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धरती
धरधरण पु० [सं०] धरा-धरण] शेषनाम।
घरघरवेळा स्त्री० संध्या
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विचार करना । १० पास में रखना, रक्षा में रखना । ११ स्वीकार करना । १२ चौकन्ना होना, सावधान होना । १३ ध्यान देना । १४ संकल्प करना, दृढ़ निश्चय करना । १५ पहनना, धारण करना । १६ स्थापित करना, ठहराना । १७ प्रगट करना । १८ संलग्न होना, काम में लगना । १९ चौकीदारी करना, देखभाल करना । २० वहन करना । २१ अवस्थित होना, ठहरना, रहना । २२ गिरवी या बंधक रखना । २३ जोर से पकड़ना, थामना । २४ डींग मारना, कहना । २५ प्रहार करना, मारना । २६ वश में करना, कावू करना, रोकना । धरती स्त्री० [सं० धरित्री) १ पृथ्वी भूमि २ जमीन, धरातल, भू खण्ड | ३ प्रांगन । ४ कृषि भूमि । ५ जागीर, राज्य । - थंभ - पु० योद्धा, वीर राजा, नृप । धरती-री-करोत-० ऊंट
धरती धरती, धरती, धरत्री-देखो 'धरती' ।
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धरम धरमल पु० [सं० घरा-स्तंभ] १ राजा नृप। २ बीर योद्धा ।
धरधर-१ देखो 'धराधर' २ देखो 'द्रग्रहबार ।
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घरधारक- पु० [सं०] धरान्धारक] शेषनाग
धरणीस पु० [सं०] धराधीय] १ राजा नृप । २ जागीरदार धरधुख - पु० [सं० धरा धुक्ष | पृथ्वी की गर्मी, उष्णता । घरघूस-वि० जमीदोज भूमिसात धरन- १ देखो 'धरणी' । २ देखो घरपत, (पति, पता, पत्त पत्ती) देखो 'धपति' । धरपाड़ो पु० भूमि दोनने वाला घातलायी ।
'धरण' ।
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धरपुड़ - पु० धरणी तल, धरातल ।
धरबार - देखो 'दरबार' ।
धरभार उतारण- पु० ईश्वर परमेश्वर ।
धरमंडल-पु० [सं०] धरा-मण्डन्] इन्द्र
धरमंडळ धरमंडळ-पू० [सं० धरा मण्डल) भूमण्डल, पृथ्वी
मण्डल |
धरम- पु० [सं०] धर्म] राधा की कोई विडिष्ट प्रणाली या सिद्धान्त, मजहब, धर्म । २ स्वच्छ सामाजिक व्यवस्था के लिये निर्मित वृत्ति, श्राचरण या व्यवहार । ३ सदाचार, सत्कर्म । ४ पुण्य दान। ५ सदाचार संबंधी सिद्धान्त । ६ पारलौकिक सुख या मोक्ष प्राप्ति संबंधी कर्म । ७ उच्च चरित्र, ईमान । ८ वस्तु का मूल गुण, प्रकृति, स्वभाव । ६ सन्मार्ग बताने का सिद्धान्त या उपदेश । १० कर्त्तव्य, फर्ज | ११ गुण, समान गुण । १२ युधिष्ठिर का एक नाम । १३ यमराज | १४ वर्तमान अवसर्पिणी के १५ वें रहत
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करम
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क्षेत्र घेत क्षेत्र पु० कुरु क्षेत्र
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का नाम । १५ यज्ञ । १६ सत्संग | १७ ढगरण की छः मात्राओं के बारहवें भेद का नाम । १८ जन्म लग्न से नौवें स्थान का नाम । १९ अटल व दृढ़ निश्चय । --आत्मज- पु० युधिष्ठिर । ० धार्मिक कर्म दान पुण्य ७२ कलाओं में से एक भारतवर्ष । - ग्य-वि० धर्म को जानने वाला । धार्मिक | - प्रथ-पु० किसी धर्म विशेष के निरुपण संबंधी ग्रंथ । - घंट- पु० काशी खण्ड । हेमाद्रि दान खण्ड । —चक्र - पु० जिन देव का चक्र । चर् या स्त्री० धर्माचरण । - पु० युधिष्ठिर । नर नारायण । जिहांन - पु० सूर्य, भानु । - जीवन - पु० धार्मिक कर्म कराकर निर्वाह करने का कार्य-वुड ० कपट रहित युद्ध दर्शन पु० बड़ों की शान्ति हेतु किया जाने वाला दान । —धक, धक्कौ- पु० धर्म की आड, दुहाई । धरा- स्त्री० पुण्य भूमि । भारतवर्ष । — ध्यान पु० धर्म कर्म तथा ईश्वर चिंतन | - धारी- पु० धर्म निभाने वाला धुज-पु० राजा, नृप । धर्म ध्वज । - धूरीण - वि० धर्म में अग्रणी । - ध्वज - पु० पाखंडी, ढोंगी । - नाथ- पु० जैनों के १५ वें तीर्थंकर का नाम-राम-पृ० विष्णु निस्ठ वि० धर्मज्ञ, धार्मिक धर्म पर दृढ़ निस्ठा स्त्री० धर्म में विश्वास नीतिस्त्री० धर्म पूर्ण नीति । ७२ कलाओंों में से एक । ६४ कलाओं में से एक । – पण पु० धर्म स्थिति । धर्म पराय - रगता । - पतनी, पत्नी स्त्री० शास्त्र रीति से विवाहता स्त्री, धर्मपत्नी । पथ - पु० शास्त्र के अनुसार श्राचरण, धर्माचरण -पाळ- पु० धर्म रक्षक । धर्म पालक । दड राजा दशरथ का एक मंत्री । पुत्त, पुत्र- पु० युधिष्ठिर । नर नारायण । पुत्र रूप में मान्यता बैकुण्ठ न्यायालय कचहरी धार्मिक कार्यों की -पूत, पू'धरमपुत्र फूल-पु० स्वर्ग -बुद्धि०च्छे-बुरे का ज्ञान भाई पु० भाई के रूप में मनोनीत विजातीय व्यक्ति । भिक्षक-पु० धर्मार्थ भिक्षा मांगने वाला । भीरु वि० धार्मिक रूढ़ियों से डरने वाला । - मंढ़- पु० विवाह मण्डप, वेदी 1 - राज-पु० यमराज युधिष्ठिर । राजा धर्म पर चलने वाला । -लाभ-पु० जैन साधुग्रों का आशीर्वाद । —लेस्या - स्त्री० तेजो, पद्म और शुक्ल लेश्या का समूह । -वंत, वत - वि० धार्मात्मा, धार्मिक - वप-पु० एक सूर्य वंशी राजा । वाहन पु० भैसा विचार पु० ६४ कलामों में से दिक रीति से किया जाने वाला
-पुरी-स्त्री० यमपुर । पूरी गु० दान-पुण्य एवं व्यवस्था करने वाला विभाग ।
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एक विवाह पु०
विवाह | कन्या के बदले कुछ न लेकर किया गया विवाह ।
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परम-विवाह
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