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दीप्य
दीवार
दीप्य-दि० [सं०] १ जलाने योग्य, जलने योग्य । दोवड़लौ-देखो 'दीपक' । २ चमकने योग्य ।
दीवड़ी, दीवड़ो-पु० [सं० दृति] १ बकरे की खाल या केन वास दीबेल-पु० [सं० दीपतल] दीपक में जलाने का तेल ।
की बनी, पानी रखने की लंबी थैली । २ एक पात्र विशेष । दीम, दीमक-स्त्री० [फा०] चींटी की तरह का सफेद कीड़ा, दीवट-स्त्री० [सं० दीपस्थ] दीपक रखने का दण्ड । बल्मीक ।
दीवटिउ, दीवटियो, दीवटियउ दीवटीउ, दीवटीओ, दीवटीयउ, दीयावळि-स्त्री० दिशा भ्रम ।
दीव टीयौ, दीवटौ-पु० [सं० दीपवतिका] १ कटोरीनुमा दीयावळी, दीयासूळौ-वि० (स्त्री० दीयावळी) दिशा भ्रमित । मिट्टी का दीपक । २ दीपक थामने वाला, मशालची। दीयो-पु० [सं० दीप] दीपक, दीप, चिराग ।
३ देखो 'दीपक'। दीरम्घ, दीरघ, दीरघड़ी-वि० [सं० दीर्घ १ बड़ा, विशाल । दीवड़-देखो 'दीवड़ी'।
२ महान। ३ लम्बा, चिरलम्बा । ४ स्थूल, मोटा। दोबडु (डू, डौ)-१ देखो 'दीपक'। २ देखो 'दीवड़ौ' । ५ भारी। ६ गंभीर, ऊंचा। ७ ह्रस्व का उल्टा। दीवळ-देखो 'दीमक' । --पु. १ ऊंचा स्वर । २ 'ऊंट । ३ गुरु वर्ण । ४ लंबा दीवलउ-देखो 'दीपक' । ममय, चिरकाल । -करण-पु. गधा, खर। -वि० लंबे दीवलियौ-१ देखो 'दीपक' । २ देखो 'दीवटियौ' । कान वाला। -काय-वि० बड़े डील-डौल वाला। दीवलो-देखो 'दीपक' । ----ग्रीव-पु० ऊंट। -छळ-पु० सिंह, शेर । --जीवी-वि० | दीवांण-पु० [फा० दीवान] १ राजसभा, दरबार । २ राज लम्बी प्रायु वाला। -तपो-वि० बड़ा तपस्वी । सभा का स्थान, सभा स्थल । ३ राजा का मंत्री, प्रधान, -दरसी-वि० दूरदर्शी । विचारवान । --पु० गिद्ध । भालू । वजीर । ४ स्वामी, अधिपति । ५ कवहरी, न्यायालय । --निस्वास-पु. दुःख भरी लंबी श्वाम।-पत्र,पत्रक-पु० ६ उदयपुर के महाराणा की उपाधि । ७ शिव, महादेव । प्याज ।-पत्रिका-स्त्री०मप द वच । शाल पर्णी 1-पिस्ट,पीठ- ८ मंदिर । ९ ईश्वर, परमात्मा। -वि० [फा० दीवान] पु०मर्प, नाग । हाथी, गज ।-फळ-पु० अमलतास ।-बाहु- १ मस्त । २ वीर, बहादुर । ३ पागल । ४ देखो 'दइवांण' -वि० प्राजनबाह । -पु० धृतराष्ट्र का एक पुत्र ।। -प्राम-पु० ग्राम सभा का स्थल । पाम दरबार ।
-मारुत-पु० हाथी। --मुख-पु० एक यक्ष । -वि० बड़े -----खांनौ-पु. बैठक का बाहरी कक्ष । -खालसौ-पु. मुख वाला। -मूळ-पु. एक प्रकार की घाम । एक लता
राजा या दरबार की मुहर रखने वाला अधिकारी। विशेष । -यग्य-वि० जिसने चिरकाल तक यज्ञ किया हो। - खास-पु० खास-खास आदमियों की सभा, विशेष सभा । -वाह'दीर्घबाहु'। --सूत्रता-स्त्री० सुस्ती, आलस्य । -गिरी-स्त्री० दीवान का कार्य । दीवान का पद । घोर काय करने का प्रादत। -सूत्रा-व० आलसा, दीवांणी-स्त्री० [फा० दीवानी] १ दीवान का कार्य व पद। प्रमादी। धीरे कार्य करने वाला। -स्थरणी, स्थनी-वि०
२ जमीन, जायदाद, द्रव्य संबंधी दावा । ३ ऐसे दावों का बड़े-बड़े स्तन वाली । -स्वर-पु० द्विमात्रिक स्वर,
निर्णय करने वाला न्यायालय । ऊंचा स्वर ।
दीवारणी-देखो 'दीवानी' । दीरघरसन-पु० [सं० दीर्घ रमन] मर्प, सांप ।
दीवांन-देखो 'दीवांण'। दारघरामा-पु० [स० दाधरामन] १ भालून २ शिव का दीवांनी-वि० [फा० दीवान:] १ पगली, बावली, विक्षिप्ता। एक अनुचर।
२ देखो 'दीवांणी' दीरघा-वि० [सं० दीर्घा] बड़े आकार वाली। -स्त्री० लम्बी
दीवांनो-वि० [फा० दीमानः] (स्त्री० दीवांनी) १ पागल, गेलेरी।
विक्षिप्त । २ उन्मत्त, मस्त । वीरघायु-वि० [सं० दीर्घायु] चिरजीव, लंबी आयु वाला।
दीवाड़-वि० [सं० दा] देने वाला दाता । दातार । दीरघि-स्त्री० [सं० दीर्घ] लम्बाई, दीर्घता ।
दीवाझारी-स्त्री० एक जल पात्र विशेष । दीरधिका-स्त्री० [सं० दीपिका] १ वापिका । २ झील ।
दीवाटड़ी-स्त्री० मिट्टी का दीप । दीरध्य-देखो 'दीरघ'।
दीवाधरी-वि० [सं० दीप धारिन] दीपक थामने वाला। दीव-पु० [मं० दिवम] १ सूर्य । २ देखो 'दिव' ।
। दीवार, दीवाल-स्त्री० [फा० दीवार] १ पत्थर प्रादि की ३ देखो 'दीप' । ४ देखो 'द्वीप'।
खड़ी चुनाई । २ परदा, ग्राड, घेरा। ३ पात्र या किसी दीवउ,दीवक-देखो 'दीपक'।
वस्तु का खड़ा भाग । ४ मतह से चारों ओर उठा हुया दोवड़की, दीवड़ली-देखो 'दीवड़ी'।
कोई भाग ।
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