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जेस्टी
( ४८२ )
जर
जेस्टी, जेस्टौ, जेस्ठ-वि० [सं० ज्येष्ठ] बड़ा, अग्रज । -पु. -पत्र-पु० जीत की सनद । -वंत, वान, वादी, वार,
बड़ा भाई । पति का बड़ा भाई। -सुर-पु० ब्रह्मा । वारू-वि० जीतने वाला, विजयी। जेस्ठा-स्त्री० [सं० ज्येष्ठा] सत्ताईश नक्षत्रों में से अठारहवां जंतरति (ती)-वि० [सं० जैत्र+रति] शक्तिशाली, बलवान ।
नक्षत्र । ---सम-पु. गृहस्थ आश्रम, श्रेष्ठ प्राश्रम । जैतस्री-स्त्री० एक रागिनी विशेष । जेह-स्त्री० [फा० जिह] १ प्रत्यंचा। २ प्रत्यंचा का मध्य भाग। जैतहत्थ, (हथ, हथौ)-वि० [सं० जेत्र-हस्त] जिसके हाथ में ___-वि० जैसा। -सर्व . १ वे। २ देखो 'जे'।
विजय हो, विजयो। जेहऊ (जेहऊ)-वि० जैसा।
जैतां-स्त्री० एक पतिव्रता क्षत्रिय स्त्री। जेहड़ि (डी)-क्रि.वि. जैसे ही. ज्योंही। -वि० जैसी। जैताई-वि० १ विजयी । २ जीतने वाला। जेहड़ौ-वि० (स्त्री० जेहड़ी) जैसा ।
जंतार-वि० १ जीतने वाला । २ उद्धार करने वाला। जेहनउं (उ)-वि० (स्त्री० जेहनवी) जिसका।
जैतून-पु० [अ०] एक सदाबहार वृक्ष । जेहर-पु० पांव का एक प्राभूषण ।
जैत्र-स्त्री० [सं०] विजय, जीत, जय । -वादी, वार-वि० जेहरांन-पु० आभूषण, जेवरात ।
विजयी । -साद-पु० जयघोष । -हथ, हथौ= जेहरि (री)-वि० १ जैसी । २ देखो 'जेहर'।
'जतहथ'। जेहरौ, जेहवउ, जेहवौ-वि० (स्त्री० जेहरी, जेहवी) जैसा ।। जंत्राई-स्त्री० जीत, विजय। -वि० १ विजयी । २ जितने ही। जहांरण (न)-देखो 'जहांन' ।
जथहय (हथौ)-पु० देखो 'जतहथ' । जेहा-स्त्री० [सं. जिह्वा] १ जीभ, रसना । २ देखो 'जैसा'। जैदरथ (थी, थ्यो)-जयद्रथ । जेहिं (हि)-देखो 'जेही'।
जैन-पु० [सं०] १ अहिंसा को परम धर्म मानने वाला एक जेहिर-१ देखो 'जेवर' । २ देखो 'जेहर' ।
प्रसिद्ध सम्प्रदाय । २ इस सम्प्रदाय का अनुयायी। जेहिळ-पू० [सं०] वशिष्ठ गोत्रोत्पन्न आर्य नाग का शिष्य, जैनगर, जनेर, जैपर-पु० जयपुर नगर । ____ एक मुनि । (जैन)
जैपरियौ-पु० १ जयपुर का निवासी । २ जयपुर की रंगाई का जेही-सर्व० जिस । उसी। -क्रि०वि० जैसे, ज्यों। -वि० जैसी।
साफा। जेह, जहौ-वि० (स्त्री० जेही) १ जैसा । २ समान, तुल्य, सदृश । जैपरी-वि० जयपुर का, जयपुर संबंधी। -स्त्री. १ जयपुर की ३ एक निश्चित रूप-रंग या प्राकृति जैसा । ४ जो।
बोली, भाषा । २ देखो 'जं परियो' । जैगड़ी -पु० बछड़ा। (मेवात)
जपाळ-स्त्री० एक दस्तावर औषधि । जैट-पु० १ शमी वृक्ष । २ देखो 'जेट'।
जैपुर-देखो ‘ज पर'। जै-पु० १ बृहस्पति। २ पुष्य नक्षत्र । ३ सूर्य । ४ ब्रह्मा ।
जैपुरियौ-देखो 'जपरियौ'। ५ पतंगा । ६ अग्नि । ७ जय-विजय । ८ जयकार शब्द, घोष । ९ देखो 'जे'।
जैपुरी- देखो 'परी'। जैई-देखो 'जेई'।
जपलविन-क्रि०वि० वर्तमान से पांचवें या छठे दिन को। जैकरी-स्त्री० [सं० जयकारी] चौपाई छन्द का एक भेद ।
जैबौ-जसा। जैकार-देखो 'जयकार'।
जैमंगळ-देखो 'जयमंगळ' । जकारणी (बी)-क्रि०वि० जयध्वनि का उद्घोष करना, जय
जमती-स्त्री० [सं० जयमती] १ ईहड़देव चालुक्य की दुश्चरित्रा बोलना। ज'ई-क्रि०वि० जब तक । तब तक ।
पुत्री। २ दुश्चरिया स्त्री । ज'डो-वि० (स्त्री० जै'डी) जैसा ।
जैमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० जयमाला] १ विजय के उपलक्ष में जैजय, जैजेकार-वि० १ विजय का घोष । २ विजय की मंगल पहनाई जाने वाली माला। २ वरण करने लिये पहनाई कामना।
जाने वाली माला । जजवंती-स्त्री० भैरव राग का एक भेद ।
| जैमिनि (नी)-पु० [सं] पूर्व मीमांसा का प्रवर्तक, व्यासजी जैढ़क-पु० [सं० जय-ढक] विजय के उपलक्ष में बजाया जाने का एक शिष्य । ___ वाला ढोल ।
जैयौ-पु० १ पशुओं के शरीर से चिपकने वाला एक कीड़ा। जैत-स्त्री० जीत, विजय। -कारी-वि० विजयी, विजय दिलाने | २ जवा ।
वाला । -खंभ-पु. विजयस्तम्भ । -वि. अजेय ।। ज' र-देखो 'जहर' ।
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