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४३४)
क- देखो 'छुछक' ।
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छी- वि० (स्त्री०) रिक्त, साली। छूट [स्त्री० १ छूटने का भाव, छुटकारा मुक्ति र स्वतन्त्रता, । २ आजादी । । । ३ रियायत किफायत ४ अवकाश, फुर्सत ५नुमति । ६ खुला या विस्तृत स्थान । ७ कारणवश न जोती हुई भूमि छूटक- वि० १ फेंका हुआा
छे
२ छोड़ा हुग्रा । पु० १ स्फुट पद ।
२ मुक्तक । टी (बी)- कि० [सं०] छूट १ बंधन मुक्त होना, स्वतंत्र त्रुट्, होना । २ पकड़ से निकल जाना । ३ अलग होना, विलग होना । ४ मुक्त होना, छुटकारा पाना । ५ अभाव या कमी रह जाना । ६ मिटना । ७ अभ्यास न रहना । ८पूर्ण रहना । ९ शेष या बाकी बचना । १० पीछे रह जाना । ११ बिछुड़ना । १२ ग्रस्त्रादि चलना, दगना । १३ फेंका जाना । १४ स्खलित होना । १५ रिस-रिस कर निकलना, चुना । १६ प्रसव पीड़ा से मुक्त होना । १७ घोड़े का मरना ।
टपल्ली टी० १ दम्पति का संबंध विच्छेद, तलाक २ प्रसव से मुक्ति ।
छूटी (ट्टी) - देखो 'छुट्टी' | छूटो (ट्टो) - देखो 'छुट्टी' ।
(बी० [सं० ग्रुप) १ स्पर्श करना, हाथ लगाना। २ छेड़ना, इधर-उधर करना । ३ सटाना, अड़ाना । ४ आलिंगन करना । ५ प्रतिस्पर्धा में बराबर प्राना। ६ निश्चित ऊंचाई पर पहुँचना । ७ थोड़ा उपभोग करना । छूत - स्त्री० १ छूने या स्पर्श करने का भाव । २ अपवित्र वस्तु या अस्पृश्य को छूने का दोष, प्रशोच । ३ भूत-प्रेतादिक
का प्रभाव ।
इतकी, इतरौ- पु० छाल, छिलका, छूता । नरसी (बी) वि० १ छोटे-छोटे टुकड़े करना । (मांस)
२ काटना ।
नौ वि० (स्त्री० [दनी) बढ़िया श्रेष्ठ ।
छूमंतर - पु० १ प्रकस्मात गायब होने की क्रिया या भाव | २ जादू टोना ।
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स्त्री० बार छूट झरौ-देखो 'छुरी' |
छेक वि० १ छेदने वाला । २ कसकने वाला, दर्द करने वाला । ३ चतुर ०१ राम २ देकानुप्रा
छेड़ (सी) पु० छेद, सुराख क्रि० वि० १ अंत में २ एक श्रोर, एक तरफ ।
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।
छेकड़लो - वि० (स्त्री० [देकली) घावरी, अन्त का छेकड़ौ - देखो 'छेक' ।
sent (बी), करणी (बी) क्रि० १ छेद करना, सूराब
करना । २ चीरना। ३ काटना । ४ आर-पार निकलना । ५ आगे बढ़ना । छेकली- पु० छेद, सूराख ।
छेकाकी स्त्री० छेद करने या पैनी वस्तु घुसाने की किया। छेकौ - वि० (स्त्री० छेकी) उतावला, धातुर । छेड़-स्त्री० १ स्वर्ण करने की क्रिया २ व्यंग उपहास ३ हंसी ठिठोली ४ तंग करने की क्रिया । ५ झगड़ा, टंटा। ६ किसी वाद्य का निरन्तर बजने वाला स्वर । ७ बड़ा भोज ८ द्वादशे का भोज । ९ प्रारंभ ।
छेतरणो
छोड़णी (बी) - क्रि० १ स्पर्श करना, इधर-उधर करना ।
२ कुरेदना । ३ व्यंग या उपहास करना । ४ हंसी करना । ५ तंग करना, दुःखी करना, चिढ़ाना। ६ झगड़ा करना । ७ प्रारंभ करना शुरू करना । ८ किसी कार्य के लिये कहना, प्रेरित करना । ९ चीरना, फाड़ना । १० छेद या सुराख करना । ११ कामोद्दीपन करना । लियो टेलीवि० (स्त्री० देहली) खिरी, अन्तिम छेड़ाछेड़ी-स्त्री० १ दूल्हे - दुल्हिन के वस्त्रों का परस्पर बंधन | २ बेड़-छाड़
छड़ियौ- पु० १ रहंट की माल का अंतिम छोर । २ स्त्रियों के गले का प्राभूषण विशेष । ३ जुलाहों का एक प्रौजार । ४ चरखे का एक उपकरण । ५ देखो 'छेड़ी' ।
छेड़ (ई) क्रि० वि० १ किनारे पर छोर पर २ एक तरफ, - ।
एक प्रोर ३ अलग, दूर । ४ तटस्थ । ५ तत्पश्चात् । छेड़ी-पु० १ छोर किनारा २ 'पट, पहला ३ हद, सीमा ४ अंत, समाप्ति । ५ चमड़े का रस्सा | ६ गठबंधन । जेपाली क्रि० बकरी का ऋतुमति होना ।
(ब) - देखो 'हूणी' (बौ
छे- स्त्री० १ ऊमर भूमि । २ फांसी । ३ इन्द्रिय । ४ वेणी । छेडहइ - क्रि० अंत में, आखिर में । ५ वसुधा । ६ सियार । ७ छे, छः । ८ ध्वनि विशेष | छे'- देखो 'छेह' ।
छेजी - पु० जीव-जंतुनों का खाद्य ।
छेक्न वि० [सं० [देव] १ छेदने या बेधने लायक २ खण्डन करने योग्य | पु० छेद, सूराख ।
छेटी स्त्री० [सं० छित्तिः ] १ फासला, दूरी, अन्तर । २ बीच की दरार । ३ कसर, कमी ।
छतरणी (बौ) - क्रि० १ धोखा देना, ३ संहार करना, मारना । ४ ढूंढना,
छतर (ए) स्त्री० [१] पथरीली भूमि २ श्मशान भूमि ३
कपट । ४ क्षेत्र |
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छलना । २ ठगना । तलाश करना ।