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दाम
(६४. )
दिकरी
दास-पू०[सं०] (स्त्री० दासी) १ सेवक, चाकर नौकर । | दाहजनक-वि० [सं०] ताप या अग्नि उत्पन्न करने वाला।
२ गुलाम । ३ मछवा । ४ शूद्र । ५ भक्त [सं० दाश] । ताप देने वाला। ६ धीवर, मछुवा ।
दाहज्वर-पु० [सं०] अधिक ताप वाला ज्वर । दासड़ली, दासड़ी, दासडली, वासडी-देखो 'दासी ।
दाहण-पु० [सं० दाहन] अग्नि, प्राग । दासतांन-देखो 'दास्तांन' ।
दाहरणो-वि० [सं० दाह] (स्त्री० दाहणी) १ नाश करने वाला, दासता-स्त्री० [सं०] १ गुलामी, परतंत्रता । २ सेवावृत्ति।। महार करने वाला । २ जलाने वाला, भस्म करने वाला। ३ सेवक का कार्य । ४ नौकरी। ४ भक्ति ।
३ संतप्त करने वाला । ४ देखो 'दाहिणी'। दासदासांन-देखो 'दासानुदास' ।
| दाहणी (बी)-क्रि० [सं० दाह] १ जलना। २ जलकर भस्म दासदीकोळा-पु० एक वर्ग विशेष ।
होना । ३ संतप्त होना, दुःखी होना । ४ जलाना । बासनंदरणी, बासनंदिनी-स्त्री० [सं० दाशनंदिनी] धीबर की।
५ जलाकर भस्म करता। ६ संतप्त करना, दुःखी करना । पुत्री, सत्यवती, मत्स्यगंधा।
७ संहार करना, नाश करना । ८ तपाना । दासपण (गो)-पु० [सं० दासत्वन] १ दासत्व, गुलामी । वाहनो-१ देखो 'दाहणो' । २ देखो 'दाहिणौ'। २ सेवाकर्म।
दाहा-स्त्री० १ दाह क्रिया । २ देखो 'दाव' । दासरस्थ, दासरथ (थि, थी, थ्यो)-पु० [सं० दाशरथ:)
दाहिणउ-देखो 'दाहिणी'। १ श्रीराम । २ दशरथ ।।
दाहिरणे (ण, नै)-क्रि० वि० [सं० दक्षिण] दाहिनी ओर। दासातन-पु० [सं० दासत्वन] दासता, गुलामी ।
दाहिणी (बी)-वि० [सं० दक्षिण] (स्त्री० दाहिणी) १ बायां दासानुदास-पु० [सं०] १ भक्तों का भक्त । २ गुलामों का
___ का विपर्याय दायां । २ दाहिनी ओर का। गुलाम । ३ छोटा, तुच्छ ।
दाहिमा-पु० [सं० दाधीच] १ दाधीच ब्राह्मण । २ एक दासि-देखो 'दासी'।
राजपूत वंश। दासिक-देखो 'दास'।
बाहु-देखो 'दाह'। दासी-स्त्री० [सं०] १ सेवा करने वाली स्त्री. सेविका । दाहा-पु० म० दाह] १ उष्णता प्रकट करने वाला ज्वर । २ परिचायिका । ३ नौकरानी । ४ वेश्या, गणिका । .
। २ देखो 'दाव' । ३ देखो 'दा'वो'। ५ गुलाम स्त्री। [सं० दाशी] ६ धोवर की स्त्री। ७ शूद्र दिकनखत्र, दिगनक्षत्र-पु० [सं० दिङ् नक्षत्र] विशिष्ट दिशाओं की स्त्री। -जादौ-पु० दासीपुत्र ।
संबंधी नक्षत्र । दासेर, दामेरक-पु० [सं० दासे रक] १ऊंट। २ मटुमा ।
दिगमूढ-देखो ‘दिगमूढ'। वासो-पु. १ देहलीज या किसी द्वार के नीचे लगा पत्थर। दाम्पु० एक प्रकार का नृत्य ।
२ बाहर निकली किनार वाला, दीवार में लगा लम्बा दिडी-पु. (सं०) एक छन्द विशेष । पत्थर । ३ देखो 'दास'।
दि-स्त्री०१ प्रांख । २ दशों दिशाएँ। -वि० १ दातार, उदार। दास्तांन-स्त्री० [फा०] १ वृत्तान्त, हाल । २ कथा, कहानी।
1 २ पालने वाला, पालक । ३ वर्णन । ४ इतिहास ।
दिप्रण-वि० (स्त्री० दिप्रणी) देने वाला, दाता। दाह-स्त्री० [सं०] १ भस्मीकरण, जलाना किया । २ जलन । दिक-स्त्री० [सं० दिक] -पु. १ दिशा । २ युवा हाथी।
३ दाह संस्कार । ४ ताप । ५ संताप । ६ प्राग। ३ क्षय रोग । -वि० (अ० दिक) १ तंग, हैरान । ७ लालिमा । ८ ईर्ष्या, द्वेष । ६ दुःख, पीड़ा। २ अस्वस्थ, बीमार। १० देखो 'दाव'।
दिककन्या-स्त्री० [सं०] दिशा रूपी कन्या। दाहक-पु० [सं०] अग्नि, आग । -वि० जलाने वाला। दिककुमार-पु० [सं०] एक देवता । दाहकता-स्त्री० [सं०] जलने का भाव, गुण ।
दिकचक्र-पु० [सं०] १ पाठों दिशात्रों का समूह । दाहकरम-पु० [सं० दाहकर्म] शव जलाने का कार्य,
२.१६ दिशाओं का समूह । दाह संस्कार।
दिकपति-पु० [सं०] दिशाओं का पति । दिकपाल ।
दिकपाळ -पु० [सं० दिक्पाल] १ दिशाओं के स्वामी देवता। दाहकास्द-पृ० [सं० दाहकाष्ठ] अगर की लकड़ी।
२ हाथी, गज। दाहक्रम-देखो 'दाहकरम'।
दिकमूढ़-देखो 'दिगमूह'। दाहक्रिया-स्त्री० [सं०] दाह-संस्कार ।
| दिकरी-देखो 'दीकरी'।
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