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धू सरो
धूपट
धूसरौ-वि० [सं० धूसलि] (स्त्री० धूसरी) मटमैला, धुधला। धूजारणी (बी), धूजावणी (बी)-देखो 'धुजारणी' (बी)। धू साळी-पु. [देश॰] १ गप्प, डींग। २ देखो 'धू सौ'। धूजी-देखो 'ध्रुव'। धू सौ-पु० [सं० धूस्] १ धातु का बना नगाड़ा। २ नगाड़ा। धूण-देखो 'धूण'।
३ नगाड़े पर होने वाला प्रहार । ४ नगाड़ा बजाने का | धूरपणी (बौ)-देखो 'धुराणी' (बी)। डंडा । ५ एक राजस्थानी लोक गीत । ६ सामर्थ्य । धूरिणयरण, धुरिणयाळ-पु० १ सुमेरू पर्वत । २ देखो 'धुरिणयाळ' । ७ अोढ़ने का ऊनी वस्त्र विशेष ।
धूरणी, धूणौ-देखो 'धूणी'। धूहर (रि, रो)-देखो 'धू'र' ।
धूणी (बो)-देखो 'धोणी' (बौ)। धू हो-देखो 'वो'।
धूत-वि० [सं० धूर्त, अवधूत] १ उन्मस्त मस्त । २ पागल । धू, धूप्र-पु० १ शिव, महादेव । २ हाथी, गज । ३ भार, बोझ । ३ योद्धा, वीर । ४ देखो 'धूरत'। ५ त्यागी, वैरागी।
४ विचार । ५ चित्त, मन, हृदय । ६ हाथ, कर। धूतड़ळ, धूतळ-देखो 'धूत' । ७ शिर, मस्तक [सं० ध्रुव] ८ निश्चय । ६ दिन, दिवस । धूतरणौ (बौ)-क्रि० [सं० धूत] धूर्तता करना, ठगना । १० तबले का बोल -स्त्री० ११ शब्द, ध्वनि । १२ उत्तर धूतताप-स्त्री० [सं०] काशी की एक छोटी प्राचीन नदी । दिशा, ध्र व दिशा । १३ चिंता, फिक्र । १४ प्राग, अग्नि । | धूतारण-पु० [स. ध्र वः+तारण] विष्णु, ईश्वर, परमेश्वर । १५ दुत्कार, फटकार । १६ शीघ्रता करने की क्रिया या | धूतारणी (बौ)-क्रि० [सं० बुर्तम्] भड़काना, सिखाना । भाव । १७ जोश दिलाने की क्रिया। -वि०१ वीर, बहादुर। धूतारी-स्त्री० [सं० धूर्तम् ] पृथ्वी, धरती। -वि० ठगने वाली, २ निश्चल, स्थिर, अटल । ३ कांपने वाला, डरने वाला, । ठगोरी । चालाक, दुष्टा। कायर । ४ धूर्त, कपटी। ५ प्रथम, पहला। -क्रि० वि० धूतारौ-१ देखो 'धूत' । २ देखो 'धूरत' । १ पहले, पूर्व में । २ अोर, तरफ । ३ शीघ्र, तुते ।
धूती-स्त्री० शाक विशेष । --वि० ठगने वाली, चालाक, दुष्टा । ४ देखो 'धी'। ५ देखो 'ध्रुव' ।
धूतौ, धूत्यो-१ देखो 'धूत' । २ देखो 'धरत' । धून उ-देखो 'धुवो'।
धूधड़ाक-वि० निडर, निर्भय । धूअर (रि, री)-देखो 'ध'र'।
धूधड़े, धूधई, धूधडे, (डे-वि० सं० घ्र व-धट:] १ अटल, धूप्रा-देखो 'धू'।
दृढ़ । २ निडर, नि:शंक । ३ चौड़े में, खुले प्राम। धूई-१ देखो धूणी' । २ देखो धुई।
धूधर-पु. शरीर, देह । धूम्रो-१ देखो 'धू' । २ देखो धुवौ' ।
धूधळ-देखो 'धुधळ' । धूक-देखो 'धाक'।
धूधळणौ (बी)-देखो 'धुधळणो' (बौ)। धकरणौ (बो)-क्रि०१ध्वनि करना,बजना। २ देखो'करणी' (बी)। धूधारण-वि० [सं० ध्रुव-धारण] अटल, स्थिर, दृढ़ । धूकळ-देखो 'धू वळ'।
धधूप्रार-पु० जोर से चिल्लाने की क्रिया । धूकळणौ (बौ)-देखो 'धौंकळणौ' (बौ) ।
धूधूकट-देखो 'धुधुकट'। धूकार -देखो 'धुकार'।
धधकार-अव्य० १ अधिकता बोधक अव्यय शब्द । २ देखो धूकारणी (बी)-क्रि० ध्वनि करना, बजाना ।
'धुधकार'। धकारव-१ देखो 'धोंकार' । २ देखो 'धुकार' ।
धून-स्त्री० [सं० धूत्र | १ धुनने की क्रिया या भाव । २ देखो धूखरण, धूखळ- देखो 'धूकळ' ।
'धुन' । ३ देखो 'धुन' । धूखळणी (बौ)-देखो ‘धौंकळणौ' (बी)। धूर, धूडि, धूड़िया, धूड़ीड़, धूड़ोड़, धूडोडो, धुडो-स्त्री०
धूनी-१ देखो 'धुन' । - देखो णी' ३ देखो 'धून' । [सं० धूलि] १ मिट्टी, रेणु । रज, गर्द । २ निरर्थक वस्तु । धूनी-पृ० १ जाति विशेष का घोड़ा । २ देखो 'न' । -कोट-पु० मिट्टी का बना कच्चा किला । -गढ़-पु० मोर्चे धूप-पु० [सं०! १ देव मूति ग्रादि के सम्मुख जलाने का अगरके लिये बनी धूल की दीवार । धूल का गढ़ ।
बदन आदि मगध द्रव्य । २ गुगंध द्रव्यों का मिश्रा, धूज-स्त्री० [सं० धू] कंपन, थर्राहट ।
अप । ३ मयं का प्रकाश, पातप । --स्त्री. ४ तलवार, धूजट (टि, टो)-देखो 'धूर जटी'।
खड़ग । -घड़ी स्त्री-अप के प्राधार पर ममम का ज्ञान धूजण (रिण,पी)-स्त्री०कांपने, थर्राने की क्रिया या भाव, कंपन ।
कराने वाला यंत्रा-घटी-स्त्री० धूपदानी । छाया-स्त्री. धूजणों (बो)-क्रि० स० धू] १ कांपना, थर्राना। २ भय ।।
कही पर हल्का व कहीं गहरा दिखने वाला वस्त्र । खाना, डरना। ३ हिलना-ड्रलना । ४ आन्दोलित होना। धूपट स्त्री मानन्द, मौज व खाने-पीने की मस्ती की अवस्था ।
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