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छारणौ
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( ४२८ )
डारी (बी) - फि० [सं० छादन] १ फैलना, पसरना । २ ब्याप्त होना । ३ श्राच्छादित होना । ४ श्राच्छादित करना । ५ परिपूर्ण होना, पूर्ण होना या करना । ६ बसना । ७ छिपना । ८ शोभित होना । ९ श्रावृत्त करना । १० तानना । ११ ढकना । १२ बिछाना, फैलाना । छात स्त्री० [सं०] छत्र ] १ छत का प्रांगन । २ समूह । ३ राज्य । ४ घाव, क्षत । ५ विवाह में नाई द्वारा किया जाने वाला दस्तूर विशेष व इस रस्म पर दिया जाने वाला नेग वि० इन्हें की पीठ के पीछे नाई अपना वस्त्र फैला कर रखता है, तब दूल्हा ऊपर से नेग की रकम नाई के वस्त्र में डालता है । ६ देखो 'छत्र' । वि० श्रेष्ठ, उत्तम । पत, पति, पत्ती'पति' । -रंगी- वि० जबरदस्त, प्रबल,
चतुर, दक्ष ।
छातर-१ देखो 'छत्र' । २ देखो 'छात्र' ।
छात्र- पु० [सं०] १ विद्यार्थी, शिष्य । २ छत्रपति, राजा । ३ एक प्रकार की शहद। पत, पति-पु० राजा, नृप । --प्रति- स्त्री० विद्यार्थी को पुरस्कार स्वरूप या सहायतार्थ दिया जाने वाला धन ।
छात्राळ-वि० छत्र धारण करने वाला राजा, नृप ।
छावा (रणी ) - पु० [सं० छादन] १ उल्टी, वमन, कै । २ श्राच्छादन ।
छाबक स्त्री० छिपकली ।
छाबड़ (ली) - देखो 'छाव' ।
उत्तरको पु० छिलका |
छाबड़ (डी) स्त्री० टोकरी
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छातरी (ब) फि० १ जलमग्न होना, इबना २ फैलना, छाबड़ी-पु० १ बड़ा टोकरा २ कुंकुम रखने का काष्ठ-पात्र । ।
पसरना । ३ छितरना ।
छाबल ( लि, ली) स्त्री० १ खंजरी से मिलता-जुलता एक वाद्य । २ इस वाद्य के साथ गाया जाने वाला गीत । ३ देखो 'छाब' ।
छाती - स्त्री० १ किसी प्राणी के पेट व गर्दन के बीच का भाग, सीना । २ स्त्रियों के कुच, उरोज ३ हृदय, कलेजा । ४ चित्त, मन । ५ हिम्मत, साहस, दृढ़ता। ६ श्रावेश, जोश । -कूटी-पु० निरर्थक श्रम परेशानी, मगजपची कलह, लड़ाई, दु:ख, मजबूरी में किया जाने वाला कार्य छोली - वि० दु:खदायी, कलह करने वाला । - बंब - पु० घोड़ों का एक रोग ।
छाबोली छाबोपो-देखो 'छाबड़ी' | छाय देखो 'छाया' ।
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छापल वि० १ बीर बहादुर २ गौकीन, रसिक । - । , छायांक- पु० [सं०] चन्द्रमा, चांद |
छाती - पु० १ छतरी, छाता । २ देशी शराब । ३ झुंड, समूह | मधु मक्खी का छत्ता ।
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छाल (ब) कि० १ साच्छादित करना, कना । २ उल्टी करना, वमन करना । ३ छा देना |
छावन - देखो 'छादरण' ।
छाप स्त्री० [१] वह वस्तु frent er feet धन्य वस्तु पर जिसका श्रंकन किसी किया जाये । २ मुद्रा, मुहर । ३ मुद्रांकन, चिह्न । ४ विष्णु के श्रायुधों के चिह्न । ५ किसी प्रकार का सांकेतिक चिह्न विशेष | ६ काव्य, गीत, पद आदि के अंत में लगा रचनाकार का नाम । ७ चित्र, तस्वीर। श्राभूषण विशेष ।
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छापरणी ( बौ) - क्रि० १ मुद्रांकित करना, ठप्पा लगाना २ चिह्नित करना । ३ मुद्रित करना, छापना । ४ वस्त्रों पर छपाई करना । ५ झड़बेरी के कांटों से श्रावेष्टित
करना ।
छापर (रि, री) - स्त्री० १ पहाड़ी, डूंगरी । २ पथरीली भूमि । ३ ऊसर भूमि । ४ रणक्षेत्र । ५ समतल भूमि, मैदान । छापरी वि० १ ठिगना, बीना, नाटा २ फैला हुआ, विस्तृत छापाखानी पु० मुद्रणालय, प्रेस | छापि (पी)- 5० जस पानी
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छापौ - पु० १ मुद्रण । २ देखो 'छाप' ।
छाब स्त्री० १ बांस की पतली खपचियों की बनी छोटी टोकरी, डलिया २ानुमा कोई धातु का पात्र ।
छाळउ
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छाया - स्त्री० [सं०] १ परछाई । २ पेड़ या इमारत की परछाई ।
३ छोटे बादलों की प्रतिछाया । ४ प्रकाश में व्यवधान से होने वाला अंधेरा । ५ कालिमा । ६ प्रतिबिंब, प्रतिकृति । ७ साया, आकृति । ८ अनुकरण, नकल । ९ देव माया या भूत-प्रेतादिक का प्रभाव । १० प्रभाव असर । ११ सूर्य की पत्नी का नाम । १२ शरण, रक्षा । १३ कान्ति, दीप्ति, झलक । १४ दुःख या चिंता के कारण आँख के नीचे पड़ने वाला कुछ काला दाग । १५ समानता । १६ रंग की गड़बड़ी १७ माया । १५ भ्रम, धोखा । १९ सुन्दरता २० पंक्ति २१ दुर्गा देवी । २२ रिश्वत २३ श्रार्या छन्द का भेद विशेष । जंत्र - पु० समय सूचक यन्त्र, घड़ी । - टोडी-स्त्री० एक राग विशेष । - पथ - पु० आकाश गंगा, श्राकाश – पुत्र पु० शनिश्चर । पुरुसपु० मनुष्य की परछाई। मांन, बाळ- पु० चन्द्रमा, चांद । छायोड़ो- वि० (स्त्री० छापोड़ी) माया दिन प्रवेष्टित । छारंडी - स्त्री० होली का दूसरा दिन ।
छार पु० [सं० क्षार ] १ राख, भस्म । २ क्षार । छाट-देखो 'खाळी' | छाळउ-देखो 'छाळी' ।
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