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त्रास
त्रिगड़ो
त्रास-स्त्री० [सं०] १ डर, भय । २ पीड़ा, कष्ट, वेदना । त्रिकाल-पु० [सं० विकाल] १ भूत, भविष्य व वर्तमान तीनों
३ सताने की क्रिया । ४ किसी रत्न का दोष । काल । २ प्रातः, मध्याह्न व संध्या, तीनों समय । ५ याम, तृषा।
-वि० पागल, उन्मत्त । त्रासणी (बी)-क्रि० [सं० त्रासनम्] १ डरना, भयभीत होना। त्रिकाळग्य-पु० [सं० त्रिकालज्ञ] १ तीनों काल व समय की
२ कष्ट देना, पीड़ा देना । ३ सताना। ४ दूर भागना। जानकारी रखने वाला, सर्वज्ञ । २ ईश्वर । त्रासन-वि० ग्रानंकित, भयभीत ।
त्रिकाळदरसी-पु० [सं० त्रिकालदर्शी] तीनों कालों की जानकारी त्रासमांस-वि० १ आतंकित, भयभीत । २ त्रस्त । ३ दुःखी। रखने वाला। त्रासवरणौ (बी)-क्रि० १ भयभीत करना, डराना । २ देखो त्रिकाळनरेस-पु० परब्रह्म, परमात्मा । 'चासणी' (बी)।
त्रिकिम-पु० [सं० त्रिविक्रम] श्रीकृष्ण, विष्णु । त्रासा-देखो 'पास'।
त्रिकुट-पु. १ कालोमिर्च, सोंठ व पीपर का मिश्रण। २ देखो त्रासौ-वि० १ प्यासा, तृषायुक्त । २ त्रस्त, दुःखो। ३ भयभीत त्रिकूट' । ---गढ़- त्रिकूट गढ़' । --बधः= त्रिकूटबंध' । राहना।
त्रिकुटा-देखो त्रिकूटा। त्राहि-अव्य० सं०] बचाओ-बचाओ की पुकार, करुण क्रन्दन। त्रिकुटि, तिकुटी-स्त्री० [सं० त्रिकूट] १ ललाट का मध्य भाग । त्राहिमारण-देखो 'त्रायमांण'।
२ ललाट, भाल। त्रिबागळ-देखो 'बागळ' ।
त्रिकुटौ-पु० सोंठ, काली मिर्च व पीपल के मिश्रण से बनी त्रिसास-पु० [सं० त्रिशांश] १ किसी वस्तु का तीसवां अश। पौषधि । २ तीसवां भाग।
त्रिकूट-पु० [सं०] १ तीन चोटियों वाला लका का एक पर्वत । त्रि-वि० [सं०] तीन । -स्त्री. नारी, त्रिया।
२ लका । ३ लंका गढ़ । ४ पर्वत, पहाड । ५ सेंधा नमक । त्रिपा-देखो 'त्रिया'।
६ मेवाड़ का एक पर्वत । ७ मेवाड़ का एकलिंग महादेव त्रिकंटक-पु० [सं०] १ त्रिशूल । २ गोखरू नामक लता। के पास-पास का प्रदेश । ८ मस्तक के कल्पित छः चक्रों में -वि० तीन कांटे या नोक वाला।
से पहला चक्र । ६ जैसलमेर के किले का नाम । त्रिक-पु० [सं०] १ तीन का समूह । १ तिराहा । ३ त्रिफला ।
१० जैसलमेर का एक पहाड़। --गढ़-पु. लंका। -बंध४ त्रिकुट । ५ कमर । ६ रीढ़ का नीचला भाग । ७ शोक,
'बटबंध'। खद । -वि० १ तीन गुणा, तिगुना । २ तिहरा । त्रिकूटा-स्त्रा० १ ता
जिगना । यि त्रिकूटा-स्त्री० १ तांत्रिकों को एक भैरवी। २ मेवाड़ की ३ तीन शत ।
एक नदी।
त्रिफुटी-देखो त्रिकुटी' । त्रिककुद-पु० [सं०] १ त्रिकूट पर्वत । २ विष्णु ।
त्रिकोण-पु० सं०] १ तीन कोण, त्रिभुज । २ तीन कोण का त्रिकटबंध-देखो "त्रिकूटबंध'।
क्षेत्र, त्रिभुज क्षेत्र । ३ तीन कोनों की वस्तु । ४ योनि, त्रिकरण-पु०१ मन, वचन व काया (जैन) । २ एक प्रकार का भग । ५ जन्म कुण्डली में जम्न से पाचवा या नौवां स्थान । घोड़ा। -सुद्धि-पु० मन, वचन व काया की शुद्धि ।
६ तीन धारा, तीन पक्ष । -वि. तान कोण वाला। त्रिकळ-पु० १ तीन मात्रामों का शब्द २ दोहे छन्द का एक |
। ---घटो-स्त्री० तीन कोरण का बड़ा घंटा। भेद ।
त्रिकोणा-वि० तीन कोने वाला, तिकोना । त्रिकळस-पु. विशेष प्रकार का भवन या कक्ष ।
त्रिकोणासन-पु० योग का एक प्रासन । त्रिकळाचळ-पु० त्रिकूट पर्वत ।
त्रिक्षार-पु० [सं०] जवा, सज्जी व सुहागा, तीन क्षार ।
त्रिख-देखो 'खा'। त्रिकळाचळथितगति-पु० रावण ।
त्रिखत-वि० [सं० तृषित] १ प्यासा, तृषित । २ अभिलाषी। त्रिकलिंग-देखो 'तैलंग'।
-स्त्री० तलवार । त्रिकसूळ-पु० रीढ़ व कमर का दर्द, एक रोग ।
त्रिखनहीं-पु. एक प्रकार का घाड़ा। त्रिकाड-पु० [सं०] १ अमर कोश का दूसरा नाम । २ निरुक्त त्रिखा-देखो 'खा'। -बत='त्रखावत' ।
का दूसरा नाम । -वि० तीन काण्ड या अध्याय वाला। त्रिगंग-पु. एक तीर्थ विशेष । त्रिकांडी-वि० तीन काण्ड वाला। -पु० कर्म, उपासना तथा त्रिगड़-पु० एक राक्षस का नाम । ज्ञान संबंधी ग्रंथ।
| त्रिगडी, त्रिगदौ-पु. तीन दीवारों से घिग स्थान, उपदेश स्थल ।
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