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दयावरणउ
दरबार
दयावणउ, क्यावरणी-वि० (स्त्री० दयावरणी) १ जिससे दया | दरजण-स्त्री० १ बारह नगों या वस्तुयों का समूह । २ दर्जी उत्पन्न हो । २ उदाम, दीन।
की स्त्री। दयावती-स्त्री० [40] ऋपभ म्वर की तीन थ तियों में से | दरजी-पु० [फा०] (स्त्री. दरजगा) १ कपड़ों को मिलाई करने पहली। -वि० दया करने वाली।
वाला कारीगर । २ ऐमा व्यवसाय करने वाला वर्ग, दयिता-रत्री० [सं०] १ पत्नी, भार्या । २ प्रेयसी, प्रेमिका ।। जाति । ३ स्त्री, औरत ।
दरजोरण दरजोधन-देखो 'दुरयोधन' । दरंग-पु० [म. दुर्ग] १ टीबा, टीला । २ देखो 'दुरग'। दरगौ (बौ)-देखो 'डरगौ (बौ)। दर-पु० [सं० दर:] १ शंख । २ गुफा, कंदरा । ३ रंध्र, बिल । | दरद-पु० [फा० दर्द] १ कष्ट, दुःख। २ दर्द, पीडा ।
४ दरार । ५ गड्ढा । ६ तीर, बारण । ७ प्राभूषण विशेष । ३ बीमारी, राग। ४ तकनीक मुसीबत। ५ यत ।। - भय, डर । [फा०] ६ द्वार, दरवाजा । १० स्थान, ६ वरुणा, दया तग्स टीम वसक। --ब, बंदजगह ।११ दरबान, छडीदार । १२ हृदय, अन्तरात्मा । -वि० पीडित, दुःखी। दयालु वृपालु। १३ ध्यान । १४ भाव । -वि० किंचित, थोड़ा, न्यून । दरदरालो (बौ)-क्रि॰ [स. दरण १ किसी वस्तु को दलना, -प्रव्य० [फा०] में, भीतर ।
दलिया बनाना, रवे या करण बनाना । २ अांख ग्रादि में दरअसल-क्रि० वि० वास्तव में ।
खटका होना, दर्द होना. पोड़ा होना, खटकना। दरक-पु० ऊंट, उष्ट ।
दरदरी-स्त्री० [सं. धरियो] पृथ्वो, भूमि । -वि. रवेदार, दरकणी (बो) -क्रि० [सं० दी] विदीर्ण होना, फटना।
करणदार । दरकारपो (बौ)-क्रि० विदीर्ण करना, फाड़ना ।
दरदरौ-वि० [सं० दरग] कगण के रूप में, रवेदार । बरकार-स्त्री० [फा०] १ आवश्यकता, जरूरत । २ इच्छा. | दरदी-वि० [फा० ददं] १ दूसरों के दुःख दर्द को समझने वाला, अभिलाषा । --वि० अावश्यक, अपेक्षित ।
सहानुभूति या दया करने वाला । २ जिसके किसी बात का दरच, दरकू चां, बरफूच दरकूचा-क्रि० वि० [फा०] मंजिल- दर्द हो, पीड़ित। दर-मंजिल क्रमशः आगे बढ़ते हुए।
दरदु-पु० [सं० दद्रु] १ दाद नामक रोग । २ देखो दरदी', बरको-देखो 'दरक' ।
दरदुर-देखा 'दादुर'। दरक्क-देखो 'दरक'।
दरह-देखो 'दरद'। बरक्करणौ (बो)-देखो 'दरकगो' (बौ)।
दरप-पु० भ० वा] १ गवं, घमंड, अभिमान । २ दुस्साहस । दरखत, दरखतियो-पु० [फा० दरख्त] वृक्ष, पेड़।
३ चिड़चिड़ापन, तुनकमिजाजी । ४ गर्मी, ताप । दरखास्त-स्त्रा० [फा० दरख्वास्त] १ अर्जी, प्रार्थना, निवेदन ।। ५ मुश्क मृगमद। २ यावेदन-पत्र प्रार्थना-पत्र ।
दरपक-पु० [स० दर्पक] १ कामदेव । २ प्रद्युम्न । दरगह. दरगा, दरगाह, दरग्गह-स्त्री० [फा० दरगाह] दरपण (णी)-पु० [स० दर्पण] १ मुह या प्रतिबिंब देखने का
१ दरबार । २ न्यायालय, कचहरी। ३ सभा। ४ तीर्थ | शीशा, काच, पारसी,बाईना । २ अांख । ३ जलाने वाला। स्थान, मठ । ५ मदिर। ६ किसी सिद्ध पुरुष का समाधि ४ प्रतिबिंब । ५ प्रादर्श। स्थल, मकबरा, मजार । ७ दहलीज, चौखट ।
दरपणी (बौ) -कि० १ गर्व करना, अभिमान करना । २ देखो दरड़-पु. १ किसी वस्तु के निरन्तर गिरने की ध्वनि । 'डरपणी ' (बी)। २ बहुतायत । ३ देखो 'दरडो' ।
दरम्प-देखो 'दरप' । दरडकरणों (बौ)-कि० १ दड़-दड़ करके गिरना । २ प्रवाहित
दरप्पण-देखो 'दरपण' । होना, बहना । ३ ध्वनि करना ।
दरबंधी-स्त्री० [फा०] किसी वस्तु की कीमत, दर या भाव का
निर्धारण, दर। दरडणौ (बो)-देवो 'दडग्णौ (बी)।
दरबर-देखो 'दड़बड़'। दरड़ियो-देखो 'दरडो'।
दरबांन-देखो 'दरवांन' । दरडो-पु०१ प्रांगन या जमीन में बना विवर, बिल, गड्ढा । दरबांनी-देखो 'दरवांनी'। २ बिना बंधा कूमा।
दरबार-पु० [फा०] १ बादशाह, राजा आदि की सभा, दरज-वि० [अ० दजं] लिखित, अंकित । प्रविष्ट । फटा हया। राज्य-सभा । २ कचहरी । ३ किसी ऋषि मुनि या वली -स्त्री० दरार । फटन।
का प्राश्रम । ४ सिक्खों का धर्म ग्रंथ रखने का स्थान ।
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