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चाट-पाट
पाळकियो
थाट-पाट, थाट-बाट-पु०१ वैभव, ऐश्वर्य । २ सजावट, शोभा। परिकल्पना । (जैन) ६ आकार चित्र, मूर्ति । ७ स्थापन,
३ शृंगार। ४ तड़क-भड़क । ५ प्राडम्बर । ६ शान शौकत । न्यास । ८ अनुज्ञा, सम्मति । ९ जैन साधु को भिक्षार्थ थाट-पाटौ-वि० १ हृष्ट-पुष्ट । २ सम्पन्न, वैभवशाली। रखी हुई वस्तु व इस वस्तु के रखने से होने वाला दोष । थाटव-पु. कवि । -वि० ठाट-बाट से रहने वाला।
-करम-पु० स्थापना कर्म । (जैन) । -चारज-पु० थाटवी-पु० युवराज का छोटा भाई।
स्थापनाचार्य (जैन)। -चारिज-पु० प्राचार्य संबंधी वस्तु थाटि-देखो 'थाट'।
(जैन)। -पुरस-पु० स्थापित की हुई मूर्ति, आकृति, थाटियो-पु० गाड़ी में गाड़ीवान के बैठने का स्थान ।। चित्र । --सच, सच्च, सत्य, साच-पु. कल्पित वस्तु को अधारिया, मोढ़ा।
सत्य मानने की अवस्था । थाटेसरी-पु० संन्यासियों का एक भेद ।
थापल-देखो 'थापी' । थाटो-पु० १ गाड़ी की छत, थाटा। २ खाद या धूल भरी थापलणी (बो)-क्रि० १ पीठ थपथपाना । २ थपकी देना ।
गाड़ी। ३ एक गाड़ी खाद या धूल की मात्रा। ४ वक्ष- | ३ उत्साहित करना। स्थल । -वि० ठहरा हुमा, स्थिर ।
थापिरिण, (णी)-देखो 'थापण' । थाडौ-देखो 'ठाडौ' । (स्त्री० थाडी)
थापोटणी (बो)-देखो 'थापलणौ' (बौ)। थान-पु० १ सहारा, रोक । २ स्तंभ । ३ सर्दी, शीतलता। यापी-पु० १ रंगादि पोत कर चिह्न अंकित करने का सांचा । थाढ़ौ-पु. [सं० स्थातृ] (स्त्री०थाठी) १ सहारा, आश्रय । २ र गादि से प्रकित किया जाने वाला हथेली का चिह्न।
२ रुकावट । -वि० १ खड़ा, सीधा । २ देखो 'ठाडो' । ३ किसी वस्तु को ढालने का सांचा । ४ खलिहान में अनाज थाणी (बी)-देखो 'थावणी' (बी)।
के ढेर पर गीली मिट्टी या गोबर का किया जाने वाला थात-पु० पैर का तलुवा, पाद-तल । -वि० [सं० स्थात] बैठा चिह्न । ५ ढेर राशि । ६ खलिहान में साफ अनाज का हुघा, ठहरा हुआ, स्थित ।
ढेर । ७ झड़बेरी के पत्तों का ढेर । ८ रहट के चक्र में थाप-स्त्री० १ हस्त-तल, थप्पड़, तमाचा । ३ हस्त-तल का लगाई जाने वाली लकड़ी। ९ विवाह के समय देवी,
प्राघात । ३ तबले आदि पर हाथ का प्राघात । ४ विचार देवताओं के लिए निश्चित किया हुअा स्थान । १० दोनों मंत्रणा । ५ कार्यक्रम, व्यवस्था । -वि० स्थापित करने बाहुमूलों के बीच का वक्षस्थल । ११ विवाह सम्पन्न होने वाला। -उथाप-पु० निर्णय फैसला। -वि० स्थापित पर सातु द्वारा दामाद को पीठ पर प्रकित किया जाने करने या उखाड़ने में समर्थ ।
वाला हाथ का चिह्न। १२ किसी वस्तु या किसी थापड़ी-१देखो 'थाप'। २ देखो 'थेपड़ी।
स्थान पर जमने वाला मिट्टी का ढेर । १३ किसी वस्तु पर थापट-देखो 'थाप' ।
एकत्र होने वाला चींटी आदि जीवों का समूह ।। थापण (रिण)-स्त्री० [सं० स्थापन, स्थापनिका] १ स्थापित थाबीजणी (बो)-क्रि० अर्थ संकट पड़ना, अर्थाभाव से दुःखी करने की क्रिया या भाव । २ धरोहर, अमानत ।
होना। -वि० स्थापित करने वाला।
थाबौ-पु० १ कष्ट, पीड़ा। २ निष्फल जाने की क्रिया या भाव । थापरणा-उथापणा-देखो 'थाप-उथाप' ।
थायरणों (बी)-देखो 'थावरणौ (बी)। थापणी-देखो 'थापण'।
थायी-देखो 'स्थाई'। थापणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्थापना] १ स्थापित करना, स्थापना थारउ-देखो 'थारो' ।
करना, बैठाना । २ जमाना । ३ प्रतिष्ठित करना। थारोड़ो-देखो 'थारो' । (स्त्री० थारोडी) ४ मुकर्रर करना, तय करना, निश्चित करना। ५ मानना। थारो-सर्व० (स्त्री० थारी) तेरा, तुम्हारा । प्रापका। ६ रखना । ७ एकत्र करना। ८ सौंपना । ९ प्रहार करना, | थाळ-पु० [सं० स्थालम्] १ किसी धातु की बनी बड़ी घाली, प्राघात करना।
तश्तरी, छिछला गोल पात्र । २ परात। ३ झालर नामक थापन-देखो 'थापण'।
वाद्य । थापना--स्त्री० [सं० स्थापन] १ किसी देव मूर्ति या देवताओं काल-पु०१ अपने गाल चाटने वाला धोड़ा। २ पाच बदलने
के किसी चिह्न को किसी स्थान पर स्थापित करने की की क्रिया या भाव। ३ किमी भारी वस्तु को घुड़काने का क्रिया, स्थापना, प्रतिष्ठा । २ नवरात्रि में दुर्गा पूजा के लिए क्रिया या भाव । -वि० ठीक, उचित । घट-स्थापना । ३ नवरात्रि का प्रथम दिन । ४ अधिकार, थाळकड़ी, थाळकली-देखो 'थाळी' । कब्जा । ५ वास्तविक वस्तु के अभाव में कल्पित वस्तु की थाळकियो-पु० १ छोटी थाली। २ देखो 'थाळो' ।
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