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थथीपणी
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( ६१६ )
यथोपण (बी) - क्रि० १ धं यं देना, धीरज बंधाना । सान्त्वना देना । २ हिम्मत बंधाना, श्राश्वस्त करना । योवाबाज पयोवेदाज वि० लाने वाला चकमा देने वाला थथोबो - पु० १ झूठा विश्वास, धोखा, झांसा | २ आश्वासन, सान्त्वना ।
थद्ध - वि० [सं० स्तब्ध] १ अहंकार युक्त, अहंकारी (जैन) । २ रोका हुआ । ३ श्राश्चर्यमय ।
थन- १ देखो 'थांन' । २ देखो 'थरण' ।
थपथप - देखो ' थापउथाप' ।
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पपकरण (ब)-१ देखी 'धपकारणी' (बी) २ देखो 'वाणी' (बौ quकारणौ (at) पकारसी (बी) चपकायो (बी) क्रि० (ब) (at)-fo १ थपकी देना, थपकी देकर सुलाना । २ पीठ ठोक कर उत्साह वर्धन करना, प्रेरित करना | ३ दिलासा देना, पुचकारना ४ सहलाना । ५ थपथपाना ।
थपकिया - पु० १ एक प्रकार की रोटी । २ मिट्टी के बर्तन
वाला कुम्हार ।
थपकी स्त्री० थापी ।
देखो''।
पपड़ी - क्रि० १ ताली बजाने की क्रिया, ताली, वापी ३ ताली का शब्द । ३ देखो 'थेपड़ी' ।
थपणौ - वि० १ स्थापन करने वाला, प्रतिष्ठित करने वाला । २ स्थापित होने वाला । ३ मुकर्रर करने वाला । - पु०पत्थर या लकड़ी का पिटाई करने का उपकरण । पप (ब) क्रि० १ स्थापित या प्रतिष्ठित होना २ निश्चित होना, तय होना । ३ स्थिर होकर रहना । ३ देखो 'थापण' (बी) ५ देखो 'पाप' (ब)।
देखो 'पकियों'
थपथपी - स्त्री० १ हल्की सी थपकी । २ देखो ' थापी' ।
थपेड़, थपेट-स्त्री० १ टक्कर, प्राघात, झपट २ थप्पड़, चांटा | ३ लपेट । ४ थपकी ।
पेट (बी) ० १ पकी देना था। २ टक्कर, प्राघात या चांटा लगाना । ३ पीटना, मारना ४ थप्पड़ लगाना |
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भार । अनावश्यक व्यय ।
थपरिणय- देखो 'श्रापण' (णी ) ।
थप्पड़-स्त्री० १ हथेली का प्रहार चोट । तमाचा, झापट । २ बोट, नुकसान, हानि । ३ प्राघात, धक्का । ४ व्यय
प्पणी (ब)-१ देखो 'थपणी' (बी) २ देवो'आपण' (दो) । थप्पलरखौ (बी) - देखो ' थापली' (बी) ।
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चरहरणी
थप्पी-देखो 'थापी' ।
पोळी- पु० हिलोर, बहर, तरंग मणौ (at) - देखो 'थंभरणी' (वी) |
धमारी (ब) धमावो (बी) देखो 'धंभारणी (बी) । यय-देखो 'थे'।
rrit (at) - क्रि० १ होना । २ रहना ।
थर - पु० [सं० स्तर ] १ चुनाई का स्तर, परत, तह । २ ढेर, राशि । ३ ठंडा होने पर गर्म दूध या लोहे पर जमने वाली परत । ४ कांपने की क्रिया या भाव। [सं० स्थल ]
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५ शेर की मांद गुफा ६ स्थल, जगह । ७ देखो 'थिर' । थरक- स्त्री० १ भय, डर, शंका | २ कंपकंपी, थर्राहट । - वि० १ कंपायमान, कंपित २ देखो 'थिरक' | थरकरण (न) - स्त्री० १ दूध पर जमने वाली मलाई । २ द्रव पदार्थ पर जमने वाली परत ।
परकली (बी), परको (बी) त्रि० १ डरना भयाना शंका मानना । २ कांपना, थर्राना । ३ हिलना-डुलना, विचलित होना । ४ धीरे-धीरे चलना, खिसकना । ५ गिरना, पढ़ना ६ देखो 'विरकरणी (यो) । थकारण (ब), थरकावरणौ (बौ) - क्रि० १ गिराना, पटकना ।
२ ऊपर से नीचे डालना, ढकेलना । ३ डराना, धमकाना | ४ कंपाना । ५ हिलाना-डुलाना, विचलित करना । ६ खिसकाना ।
थरखौ (बौ) - देखो 'थरकणी' ( बौ) ।
चरा पु० [सं०] [स्] १ हृदय दिल २ । थरथरणी (बी) देखी 'धरा' (वी) | भरभराट, भरथराहट स्वी० कंपकंपी, वह बरवराखी (दो) - क्रि० कांपना, धना
घबराना ।
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अत्यधिक करना,
थरथरी- देखो 'थरथराहट' ।
परपड़ स्त्री० लड़बड़ाहट ।
थरपणौ (बौ), थरप्पणी (बौ) - क्रि० १ रचना बनाना । २ स्थापित करना । ३ देखो 'थापणी' (बी) 1
थरमौ - पु० १ एक प्रकार का वस्त्र । २ अंगुठी के ऊपर नगीने का घेरा ।
थर 'ट- देखो 'थरथराट |
थरसळरणौ (बी), थरसळणौ (बौ) - क्रि० १ कांपना, थर्राना । २ भयभीत होना, घबराना ।
परहर ( थरहरी) - स्त्री० १ भय के कारण होने वाली घबराहट, कंपकंपी । २ कंपन, धड़कन ।
(a), धरहराणी (बी) क्रि० १ भय से कांपना, घबराना । २ हिलना-डुलना ।