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चुदक्कड़
( ४०७ )
चुळचुळाणी
चुदक्कड़-वि० १ बहुकामी, अधिक स्त्रियों से संभोग करने पर कष्ट प्रद लगना । ३ मन में खटकना । ४ व्यथा पैदा
वाला । २ बहुत संभोग कराने वाली स्त्री, संभोग होना । ५ हृदय में अंकित होना, दिल में बैठ जाना । प्रिय स्त्री।
| चुभारणी(बौ), चुभावरणी(बौ), चुभोरणी (बौ)-क्रि० १ कांटा या चुदणी-वि० बहु संभोग प्रिया।
कोई नुकीली वस्तु किसी अंग में घुसाना, घंसाना । २ स्पर्श चुदणी (बी)-क्रि० किसी स्त्री का संभोग किया जाना । भोगा कराकर कष्ट देना, तकलीफ देना । ३ व्यथा पैदा जाना।
करना। ४ मन में कोई बात बैठा देना । चुदवाई, चुवाई-स्त्री० १ संभोग कराने का कार्य । मैथुन । चुमकार (रो)-स्त्री० १ चुम्बन प्रादि की क्रिया । २ लाड-प्यार २ वेश्या वृत्ति से प्राप्त धन ।
से शान्त्वना देना, पुचकार । चुदाणी-स्त्री० अति कामी स्त्री।
चुमकारणी (बौ)-क्रि० १ चुम्बन आदि देना। २ लाडप्यार से चुदाणी (बी), चुदावरणौ (बी)-क्रि० संभोग कराना, पुरुष | शान्त करना, धैर्य देना पुचकारना । से समागम कराना।
चुमारणी (बौ), चुमावणी (बी)-क्रि० १ चूमने के लिये प्रेरित चुदास-स्त्री० मथुनेच्छा।
करना, आग्रह करना। २ चूमने के लिये प्रस्तुत करना, चुद्रा-स्त्री० दाख, किसमिस ,
आगे करना। ३ चुम्बन लिराना । चुनड़ियो-पु० एक प्रकार का घोड़ा ।
चुमासू-देखो 'चौमासो'। चुनड़ी-देखो 'चूंदड़ी'।
चुम्मक-देखो 'चुंबक'। चुनियोगूद-पु० पलास का गूद, कमरकस ।
चुम्मौ-देखो 'चुंबन'। चुनियो-पु० मीठा आदि खाने से बच्चों के पेट में होने वाला चुरडपो (बी) क्रि० १ द्रव पदार्थ को श्वास के जरिये मुह में श्वेत व बारीक कीड़ा ।
खींचनः । २ चूसना। चुनी (न्नी)-स्त्री. १ रत्न कण । २ छोटा नगीना । ३ छोटी | चुरडो-पु. चुल्लू, अंजली । लड़कियों की छोटी ओढ़नी ।
चुरट (8)-वि० १ लाल । २ हृष्ट-पुष्ट । -पु० एक प्रकार की चुप-वि० १ मौन, शान्त, खामोश । २ अवाक् । -स्त्री० चिलम जिसमें तम्बाखू भर कर बीड़ी की तरह पिया १ खामोशी, शान्ति । २ चुप्पी ।
जाता है। चुपके (क)-क्रि० वि० धीरे से, चुप-चाप । छुपे तौर पर। चरणाटो (ठो)-पू० १ एक ध्वनि विशेष । २ नाश, ध्वंस । शान्त भाव से।
चुरणियौ, चुरनियौ-देखो 'चुनियौ'। चुपकौ-वि० मौन, शान्त ।
चुरमली-स्त्री० काष्ठ की छोटी फांस । चुपड़णो (बी)-क्रि० १ रोटी प्रादि पर घी लगाना । २ चिकना
चुररौ-पु० चूरा, चूर्ण। करना,स्निग्ध करना । ३ लेप करना । ४ चापलूसी करना।
चुरस, (सि, सी)-वि० १ उत्तम, श्रेष्ठ । २ देखो 'चरस' । चुपड़ाणी (बी), चुपड़ावरणौ (बी)-क्रि० १ रोटी प्रादि पर घी.
चुराई-स्त्री० चोरी का कार्य। लगवाना । २ चिकना कराना, स्निग्ध कराना । ३ लेपन
| चुराणौ (बौ), चुरावरणौ (बौ)-क्रि० १ किसी का धन या वस्तु कराना।
चुपके से उठाकर ले जाना। २ हरण करना, अपहरण चुपचाप-वि० मौन, शान्त । -क्रि० वि० १ बिना कुछ बोले।
करना। ३ कोई वस्तु छुपा लेना। ४ कोताई करना, २ शान्त भाव से । ३ निरुद्योग से बिना प्रयत्न किये।
निश्चित कार्य न करना । ५ किसी कार्य के प्रति उदासीन चुपट-पु० चौगान ।
रहना, बचना, बहाने बनाना। ६ मोह लेना, प्राकृष्ट कर चुपाखर-पु० चारों ओर, चारों बाजू । (जैन)
लेना। चुप्पक-वि० मौन, शान्त।
चुरी-स्त्री. १ लग्न मंडप के चारों कोने पर चार मिट्टी के जल चुप्पालय-पु० १ विजय नामक देवता का शस्त्रागार ।
| पात्र रखने का ढंग या व्यवस्था। २ देखो 'चंवरी'।
चुरु-देखो 'चरु'। २ शस्त्रागार ।
चुळ-स्त्री० [सं० चल] १ खुजलाहट, खुजली । २ गुदगुदी। चुबारौ-देखो 'चौबारौं'।
३ मैग्नेच्छा (स्त्री०)। ४ हरकत । चुभकी-स्त्री० डुबकी, गोता।
चुळको-पु० १ हरकत, हलचल । २ एक मात्रिक छंद विशेष । चुभरणी (बी)-क्रि० १ किसी कांटे या नुकीली वस्तु का किसी चुळबुळारणौ (बौ)-कि० १ ग्खुजली चलना। २ गुदगुदी होना ।
अंग में घुम जाना, धंस जाना। २ बार-बार स्पर्श होने ३ मैथुनेच्छा होना । ४ हरकत करना।
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