर'। निग्रह-पु० [सं०] १ मन की एकाग्रता, संयम । २ मन को निगरु-वि० जबरदस्त, जोरदार । नियंत्रित करने की क्रिया या भाव । ३ दमन । ४ रोक, निगळणौ (बो)-क्रि० [सं० निर्गलनम्] १ बिना चबाये गले के अवरोध । ५ रोकने का उपाय । ६ बंधन । ७ पकड़, कैद । नीचे उतार देना, गटक लेना । २ खा जाना। ३ बलात् ८ दण्ड । ६ नाश, विनाश । १० चिकित्सा, इलाज । हड़प लेना। ११ हार,पराजय । १२ अधीन करने की दशा । १३ भर्त्सना, निगल्लिका-स्त्री० चार वर्ण का एक वृत्त विशेष । डांट, फटकार । १४ अरुति, घृणा। १५ तर्क संबंधी एक निगस-देखो 'निघस'। दोष । १६ सीमा, ह्द । १७ दस्ता, वेट । निगहणौ (बी)-क्रि० [सं० निगृहीत] नियंत्रण करना। निग्रहण-वि० [सं०] रोकने वाला, रोक-थाम करने वाला। विगांमसिज्जाए-पु० [स० निगम-सैय्या] अधिक लंबा चौड़ा -पु० १ दमन करने का कार्य । २ दण्ड देने का कार्य । बिस्तर । (जैन) निग्रहणी (बी)-क्रि० [सं० निग्रहणम्] १ दमन करना, रोकना, निगा, निगाह-स्त्री० [फा०] १ नजर, दृष्टि । २ ध्यान । थामना । २ निग्रह करना, संयम करना। ३ दण्ड देना । ३ विचार । ४ पहचान,परख । ५ समझ । ६ तलाश खोज । सजा देना। ७ सुधि, देखभाल । निग्रहि-पु० १ युद्ध । २ देखो 'निग्रही। निगुडि-पु. एक प्रकार का वृक्ष विशेष । निग्रही-वि० [सं० निग्रहिन्] १ दमन करने वाला । २ रोकने निगुण-वि० १ कृतघ्न । २ कायर, डरपोक । ३ देखो वाबा, अवरोध करने वाला । ३ दण्ड देने वाला। निरगुण'। निग्रोध-देखो 'न्यग्रोध'। निगुणी (गो)-१ देखो 'निरगुण' । २ देखो 'निगुरग'। निगुर, निगुरु, निगुरू, निगुरो-१ देखो 'नगरौ'। २ देखो निघंट, निघंटु-पु० [सं० निघंटु] १ वैदिक कोश । २ शब्द __'निरगुण'। संग्रह मात्र। निगूढ़-वि० [सं०] १ अत्यन्त गुप्त । २ मजबूत, दृढ़ । निघटणी (बौ)-क्रि० [सं० निघटनं] १ कम होना, थोड़ा निगुढ़ारथक-वि० जिसका अर्थ गुप्त हो । गूढार्थी । होना, घटना । २ देखो "निघट्टणौ' (बौ)। ... For Private And Personal Use Only

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